श्री रुद्राष्टकम् तुलसीदास कृत

श्री रुद्राष्टकम् – तुलसीदास कृत शक्तिशाली शिव स्तोत्र | Shri Rudrashtakam Lyrics in Hindi & English Meaning

🌺 परिचय (Introduction):

“श्री रुद्राष्टकम् तुलसीदास कृत” भगवान शिव की उपासना का अत्यंत शक्तिशाली और भावपूर्ण स्तोत्र है, जिसकी रचना गोस्वामी तुलसीदासजी ने की थी। यह स्तोत्र भगवान शंकर के निर्गुण, निराकार, सर्वव्यापक और करुणामय स्वरूप की अद्भुत स्तुति करता है।
तुलसीदासजी ने इसमें शिव के महाकाल, नीलकंठ, कृपालु और संसार-तारण स्वरूप का वर्णन किया है।

इस स्तोत्र का नित्य पाठ करने से भय, रोग, दुख, ऋण और पाप नष्ट होते हैं तथा साधक को शांति, भक्ति और मोक्ष का मार्ग प्राप्त होता है।
जो व्यक्ति “रुद्राष्टकम्” को श्रद्धा और समर्पण से पढ़ता है, उसके जीवन में भगवान शंकर की असीम कृपा बरसती है।

🕉️ श्री गोस्वामी तुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकम् ॥

नमामीशमीशान निर्वाण रूपं,
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं,
चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम्॥

निराकार मोंकार मूलं तुरीयं,
गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्।
करालं महाकाल कालं कृपालुं,
गुणागार संसार पारं नतोऽहम्॥

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं,
मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम्।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा,
लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥

चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं,
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं,
प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि॥

प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं,
अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम्।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं,
भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम्॥

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी,
सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी,
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥

न यावद् उमानाथ पादारविन्दं,
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं,
प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं॥

न जानामि योगं जपं नैव पूजा,
न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम्।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं,
प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो॥

रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति॥

॥ इति श्री गोस्वामी तुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥


🌺 श्री रुद्राष्टकम् तुलसीदास कृत का महत्व:

  • भगवान शिव के “निर्वाण रूप” और “भवानीपतित्व” की स्तुति इस स्तोत्र में की गई है।
  • इसका पाठ सभी पापों और संकटों से मुक्ति दिलाता है।
  • यह तुलसीदासजी के रामचरितमानस काल का एक दिव्य रचना है जो शिव-भक्ति का प्रतीक है।

🌼 पाठ करने का शुभ समय:

  • सोमवार, महा शिवरात्रि, या प्रत्येक प्रदोष व्रत के दिन इसका पाठ करना अत्यंत फलदायी माना गया है।
  • प्रातःकाल स्नान के पश्चात “ॐ नमः शिवाय” का जाप करके इस स्तोत्र का श्रद्धापूर्वक पाठ करें।

🌿 श्री रुद्राष्टकम् के लाभ:

  • भय, रोग, दुख, ऋण और मानसिक तनाव से मुक्ति।
  • शिव कृपा से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति।
  • नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा और आंतरिक शक्ति का विकास।

FAQ: श्री रुद्राष्टकम् तुलसीदास कृत

🔹 1. श्री रुद्राष्टकम् किसने लिखा?

यह भगवान शिव को समर्पित स्तोत्र गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचा गया है।

🔹 2. श्री रुद्राष्टकम् का पाठ कब करें?

सोमवार, प्रदोष व्रत और महा शिवरात्रि के दिन सुबह या शाम को इसका पाठ अत्यंत शुभ होता है।

🔹 3. रुद्राष्टक पाठ से क्या लाभ होते हैं?

यह पाठ भय, पाप, रोग, और दुर्भाग्य से मुक्ति दिलाता है तथा मन को शांति और शक्ति प्रदान करता है।

🔹 4. क्या रुद्राष्टकम् हर कोई पढ़ सकता है?

हाँ, जो भी श्रद्धा और भक्ति से इसका पाठ करता है, भगवान शिव उस पर कृपा करते हैं।

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