Ganesh Ji

Shri Ganesh Puran Stotra (Rare and Miraculous) | श्री गणेशपुराण (दुर्लभ – चमत्कारिक स्तोत्र)


🪔 Introduction | परिचय

यह स्तोत्र श्री गणेशपुराण का एक दिव्य और अत्यंत दुर्लभ पाठ है, जो जीवन से सभी प्रकार के कलह, कलेश, उपद्रव, रोग-दोष और नकारात्मकता को नष्ट करता है।
जो भी साधक इस स्तोत्र का नियमित श्रवण या पाठ करता है, उसे शांति, सुख-समृद्धि, सौभाग्य और विघ्नों से मुक्ति प्राप्त होती है।
भगवान गणेश स्वयं इस स्तोत्र का पाठ करने वाले भक्त की रक्षा करते हैं।


🙏 Shri Ganesh Purana (Utpata Nashan Ganesh Stotram) – Sanskrit Text with Meaning | श्रीगणेशपुराण (उत्पातनाशन गणेशस्तोत्रम्)

ॐ श्री गणेशाय नमः ॥

नाथस्त्वमसि देवानां मनुष्यो-रग-रक्षसाम् ॥१॥
यक्ष-गन्धर्व-विप्राणां गजाश्वरथपक्षिणाम् ।

भूत-भव्य-भविष्यस्य बुद्धी-न्द्रियगणस्य च ॥२॥
हर्षस्य शोकदुःखस्य सुखस्य ज्ञानमोहयोः ।

अर्थस्य कार्यजातस्य लाभहान्योस्तथैव च ॥३॥
स्वर्गपाताललोकानां पृथिव्या जलधेरपि ।

नक्षत्राणां ग्रहाणां च पिशाचानां च वीरुधाम् ॥४॥
वृक्षाणां सरितां पुंसां स्त्रीणां बालजनस्य च ।

उत्पत्तिस्थितिसंहारकारिणे ते नमो नमः ॥५॥
पशूनां पतये तुभ्यं तत्त्वज्ञानप्रदायिने ।

नमो विष्णुस्वरूपाय नमस्ते रुद्ररूपिणे ॥६॥
नमस्ते ब्रह्मरूपाय नमोऽनन्तस्वरूपिणे ।

मोक्षहेतो नमस्तुभ्यं नमो विघ्नहराय ते ॥७॥
नमोऽभक्तविनाशाय नमो भक्तप्रियाय च ।

अधिदैवाधिभूतात्मंस्तापत्रयहराय ते ॥८॥
सर्वोत्पातविघाताय नमो लीलास्वरूपिणे ।

सर्वान्तर्यामिणे तुभ्यं सर्वाध्यक्षाय ते नमः ॥९॥
अदित्या जठरोत्पन्न विनायक नमोऽस्तु ते।

परब्रह्मस्वरूपाय नमः कश्यपसूनवे ॥१०॥
अमेयमायान्वितविक्रमाय मायाविने मायिकमोहनाय।

अमेयमायाहरणाय मायामहाश्रयायास्तु नमो नमस्ते ॥११॥


🌺 फलश्रुति (Phalashruti – Benefits of Reciting This Stotra)

य इदं पठते स्तोत्रं त्रिसंध्योत्पातनाशनम् ।
न भवन्ति महोत्पाता विघ्ना भूतभयानि च ॥१२॥

त्रिसंध्यं यः पठेत् स्तोत्रं सर्वान् कामानवाप्नुयात्।
विनायकः सदा तस्य रक्षणं कुरुतेऽनघ ॥१३॥


🪷 Hindi Meaning | हिंदी अर्थ सारांश

हे प्रभु गणेश!
आप देवता, मनुष्य, नाग, राक्षस, यक्ष, गन्धर्व, ब्राह्मण, गज, अश्व, रथ, पक्षी, भूत, वर्तमान और भविष्य—सबके स्वामी हैं।
आप सृष्टि, पालन और संहार के कर्ता हैं।
आप ही तत्त्वज्ञान के दाता, विघ्नहर्ता, और मोक्षदायक हैं।
आप ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र के भी अन्तःस्थ आत्मरूप हैं।
आपसे ही सभी लोकों, ग्रहों, नक्षत्रों, वृक्षों, नदियों, पशुओं, स्त्रियों और बालकों की उत्पत्ति होती है।
आप अदिति के गर्भ से उत्पन्न, कश्यपसुत, और परब्रह्म स्वरूप विनायक हैं।
जो भक्त इस स्तोत्र का तीनों सन्ध्याओं में पाठ करता है, उसे उपद्रव, विघ्न, भय, रोग नहीं होते और भगवान गणेश सदैव उसकी रक्षा करते हैं।


🌼 Conclusion | निष्कर्ष

उत्पातनाशन गणेश स्तोत्र एक ऐसा दिव्य पाठ है जो जीवन के हर प्रकार के विघ्न, रोग और अशांति को समाप्त कर देता है।
नियमित पाठ से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, सौभाग्य और मानसिक शांति आती है।
भगवान गणेश स्वयं इस स्तोत्र के पाठक की रक्षा करते हैं और उसे सभी बाधाओं से मुक्त करते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *