🌺 निर्धनता दूर करने का शास्त्रीय उपाय
अष्टलक्ष्मी पूजा विधि: मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी समस्या है गरीबी अर्थात निर्धनता। धन के अभाव में व्यक्ति मान-सम्मान और प्रतिष्ठा से भी वंचित रहता है। शास्त्रों में वर्णन है कि दरिद्रता दूर करने हेतु मां लक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए।
लक्ष्मी को चंचला कहा गया है, अर्थात जो एक स्थान पर स्थिर नहीं रहतीं।
इसलिए धन को स्थायी बनाने के लिए विशेष पूजन, उपाय और मंत्र-जाप का विधान बताया गया है।
🪔 महालक्ष्मी के प्रकट होने की कथा
शास्त्रों के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ, तो उससे पहले सभी देवता निर्धन और ऐश्वर्यविहीन हो गए थे।
लक्ष्मी के प्रकट होने पर देवराज इंद्र ने उनकी स्तुति की। इससे प्रसन्न होकर महालक्ष्मी ने उन्हें वरदान दिया कि —
“जो व्यक्ति तुम्हारे द्वारा दिए गए द्वादशाक्षर मंत्र का प्रतिदिन तीनों संध्याओं में भक्तिपूर्वक जप करेगा,
वह कुबेर सदृश ऐश्वर्ययुक्त हो जाएगा।”
🌸 अष्टलक्ष्मी के आठ स्वरूप और उनके बीज मंत्र
शास्त्रों में वर्णन आता है कि महालक्ष्मी के आठ स्वरूप हैं जिन्हें अष्टलक्ष्मी कहा जाता है।
ये आठ स्वरूप जीवन के आठ वर्गों से जुड़े हैं — धन, धैर्य, परिवार, ज्ञान, विजय, ऐश्वर्य, स्वास्थ्य और आयु।
🕉 अष्टलक्ष्मी और उनके मूल बीज मंत्र
| क्रम | लक्ष्मी स्वरूप | जीवन क्षेत्र | बीज मंत्र |
|---|---|---|---|
| 1 | श्री आदि लक्ष्मी | जीवन का प्रारंभ व आयु | ॐ श्रीं।। |
| 2 | श्री धान्य लक्ष्मी | धन और अन्न | ॐ श्रीं क्लीं।। |
| 3 | श्री धैर्य लक्ष्मी | आत्मबल और धैर्य | ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।। |
| 4 | श्री गज लक्ष्मी | स्वास्थ्य और बल | ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।। |
| 5 | श्री संतान लक्ष्मी | परिवार और संतान | ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं।। |
| 6 | श्री विजय (वीर) लक्ष्मी | सफलता और वर्चस्व | ॐ क्लीं ॐ।। |
| 7 | श्री विद्या लक्ष्मी | ज्ञान और बुद्धि | ॐ ऐं ॐ।। |
| 8 | श्री ऐश्वर्य लक्ष्मी | प्रणय और भोग | ॐ श्रीं श्रीं।। |
🪙 शुक्रवार की रात लक्ष्मी प्राप्ति की विशेष पूजा विधि
विधि:
शुक्ल पक्ष के किसी भी शुक्रवार अमावस्या की रात के दूसरे प्रहर (लगभग 9 से 10 बजे के बीच) यह साधना की जाती है।
- स्नान आदि से शुद्ध होकर एकांत स्थान में चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
- माता गज लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- लाल या पीले ऊनी आसन पर बैठकर आचमन करें।
- पूजन सामग्री का पवित्रीकरण करें और पंचोपचार विधि से माता का पूजन करें।
- पूजन से पहले सर्व बाधा नाश और सम्पन्नता का संकल्प करें।
- आरती के बाद मनोवांछित किसी भी मंत्र का 11 माला जाप करें।
- संभव हो तो दशांश हवन करें (जप का 10% यानी 110 मंत्रों का हवन)।
- तर्पण व मार्जन कर पूजन पूर्ण करें।
🪔 अष्टलक्ष्मी साधना की विशेष विधि (Friday Night Ritual)
- शुक्रवार रात 9 से 10 बजे के बीच गुलाबी वस्त्र पहनें।
- गुलाबी आसन और कपड़े पर श्रीयंत्र और अष्टलक्ष्मी का चित्र स्थापित करें।
- गाय के घी के आठ दीपक जलाएं।
- गुलाब की अगरबत्ती, लाल फूलों की माला और मावे की बर्फी का भोग लगाएं।
- अष्टगंध से श्रीयंत्र व अष्टलक्ष्मी चित्र पर तिलक करें।
- कमलगट्टे हाथ में लेकर नीचे दिए गए मंत्र का यथासंभव जाप करें।
✨ अष्टलक्ष्मी साधना मंत्र:
“ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा॥”
जाप पूरा होने के बाद आठों दीपक को घर की आठ दिशाओं में रख दें
और कमलगट्टे को तिजोरी में स्थापित करें।
🔱 साधना का प्रभाव
इस उपाय को लगातार 21 शुक्रवार तक करने से प्रारब्ध कमजोर होता है
और जीवन के आठों वर्गों — धन, स्वास्थ्य, संतान, सफलता, ऐश्वर्य, ज्ञान, प्रेम और दीर्घायु — में सफलता मिलती है।
अष्टलक्ष्मी साधना से:
- कर्ज से मुक्ति मिलती है 💰
- आयु में वृद्धि होती है 🕉
- बुद्धि और विवेक बढ़ता है 📘
- परिवार में सुख-शांति आती है 🕊
- समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है 🌟
- जीवन में वैभव और समृद्धि आती है 🏵
⚠️ साधना का रहस्य
साधना काल में धैर्य और संयम अति आवश्यक है।
तुरंत परिणाम की अपेक्षा न करें — क्योंकि सच्ची साधना धीरे-धीरे चमत्कार दिखाती है।
📌 निष्कर्ष: अष्टलक्ष्मी पूजा विधि
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए शुक्रवार की रात का यह उपाय अत्यंत फलदायी है।
यदि श्रद्धा और संयम के साथ अष्टलक्ष्मी की पूजा की जाए,
तो धन, वैभव, और सुख-समृद्धि जीवन में स्थायी रूप से प्राप्त होते हैं।
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