श्री सत्यनारायणजी आरती का महत्व
जय लक्ष्मीरमणा श्री जय लक्ष्मीरमणा – यह आरती भगवान सत्यनारायणजी को समर्पित है, जो सभी भक्तों के पापों और संकटों को दूर करते हैं। सत्यनारायण व्रत और आरती विशेष रूप से पूर्णिमा और अन्य धार्मिक अवसरों पर किए जाते हैं।
इस आरती को सुनने और गाने से मानसिक शांति, भक्ति भाव और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। भक्तों का जीवन सुख-समृद्धि और नैतिकता से परिपूर्ण होता है।
आरती की पंक्तियाँ
जय लक्ष्मीरमणा श्री जय लक्ष्मीरमणा।
सत्यनारायण स्वामी जनपातक हरणा।
जय लक्ष्मीरमणा।
रत्नजड़ित सिंहासन, अद्भुत छवि राजे।
नारद करत निराजन, घंटा ध्वनि बाजे।
जय लक्ष्मीरमणा।
प्रगट भये, कलि कारण, द्विज को दर्श दियो।
बूढ़ो ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो।
जय लक्ष्मीरमणा।
दुर्बल भील कठारो, इन पर कृपा करी।
चन्द्रचूड़ एक राजा, जिनकी विपति हरी।
जय लक्ष्मीरमणा।
वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीनी।
सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर स्तुति कीनी।
जय लक्ष्मीरमणा।
भाव-भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धर्यो।
श्रद्धा धारण कीनी, तिनको काज सर्यो।
जय लक्ष्मीरमणा।
ग्वाल बाल संग राजा, वन में भक्ति करी।
मनवांछित फल दीनो, दीनदयाल हरी।
जय लक्ष्मीरमणा।
चढ़त प्रसाद सवाया, कदली फल मेवा।
धूप दीप तुलसी से, राजी सत्यदेवा।
जय लक्ष्मीरमणा।
श्री सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवांछित फल पावे।
जय लक्ष्मीरमणा।
सत्यनारायणजी आरती करने के लाभ
- आध्यात्मिक शक्ति: मन में शांति और ध्यान की गहराई बढ़ती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: घर और वातावरण में सुख-समृद्धि का संचार होता है।
- कष्ट निवारण: भगवान सत्यनारायणजी की भक्ति जीवन की कठिनाइयों को कम करती है।
- सुख-समृद्धि: नियमित आरती और व्रत से जीवन में समृद्धि और खुशहाली आती है।
आरती करने का सही तरीका
- शुद्ध स्थान पर दीपक और धूप करें।
- भगवान सत्यनारायणजी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
- आरती की पंक्तियों को ध्यानपूर्वक पढ़ें या गाएं।
- अंत में “जय लक्ष्मीरमणा” का उच्चारण करें।
- श्रद्धा और भक्ति भाव से आरती को समर्पित करें।
निष्कर्ष:
आरती श्री सत्यनारायणजी – जय लक्ष्मीरमणा, भक्तों को भगवान सत्यनारायणजी की कृपा और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती है। इसे नियमित रूप से गाने या सुनने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है।