🌿 परिचय (Introduction):
“सर्वापदुद्धारक हनुमत् स्तोत्रम्” एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली स्तोत्र है जिसे लंकेश विभीषण जी ने रचा था।
यह स्तोत्र संकट, भय, शत्रु, रोग, और ग्रहदोष से मुक्ति दिलाने वाला अद्भुत मंत्र है।
जो भी श्रद्धा से इसका पाठ करता है, उसके जीवन से सभी विपत्तियाँ समाप्त हो जाती हैं।
🔱 स्तोत्र विनियोग और ध्यान (Dhyanam & Vinayog):
विनियोगः
“सर्वापदुद्धारक श्रीहनुमत्प्रसादेन मम सर्वापन्निवृत्त्यर्थे सर्वकार्यानुकूल्यसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः।”
ध्यानम्:
वामे करे वैरिभिदं वहन्तं शैलं परे शृङ्खलहारिटङ्कम्।
दधानमच्छच्छवियज्ञसूत्रं भजे ज्वलत्कुण्डलमाञ्जनेयम्॥
यह ध्यान रूप हमें उस वीर हनुमान का दर्शन कराता है जो पर्वत उठाए, शत्रु विनाशक, और तेजोमय स्वरूप में स्थित हैं।
🌺 स्तोत्र
आपन्नाखिललोकार्तिहारिणे श्रीहनूमते।
अकस्मादागतोत्पात नाशनाय नमो नमः।।
सीतावियुक्तश्रीरामशोकदुःखभयापह।
तापत्रितयसंहारिन् आञ्जनेय नमोऽस्तु ते।।
आधिव्याधि महामारी ग्रहपीडापहारिणे।
प्राणापहर्त्रेदैत्यानां रामप्राणात्मने नमः।।
संसारसागरावर्त कर्तव्यभ्रान्तचेतसाम्।
शरणागतमर्त्यानां शरण्याय नमोऽस्तु ते।।
वज्रदेहाय कालाग्निरुद्रायाऽमिततेजसे।
ब्रह्मास्त्रस्तम्भनायास्मै नमः श्रीरुद्रमूर्तये।।
रामेष्टं करुणापूर्णं हनूमन्तं भयापहम्।।
शत्रुनाशकरं भीमं सर्वाभीष्टप्रदायकम्।।
कारागृहे प्रयाणे वा सङ्ग्रामे शत्रुसङ्कटे।
जले स्थले तथाऽऽकाशे वाहनेषु चतुष्पथे।।
गजसिंह महाव्याघ्र चोर भीषण कानने।
ये स्मरन्ति हनूमन्तं तेषां नास्ति विपत् क्वचित्।।
सर्ववानरमुख्यानां प्राणभूतात्मने नमः।
शरण्याय वरेण्याय वायुपुत्राय ते नमः।।
प्रदोषे वा प्रभाते वा ये स्मरन्त्यञ्जनासुतम्।
अर्थसिद्धिं जयं कीर्तिं प्राप्नुवन्ति न संशयः।।
जप्त्वा स्तोत्रमिदं मन्त्रं प्रतिवारं पठेन्नरः।
राजस्थाने सभास्थाने प्राप्ते वादे लभेज्जयम्।।
विभीषणकृतं स्तोत्रं यः पठेत् प्रयतो नरः।
सर्वापद्भ्यो विमुच्येत नाऽत्र कार्या विचारणा।।
💫 स्तोत्र का महत्व (Significance & Benefits):
📿 1. संकट मुक्ति:
जो भी व्यक्ति भय, रोग, या संकट में यह स्तोत्र पढ़ता है, उसे तत्काल राहत मिलती है।
⚔️ 2. शत्रु नाशक:
यह हनुमानजी की कृपा से शत्रुओं, नकारात्मक ऊर्जा और कानूनी विवादों से रक्षा करता है।
🪔 3. ग्रह दोष शमन:
ग्रह पीड़ा, कालसर्प, शनि या राहु दोष में यह स्तोत्र अत्यंत प्रभावी है।
💰 4. कार्य सिद्धि:
राजकार्य, परीक्षा, यात्रा या वाद-विवाद में विजय के लिए इसका पाठ किया जाता है।
🙏 5. शांति और आत्मबल:
हनुमानजी की स्मृति मन को स्थिर करती है और भक्ति से आत्मबल बढ़ता है।
🔔 पाठ विधि (How to Chant):
- मंगलवार या शनिवार को स्नान के बाद हनुमानजी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
- दीपक जलाएं और तुलसी या चंदन की माला से “सर्वापदुद्धारक हनुमत् स्तोत्रम्” का एक बार पाठ करें।
- पाठ के बाद “जय श्री राम” का 11 बार उच्चारण करें।
🌸 अंतिम श्लोक (Phala Shruti):
विभीषणकृतं स्तोत्रं यः पठेत् प्रयतो नरः।
सर्वापद्भ्यो विमुच्येत नात्र कार्या विचारणा॥
अर्थात — जो व्यक्ति श्रद्धा से इस स्तोत्र का पाठ करता है, वह सभी विपत्तियों से मुक्त हो जाता है।
🪶 मंत्र (Powerful Ending Mantra):
मर्कटेश महोत्साह सर्वशोकनिवारक।
शत्रून् संहर मां रक्ष श्रियं दापय भो हरे।।
📜 निष्कर्ष (Conclusion):
“सर्वापदुद्धारक हनुमत् स्तोत्रम्” केवल एक प्रार्थना नहीं, बल्कि एक दिव्य कवच है।
हनुमानजी की कृपा से जीवन में आने वाले सभी दुख, भय, और संकट समाप्त हो जाते हैं।
भक्ति भाव से इसका नित्य पाठ करें और संकटमोचक की शरण में जाएँ।


