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🌕 कार्तिक पूर्णिमा 2025: तिथि, पूजा विधि, महत्व और पौराणिक कथा

Kartik Purnima

परिचय

कार्तिक पूर्णिमा हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पवित्र पर्व है। इसे देव दीपावली, त्रिपुरी पूर्णिमा, और दीपोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन भगवान शिव, विष्णु और देवताओं की आराधना के लिए विशेष माना गया है। कार्तिक मास की यह पूर्णिमा पुण्य, दान और दीपदान का पर्व है, जो जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति लाता है।


🗓️ कार्तिक पूर्णिमा 2025 की तिथि और मुहूर्त

👉 इस अवधि में स्नान, दान, दीपदान और पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है।


✨ कार्तिक पूर्णिमा का महत्व (Significance)

🌸 देव दीपावली (Dev Deepawali)

कहते हैं कि इस दिन देवता स्वयं पृथ्वी पर उतरकर गंगा स्नान करते हैं। वाराणसी के घाटों पर लाखों दीप जलाकर यह पर्व मनाया जाता है। इसे “देवताओं की दीवाली” भी कहा जाता है।

🔱 त्रिपुरी पूर्णिमा

पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है।

🌿 विष्णु और तुलसी विवाह

इस दिन भगवान विष्णु और तुलसी माता का विवाह होता है। तुलसी पूजा और तुलसी विवाह के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना गया है।

🪔 दीपदान का विशेष महत्व

इस दिन घरों, मंदिरों और नदियों के तटों पर दीपक जलाने की परंपरा है। दीपदान से न केवल घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है, बल्कि पापों का नाश भी होता है।


🛕 पूजा विधि (Kartik Purnima Puja Vidhi)

1. स्नान और शुद्धि

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान या घर पर शुद्ध जल से स्नान करें। मन, वाणी और कर्म की पवित्रता बनाए रखें।

2. व्रत एवं उपवास

इस दिन व्रत रखने का विशेष फल माना गया है। भक्त निर्जला या फलाहार व्रत रख सकते हैं।

3. पूजा सामग्री

घी के दीपक, फूल, धूप, अगरबत्ती, तुलसी पत्र, प्रसाद और जल पात्र तैयार रखें।

4. पूजा प्रक्रिया


📜 पौराणिक कथाएँ (Mythological Stories)

1. त्रिपुरासुर वध कथा

तीन राक्षसों—त्रिपुर नामक नगरों में रहने वाले असुरों—ने देवताओं को अत्याचार से त्रस्त कर दिया। भगवान शिव ने इस दिन उन तीनों नगरों को एक ही बाण से नष्ट किया, जिससे यह दिन त्रिपुरी पूर्णिमा कहलाया।

2. विष्णु-तुलसी विवाह कथा

भगवान विष्णु ने तुलसी के रूप में देवी वृंदा से विवाह किया। यह दिन तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है, जो विवाह उत्सव और भक्ति का प्रतीक है।

3. देवों का पृथ्वी पर आगमन

कहा जाता है कि इस दिन सभी देवता गंगा घाटों पर उतरते हैं। इसलिए गंगा स्नान और दीपदान को अत्यंत शुभ माना गया है।

4. कृष्ण रासलीला

कुछ पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में गोपियों के साथ रासलीला रचाई थी। कार्तिक पूर्णिमा को गोलोक के रासमण्डल में श्री कृष्ण ने श्री राधा का पूजन किया था।

हमारे तथा अन्य सभी ब्रह्मांडों से परे जो सर्वोच्च गोलोक है वहां इस दिन राधा उत्सव मनाया जाता है तथा रासमण्डल का आयोजन होता है। कार्तिक पूर्णिमा को श्री हरि के बैकुण्ठ धाम में देवी तुलसी का मंगलमय पराकाट्य हुआ था।

कार्तिक पूर्णिमा को ही देवी तुलसी ने पृथ्वी पर जन्म ग्रहण किया था। कार्तिक पूर्णिमा को राधिका जी की शुभ प्रतिमा का दर्शन और वन्दन करके मनुष्य जन्म के बंधन से मुक्त हो जाता है। इस दिन बैकुण्ठ के स्वामी श्री हरि को तुलसी पत्र अर्पण करते हैं।

कार्तिक मास में विशेषतः श्री राधा और श्री कृष्ण का पूजन करना चाहिए। जो कार्तिक में तुलसी वृक्ष के नीचे श्री राधा और श्री कृष्ण की मूर्ति का पूजन (निष्काम भाव से) करते हैं उन्हें जीवनमुक्त समझना चाहिए।

तुलसी के अभाव में हम आवंले के वृक्ष के नीचे भी बैठकर पूजा कर सकते है। कार्तिक मास में पराये अन्न, गाजर, दाल, चावल, मूली, बैंगन, घीया, तेल लगाना, तेल खाना, मदिरा, कांजी का त्याग करें।

कार्तिक मास में अन्न का दान अवश्य करें। कार्तिक पूर्णिमा को बहुत अधिक मान्यता मिली है। इस पूर्णिमा को महाकार्तिकी भी कहा गया है। यदि इस पूर्णिमा के दिन भरणी नक्षत्र हो तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। अगर रोहिणी नक्षत्र हो तो इस पूर्णिमा का महत्व कई गुणा बढ़ जाता है।

इस दिन कृतिका नक्षत्र पर चन्द्रमा और बृहस्पति हो तो यह महापूर्णिमा कहलाती है। कृतिका नक्षत्र पर चन्द्रमा और विशाखा पर सूर्य हो तो “पद्मक योग” बनता है जिसमें गंगा स्नान करने से पुष्कर से भी अधिक उत्तम फल की प्राप्ति होती है।


🌼 लाभ और नियम (Benefits and Rules)

लाभ

नियम


🔔 निष्कर्ष

कार्तिक पूर्णिमा 2025, जो 5 नवंबर 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी, हिन्दू पंचांग का सबसे पवित्र पर्व है।
यह दिन भक्ति, दान, दीपदान और शुद्धता का प्रतीक है। त्रिपुरासुर वध की कथा, तुलसी विवाह, और देव दीपावली की परंपराएँ इस दिन को अद्वितीय बनाती हैं।
यदि आप इस दिन श्रद्धा से व्रत और पूजा करते हैं, तो यह आपके जीवन में शांति, सौभाग्य और दिव्य आशीर्वाद लेकर आएगा।

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