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🌺 इन्द्रकृतं महालक्ष्म्यष्टकम् – धन, सौभाग्य और सुख देने वाला दिव्य स्तोत्र

Kanakavarsini Lakshmi Stotra

🌸 परिचय

“इन्द्रकृतं महालक्ष्म्यष्टकम्” एक अद्भुत स्तोत्र है जिसकी रचना स्वयं देवताओं के राजा इन्द्र ने की थी। जब असुरों के कारण देवताओं को कष्ट हुआ, तब भगवान इन्द्र ने माँ महालक्ष्मी की आराधना इस स्तोत्र से की थी। माँ प्रसन्न होकर उन्हें पुनः राज्य, वैभव और विजय प्रदान करती हैं।

जो भी श्रद्धा और भक्ति से इसका पाठ करता है, उसके जीवन में दरिद्रता, भय और कष्ट समाप्त होकर अक्षय लक्ष्मी का वास होता है।

॥ इन्द्रकृतं महालक्ष्म्यष्टकम् ॥

नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥1॥

नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयङ्करि।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥2॥

सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि।
सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥3॥

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।
मन्त्रमूर्ते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥4॥

आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥5॥

स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।
महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥6॥

पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥7॥

श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥8॥

महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा॥9॥

एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितः॥10॥

त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा॥11॥

॥ इति इन्द्रकृतं महालक्ष्म्यष्टकं सम्पूर्णम् ॥

🌼 स्तोत्र का अर्थ और महत्व

इस स्तोत्र में माँ महालक्ष्मी को “महामाया”, “आद्यशक्ति”, “भुक्ति-मुक्ति प्रदायिनी” और “परब्रह्म स्वरूपिणी” कहा गया है।
जो व्यक्ति नित्य श्रद्धा से इसका पाठ करता है, उसे निम्नलिखित फल प्राप्त होते हैं:


📜 पाठ विधि (How to Recite Mahalakshmi Ashtakam)

  1. सर्वश्रेष्ठ दिन: शुक्रवार, पूर्णिमा या दीपावली की रात
  2. सामग्री: कमल पुष्प, शुद्ध घी का दीपक, और पीले वस्त्र
  3. स्थान: पूजाघर या लक्ष्मी मंदिर
  4. मंत्र प्रारंभ करें: “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः”
  5. पाठ के बाद: लक्ष्मी आरती करें और अपने मनोकामना माँ से कहें।

इन्द्रकृतं महालक्ष्म्यष्टकम् के लाभ (Benefits)


🌕 निष्कर्ष

“इन्द्रकृतं महालक्ष्म्यष्टकम्” माँ लक्ष्मी की वह स्तुति है जो न केवल भौतिक सुख देती है बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का भी मार्ग खोलती है।
माँ महालक्ष्मी की कृपा से हर असंभव कार्य संभव हो जाता है।

“महालक्ष्मी नमोऽस्तुते — जय माँ लक्ष्मी!”

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