🌿 परिचय (Introduction):
“पार्वती पञ्चकम्” एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है, जिसे आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है।
इसमें माता पार्वती देवी की महिमा, करुणा, और शिव के साथ उनकी अभिन्न एकता का सुन्दर वर्णन मिलता है।
जो भी भक्त इस स्तोत्र का नित्य पाठ करता है, उसे सौभाग्य, ज्ञान, और मोक्ष का वरदान मिलता है।
🪔 ॥ श्रीपार्वतीपञ्चकम् ॥
विनोदमोदमोदिता दयोदयोज्ज्वलान्तरा,
निशुम्भशुम्भदम्भदारणे सुदारुणाऽरुणा ।
अखण्डगण्डदण्डमुण्डमण्डलीविमण्डिता,
प्रचण्डचण्डरश्मिरश्मिराशिशोभिता शिवा ॥ १ ॥
अमन्दनन्दिनन्दिनी धराधरेन्द्रनन्दिनी,
प्रतीर्णशीर्णतारिणी सदार्यकार्यकारिणी ।
तदन्धकान्तकान्तकप्रियेशकान्तकान्तका,
मुरारिकामचारिकाममारिधारिणी शिवा ॥ २ ॥
अशेषवेषशून्यदेशभर्तृकेशशोभिता,
गणेशदेवतेशशेषनिर्निमेषवीक्षिता ।
जितस्वशिञ्जिताऽलिकुञ्जपुञ्जमञ्जुगुञ्जिता,
समस्तमस्तकस्थिता निरस्तकामकस्तवा ॥ ३ ॥
ससम्भ्रमं भ्रमं भ्रमं भ्रमन्ति मूढमानवा,
मुधाऽबुधाः सुधां विहाय धावमानमानसाः ।
अधीनदीनहीनवारिहीनमीनजीवना,
ददातु शम्प्रदाऽनिशं वशंवदार्थमाशिषम् ॥ ४ ॥
विलोललोचनाञ्चितोचितैश्चिता सदा गुणैर्,
अपास्यदास्यमेवमास्यहास्यलास्यकारिणी ।
निराश्रयाऽऽश्रयाश्रयेश्वरी सदा वरीयसी,
करोतु शं शिवाऽनिशं हि शङ्कराङ्कशोभिनी ॥ ५ ॥
॥ इति पार्वतीपञ्चकं समाप्तम् ॥
🌼 अर्थ एवं भावार्थ (Meaning & Essence):
यह स्तोत्र माता पार्वती की महिमा का वर्णन करता है —
वह दया की मूर्ति हैं, शिव की अर्धांगिनी हैं, जो असुरों का संहार करके सृष्टि की रक्षा करती हैं।
उनके तेज से सारा ब्रह्मांड प्रकाशित है, और वे भक्तों के कष्ट हरने वाली करुणामयी माँ हैं।
प्रत्येक श्लोक में पार्वती देवी के अलग-अलग स्वरूपों —
शक्ति, करुणा, सौंदर्य, ज्ञान और शिव के साथ अद्वैत एकत्व — का वर्णन है।
🕉️ महत्व (Significance & Benefits):
📿 1. आध्यात्मिक उन्नति:
इस स्तोत्र के नियमित पाठ से साधक को मन की स्थिरता और आध्यात्मिक आनंद प्राप्त होता है।
🌺 2. विवाह और सौभाग्य:
जो स्त्री या पुरुष पार्वती पंचकम का पाठ करता है, उसे वैवाहिक सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
🔥 3. संकट निवारण:
माँ पार्वती अपने भक्तों के जीवन से संकट, भय और दुखों को दूर करती हैं।
🪷 4. शिव-पार्वती कृपा:
यह स्तोत्र शिव और पार्वती दोनों की एकसाथ आराधना का माध्यम है — जिससे दैविक समरसता प्राप्त होती है।
🌸 पाठ विधि (How to Recite Parvati Panchakam):
- शुक्रवार या सोमवार को प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- माता पार्वती के समक्ष दीपक और पुष्प अर्पित करें।
- श्रद्धा पूर्वक इस स्तोत्र का पाठ करें और अंत में “ॐ नमः शिवाय” का जप करें।
- नियमित पाठ से पार्वती माँ की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।
🪶 निष्कर्ष (Conclusion):
“पार्वती पञ्चकम्” केवल एक स्तोत्र नहीं बल्कि शक्ति और सौंदर्य का दिव्य स्तवन है।
आदि शंकराचार्य की यह रचना भक्त को यह सिखाती है कि शिव और शक्ति एक ही तत्त्व हैं —
दोनों से ही सृष्टि, स्थिरता और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्रद्धा और भक्ति से इसका पाठ करने वाला सदैव माँ पार्वती की कृपा का अधिकारी बनता है।


