मासिक शिवरात्रि व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से विवाह में आ रही बाधाएँ दूर होती हैं और मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है।
मासिक शिवरात्रि व्रत का महत्व
मासिक शिवरात्रि व्रत केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि पारिवारिक और व्यक्तिगत जीवन के लिए भी बेहद फलदायी माना गया है।
- विवाह बाधा निवारण: विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।
- मनचाहा वर/वधू प्राप्ति: योग्य और मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
- सुख-समृद्धि: जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- भगवान शिव की कृपा: महादेव की कृपा से जीवन में हर कार्य सफल होता है।
मासिक शिवरात्रि व्रत-पूजन विधि
1. स्नान और संकल्प
- सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।
- व्रत और पूजन का संकल्प लें।
2. शिवलिंग पूजा
- शिवलिंग पर गंगाजल और गाय के दूध से अभिषेक करें।
- बेलपत्र, धतूरा, पुष्प, चंदन और रोली अर्पित करें।
3. भोग लगाना
- भगवान शिव को सफेद मिठाई, फल या फलाहार का भोग लगाएँ।
4. मंत्र जाप और आरती
- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
- शिव चालीसा या शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करें।
- अंत में शिव आरती करें।
5. चार पहर की पूजा
- रात को चारों पहर में भगवान शिव की पूजा करें।
- हर पहर शिवलिंग का अभिषेक करके फूल और बेलपत्र चढ़ाएँ।
6. व्रत खोलना
- अगले दिन सुबह स्नान करके ब्राह्मणों को भोजन कराएँ और दान-दक्षिणा दें।
- उसके बाद स्वयं भोजन करें।
मासिक शिवरात्रि व्रत के नियम
- व्रत के दिन अन्न का सेवन न करें, केवल फलाहार करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- किसी की निंदा, बुराई या बुरा विचार न करें।
- घर के मंदिर में दीपक जलाकर पूजा करें।
निष्कर्ष
मासिक शिवरात्रि व्रत करने से जीवन में आने वाली हर समस्या का समाधान होता है। यह व्रत विवाह योग्य कन्याओं के लिए अत्यंत शुभकारी माना जाता है और परिवार में सुख-शांति लाता है। भगवान शिव की कृपा पाने और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए यह व्रत अवश्य करना चाहिए।