✨ भूमिका
भारत का महापर्व छठ पूजा केवल धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि सूर्य उपासना का अद्भुत विज्ञान है। इस व्रत (छठ पूजा सूर्य उपासना ऋग्वेद मंत्र)में भगवान सूर्य की आराधना, अर्घ्य और स्तुति की जाती है। ऋग्वेद में भी सूर्य को सृष्टि का मूल, आरोग्य और जीवन का आधार बताया गया है। सूर्य की स्तुति का वर्णन हमारे प्राचीन ग्रंथों में विस्तार से मिलता है — यह मानव जीवन की ऊर्जा, स्वास्थ्य और कल्याण का स्रोत है।
सूर्य के महत्व को ऋग्वेद में इस प्रकार बताया गया है —
1️⃣ सृष्टि की आत्मा
चित्रं देवानामुदगाननीकं, चक्षुर्मित्रस्य वरुणस्याग्नेः ।
आप्रा द्यावापृथिवी अन्तरिक्षं, सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्च ॥
अर्थ:
देवताओं का समूह सूर्य के रूप में उदित हुआ है। ये मित्र, वरुण और अग्नि के नेत्र (आंख) हैं।
उनके उदय होते ही आकाश, पृथ्वी और अंतरिक्ष प्रकाश से भर जाते हैं।
सूर्य अंतर्यामी होने के कारण सबके प्रेरक परमात्मा हैं।
चर और अचर सृष्टि की आत्मा हैं।
2️⃣ कल्याण के रूप
सूर्यो देवीमुषसं रोचमानां, मयो न योषामभ्येति पश्चात् ।
यत्रा नरो देवयन्ति युगानि, वितन्वते प्रति भद्राय भद्राम्।।
अर्थ:
सूर्य उस प्रकाशमयी उषा (भोर की देवी) का अनुसरण करते हुए उदित होते हैं।
वह उषा के पीछे-पीछे चलते हैं जैसे ही भोर होती है, लोग अपने-अपने कर्मों से दिन की शुभ शुरुआत करते हैं।
सूर्य कल्याण के रूप हैं और उनकी आराधना से कल्याण की प्राप्ति होती है।
3️⃣ पूरे ब्रह्मांड के ऊर्जा का स्रोत
भद्रा अश्वा हरितः सूर्यस्य, चित्रा एतग्वा अनुमाद्यासः।
नमस्यन्तो दिव आ पृष्ठमस्थुः, परिद्यावापृथिवी यन्ति सद्यः॥
अर्थ:
सूर्य के उदय के साथ उसकी सुनहरी किरणें आसमान से लेकर धरती तक फैल जाती हैं।
ये किरणें जैसे तेजस्वी घोड़े हों, जो प्रकाश और जीवन लेकर आते हैं।
लोग श्रद्धा से सूर्य का वंदन करते हैं, क्योंकि उसका प्रकाश पूरे ब्रह्मांड को ऊर्जा और जागृति से भर देता है।
4️⃣ सही समय पर शुरुआत
तत्सूर्यस्य देवस्य तन्माहित्वं, मध्या कर्तोर्विततं सं जभार ।
यदेदयुक्त हरितः सस्यादाक्तात्री वास्ततनुते सिमस्मै ॥
अर्थ:
सूर्य अपना काम सही समय पर शुरू करते हैं व अस्ताचल जाते समय बचे काम को ज्यों का त्यों छोड़ कर किरणों को अपने में समेट लेते हैं।
उसी समय किरण रूपी घोड़ों को एक स्थान से खींचकर दूसरे स्थान पर नियुक्त कर देते हैं।
उनके अस्त होते ही रात्रि अंधकार सबको ढक देता है।
5️⃣ अंधकार दूर कर जीवन का संचार
तन्मित्रस्य वरुणस्यामिचसे, सूर्योरूपं कृणुते द्योरुपस्थे ।
अनन्तमन्यदुशदस्य पाजः, कृष्णमन्यद्धरितः सं भरन्ति ॥
अर्थ:
सूर्य प्रातःकाल मित्र, वरुण व पूरी सृष्टि को प्रकाशित करने के लिए अपना प्रकाशक रूप प्रकट करते हैं।
उनकी तेजस्वी किरणें, जिन्हें हरे घोड़ों के रूप में चित्रित किया जाता है,
रात के अंधकार को दूर करने की अद्भुत शक्ति रखती हैं।
वे अंधकार दूर कर जीवन का संचार करते हैं।
6️⃣ पापों से बचाने वाला
अद्या देवा उदिता सूर्यस्य, निरंहसः पिपृता निरवद्यात् ।
तन्नो मित्रो वरुणो मामहन्तामदितिः सिंधुः पृथिवी उत द्यौ॥
अर्थ:
हे प्रकाशमान सूर्य की किरणें!
आज सूर्योदय के समय इधर-उधर बिखर कर हमें पापों से निकाल कर बचा लेना।
इसके अलावा जो कुछ निंदित है, ग्रहणीय है, दुख-दारिद्रय है, सबसे हमारी रक्षा करो।
जो कुछ हमने कहा है, मित्र, वरुण, अदिति, सिंधु, पृथ्वी और द्युलोक के देवता उसका आदर करें, अनुमोदन करें, वे भी हमारी रक्षा करें।
7️⃣ जीवनदायी व रोगनाशक
उद्यन्नद्य मित्रमह आरोहन्नुत्तरां दिवम् ।
हृद्रोगं मम सूर्य हरिमाणं च नाशय ॥
अर्थ:
हे सूर्य! मित्रवत होकर आज उदीयमान आकाश में ऊपर उठते हुए
मेरे हृदय रोग और पीलिया रोग को नष्ट करें।
यह मंत्र सूर्य की औषधीय और आरोग्यकारी शक्ति को दर्शाता है।
वैदिक काल में सूर्य को जीवनदायी, रोगनाशक और मानसिक शांति देने वाला देवता माना गया है।
🌞 निष्कर्ष : छठ पूजा सूर्य उपासना ऋग्वेद मंत्र
छठ महापर्व केवल एक पर्व नहीं, बल्कि सूर्योपासना के माध्यम से प्रकृति, स्वास्थ्य और आत्मशुद्धि का वैदिक अनुष्ठान है।
ऋग्वेद के ये मंत्र हमें बताते हैं कि सूर्य केवल आकाश में स्थित ग्रह नहीं,
बल्कि जीवन, प्रकाश, ऊर्जा और चेतना के स्रोत हैं।
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