🌺 परिचय (Introduction): Shri Adya Mahalakshmi Chalisa
श्री महाशक्ति महालक्ष्मी चालीसा (Shri Mahashakti Mahalakshmi Chalisa) एक अत्यंत दिव्य और शक्तिशाली स्तोत्र है, जिसमें माँ लक्ष्मी के अद्भुत रूपों और उनकी महिमा का वर्णन किया गया है।
माँ लक्ष्मी केवल धन की देवी नहीं हैं — वे सुख, शांति, सौभाग्य और आध्यात्मिक उन्नति की अधिष्ठात्री हैं।
इस चालीसा का पाठ शुक्रवार या किसी शुभ मुहूर्त में श्रद्धा भाव से करने पर जीवन में हर प्रकार की समृद्धि आती है और दरिद्रता का नाश होता है।
🌸 श्री महाशक्ति महालक्ष्मी चालीसा 🌷🌷🌷
जै जै जै श्री आदि महाशक्ति महालक्ष्मी, कीजै कृपा अपार।
दीजै धन जन जानि निज, लीजै शरण मंझार ।।
जयति जयति जगनिधिवती, चरण भाग्यवती धनवन्ती।
जै जै जलज विलासिनी, घट घट मह दिये विचरन्ती ।।
जै जै जैश्री कमले हरि प्रिये, जलनिधि तनये अम्ब।
विनवत सुन्दरदास, इक माँ तेराहिं अटूट अवलम्ब ।।
सब सुख भरणी लक्ष्मी अम्बा। दीनन पर कहँ करति विलम्बा ।।
तू त्रिभुवन तम नाशनी हारी हो जगजननी विष्णु की प्यारी ।।
भेद तुम्हारा ना कोउ पावत। क्षण महँ डगम सुख सम्पति उपजावत ।।
पावत शेषादिक नहिं अंता। महिमा अनुपम अगम अनन्ता ।।
मुकुट बिच शिशु चन्द्र विराजत। तीसरा नयन भाल बिच साजत।।
झूमक झूमक मणिन लड़न की। सोहत चोली हरित वरण की ।।
पुष्पराज हिम हार विराजत। लखि छवि सहस वदन मन लाजत ।।
फहरत अरुण रंग की सारी। मरकत मणि शुचि जड़ित कीनारी ।।
कटि किंकिनी गुच्छित त्रिमणियाँ । सद पद कमलन झनकत पैजनियाँ ।।
शोभा अमित तेज की खानी। लसित शस्त्र अष्टादश पाणी।।
गदा पद्म त्रिशूल कृपाणन। शंख चक्र राजित धनुबाणन ।।
वज्र कुण्डिका पाशु कुठारी। अति शुचि अक्षमाल कर धारी ।।
सुधा कलशरस हस्त विराजत । घण्टा विजय घनाघन बाजत ।।
माँ उत्पति कथा सुखदायी । वेद पुराण सदा यश गायी ।।
एक समय अस विधि भये बामा। मचिगे देवासुर संग्रामा ।।
सुर असुरन महँ अति भयकारी । मच्यो युद्ध तिहुँ लोक मझारी ।।
तब महिषासुर निज भुजबल से। सुरहिं पराजित कीन्ह्यो छल से ।।
बनि आपुहिं देवन कहँ राजा । इन्द्रासन पर जायविराजा।।
लखि शिव विष्णु कुपित चित भयऊ। अतिरिसबाढि भृकुटिछिड़ गयऊँ।।
महालक्ष्मी तू ही स्थल से। प्रगटि तेज पुँज के बल से ।।
लखि सुख मुनि प्रसन्न मन भयऊ। निज-निज शक्ति मातु कहँ दयऊ।।
मुख में बसे तेज बनि शंकर। विष्णु ओज बनि बसे भुजन पर ।।
चरण ब्रह्मा अंगुलि महिं भानु । बस्यो किरण बनि द्रगन कृशानु।।
दिये प्रजापति दशन ललामा। धरे कुबेर महालक्ष्मी नामा।।
सबै शक्ति देवन सो पाई। माँ भई तेज पुंज अधिकारी ।।
अट्टहास करि गरज्यो जबहिं। कंपि उठ्यो दसहु दिशि तबहिं ।।
उछल्यो उदहि चरित भये धरनी। मच्यो युद्ध तस जाय न वरणी।।
सक्यो न सहि महिभार अपारा। थक्यो शेष कीन्ह फुंकारा ।।
डगमग डोलत भये गिरि कैसे। राम विमुख नर नहिं थिर जैसे ॥
महिषासुर जब रचि बहु माया। महाशक्ति तव पार न पाया।।
तब माँ केश पकड़ि वध कीन्हो । देवन गगन दुंदुभि दीन्ह्यो ।।
धनि हो धन्य महालक्ष्मी माता। शेष महेश आदि गुण गाता ।।
तव समान को अस जग जननी। अति दरिद्रानि सुख सम्पति भरणी ।।
सत्य सनेह मातु कहँ लागत । होये दुख दूर सकल भय भागत ।।
सद लक्ष्मी सत्य की चेरी। करहिं वास सत्यहिं उर हेरी ।।
करत सत्य जो माँ गुण गाना | भरत सु-भवन अटूट खजाना ।।
दरसत माँ छवि परसत चरणन | बरसत मुद्रा छननन छननन ।।
हरसत मन तन तरसत पुनि पुनि । देहिं दरस माँ टेरहिं सुनि- सुनि ॥
सुन्दरदास सुमिरि दुर्वासा । गह्मऊ मातु चरणन की आसा।।
अस धन कोष मातु से पायो । जो न घट्यो नित अति सुख छायो ।।
आदि महाशक्ति महालक्ष्मी चरित यह, चालीसा चित लाय।
पाठ करै नित नेम सों, ऋणीहुँ धनी हो जाय ।।
नित नव सुख सम्पति बढ़े, कहै शास्त्र सत ग्रन्थ |
अंत शान्ति आनन्दमय, लहै मुक्ति का पंथ ।।
🪔 चालीसा पाठ के लाभ (Benefits):
- दरिद्रता और आर्थिक संकट का नाश
- गृहस्थ जीवन में सुख-शांति
- मनोवांछित कार्यों में सफलता
- आध्यात्मिक और मानसिक बल की प्राप्ति
- लक्ष्मी कृपा से धन और सिद्धि की प्राप्ति
🌸 पाठ विधि (How to Recite):
- शुक्रवार या पूर्णिमा को प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- माँ लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएँ।
- श्रद्धापूर्वक चालीसा का पाठ करें।
- पाठ के बाद माँ की आरती करें और मनोकामना व्यक्त करें।
🌺 निष्कर्ष (Conclusion): Shri Mahashakti Mahalakshmi Chalisa
जो भी श्रद्धा, विश्वास और नियमितता से श्री महाशक्ति महालक्ष्मी चालीसा का पाठ करता है, उस पर माँ लक्ष्मी की असीम कृपा बरसती है।
माँ अपने भक्त के जीवन से दुख, ऋण और दरिद्रता को दूर कर सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करती हैं।
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