🌿 श्रवण द्वादशी व्रत का पौराणिक महत्व | Importance of Shravan Dwadashi Vrat
श्रवण नक्षत्र से युक्त एकादशी और द्वादशी तिथि जब एक ही दिन आती है, तो उसे “विजया तिथि” कहा जाता है।
इस दिन भगवान हरि (विष्णु) की पूजा करने से जो पुण्य प्राप्त होता है, वह अक्षय माना गया है — अर्थात् कभी नष्ट नहीं होता।
🙏 व्रत का फल | Benefits of Shravan Dwadashi Vrat
इस दिन यदि कोई व्यक्ति एकभुक्त व्रत, नक्त व्रत, अयाचित व्रत, उपवास, या भिक्षाचार व्रत करता है, तो उसका पुण्य क्षीण नहीं होता।
यह व्रत मोक्षदायक, पापहर, और आयु-वृद्धि कारक बताया गया है।
⚠️ व्रत के निषेध (Don’ts during Shravan Dwadashi)
व्रती को इस दिन निम्न वस्तुओं एवं कार्यों से परहेज करना चाहिए —
- कांस्य पात्र का उपयोग ❌
- मांस, शहद का सेवन ❌
- लोभ, असत्य भाषण ❌
- व्यायाम या मैथुन ❌
- दिन में सोना ❌
- अंजन (काजल) या पत्थर पर पिसे द्रव्य ❌
- मसूर की दाल ❌
🗓️ श्रवण द्वादशी की विशेषता | Special Significance
यदि भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि श्रवण नक्षत्र से युक्त हो, तो यह अत्यंत पवित्र मानी जाती है।
इस दिन उपवास करने से महान फलों की प्राप्ति होती है।
यदि यह दिन बुधवार से युक्त हो, तो नदी संगम में स्नान करने से महान पुण्य फल मिलता है।
🌺 भगवान वामन पूजा विधि | Worship Method of Lord Vamana
इस दिन भगवान वामन (विष्णु का पाँचवाँ अवतार) की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
पूजन-विधि इस प्रकार है —
- रत्न एवं जल से परिपूर्ण कुम्भ स्थापित करें।
- कुम्भ को दो श्वेत वस्त्रों से आवृत करें।
- उस पर स्वर्णमयी भगवान वामन प्रतिमा रखें।
- उन्हें छत्र और जूता समर्पित करें।
🕉️ मन्त्र पूजन क्रम | Mantra Puja Procedure
भगवान वामन के अंगों की पूजा निम्न मन्त्रों से करें —
| अंग | मन्त्र | अर्थ |
|---|---|---|
| सिर | ॐ नमो वासुदेवाय | सर्वव्यापक भगवान विष्णु को नमस्कार |
| मुख | ॐ श्रीधराय नमः | श्रीधर रूप में स्थित भगवान |
| कण्ठ | ॐ कृष्णाय नमः | सर्वरक्षक कृष्ण |
| वक्षःस्थल | ॐ श्रीपतये नमः | लक्ष्मीपति विष्णु |
| भुजाएँ | ॐ सर्वास्त्रधारिणे नमः | अस्त्रधारी विष्णु |
| कुक्षि | ॐ व्यापकाय नमः | त्रिलोक व्यापी रूप |
| उदर | ॐ केशवाय नमः | परमपालक केशव |
| मेढ़ भाग | ॐ त्रैलोक्यपतये नमः | तीनों लोकों के स्वामी |
| जंघाएँ | ॐ सर्वभूते नमः | सब प्राणियों में स्थित |
| चरण | ॐ सर्वात्मने नमः | सब आत्माओं के आधार |
🍚 नैवेद्य और दान | Offerings and Charity
- भगवान को घृत (घी) और पायस (खीर) का नैवेद्य अर्पित करें।
- कुम्भ और मोदक का दान करें।
- रात्रि में जागरण (भजन-कीर्तन) करें।
🌄 प्रातःकालीन पूजा और प्रार्थना | Morning Worship and Prayer
सुबह स्नान और आचमन करके भगवान की पुनः पूजा करें और यह प्रार्थना करें —
नमो नमस्ते गोविन्द बुधश्रवणसंज्ञक ।
अघौघसंक्षयं कृत्वा सर्वसौख्यप्रदो भव ॥हे गोविन्द! ज्ञानस्वरूप! श्रवण नाम वाले देव!
आपको बारम्बार नमस्कार है।
मेरे सभी पापों का नाश कर मुझे समस्त सुख प्रदान करें।
🎁 दान विधान | Ritual of Donation
प्रार्थना के पश्चात “प्रीयतां देवदेवेश” कहते हुए
ब्राह्मणों को कलश दान करें।
इस व्रत का पालन यदि नदी तट या किसी पवित्र स्थान पर किया जाए, तो सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं।


