Govardhan Pooja

गोवर्धन पूजा : कथा, महत्व और उत्सव का तरीका (Govardhan Pooja : Katha, Mahatwa or Utsav Ka Tarika)

गोवर्धन पूजा क्या है?

गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है। इसे अन्नकूट या अन्नकूट उत्सव भी कहा जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। यह पर्व प्रकृति और पशुपालन का महत्व बताने वाला पर्व है।

गोवर्धन पूजा का मुख्य उद्देश्य प्रकृति और गायों के लिए आभार व्यक्त करना है। इस दिन लोग गोवर्धन पर्वत की पूजा, भोजन का अन्नकूट और गायों की पूजा करते हैं।


गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा

कथा के अनुसार, देवराज इंद्र अपनी शक्तियों पर घमंड करने लगे थे। गोकुल में लोग इंद्र की पूजा करने लगे थे।

एक दिन भगवान कृष्ण ने अपनी मां यशोदा जी से पूछा:

“मां, आप लोग किस उत्सव की तैयारी कर रहे हैं?”

यशोदा मैया ने उत्तर दिया:

“बेटा, हम देवराज इंद्र की पूजा कर रहे हैं। उनकी कृपा से ही हमें अच्छी बारिश मिलती है और अन्न की पैदावार अच्छी होती है।”

भगवान कृष्ण ने कहा:

“अगर ऐसा है तो हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। क्योंकि हमारी गायें वही चरती हैं और वहां के पेड़-पौधों की वजह से अच्छी बारिश होती है।”

गोकुल वासियों को भगवान कृष्ण की बात सही लगी और उन्होंने इंद्र देव की बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करना शुरू कर दिया।


इंद्र देव का क्रोध और भगवान कृष्ण की चतुराई

इंद्र देव को गोकुल के लोगों द्वारा गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की जानकारी मिली। इससे उनका अहंकार ठेस पहुंची और उन्होंने भयंकर मूसलाधार बारिश करनी शुरू कर दी।

बारिश इतनी विनाशकारी थी कि गोकुल के लोग सुरक्षित नहीं थे। तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी ऊँगली पर उठा लिया

गोकुल के लोग और उनकी गायें सभी गोवर्धन पर्वत के नीचे सुरक्षित रहे।

इंद्र देव ने 7 दिनों तक बारिश की, लेकिन किसी का बाल भी बाँका नहीं हुआ। इसके बाद इंद्र देव ने भगवान कृष्ण के सामने क्षमा याचना की और उन्हें भोग अर्पित किया।

कहते हैं तभी से गोवर्धन पूजा की परंपरा शुरू हुई।


गोवर्धन पूजा का महत्व

  • प्रकृति और गायों का सम्मान करना
  • अन्न और कृषि का महत्व समझाना
  • भगवान कृष्ण की लीला और भक्ति का स्मरण
  • प्रकृति की रक्षा और आभार व्यक्त करने का पर्व

गोवर्धन पूजा कैसे मनाएँ?

  1. गोवर्धन पर्वत बनाना: गोबर, मिट्टी और फूलों से गोवर्धन पर्वत का मॉडल बनाएं।
  2. पूजा और अर्चना: भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा करें।
  3. अन्नकूट का भोग: अनाज और पकवान बनाकर भोग अर्पित करें।
  4. गायों की पूजा: घर में या गांव में गायों को सजाकर पूजा करें।
  5. दान और सेवा: जरूरतमंदों को भोजन और दान दें।

निष्कर्ष

गोवर्धन पूजा न केवल भगवान कृष्ण की लीला का उत्सव है, बल्कि यह हमें प्रकृति, कृषि और गायों के महत्व का भी संदेश देती है। इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करके हम अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि ला सकते हैं।

गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ! 🐄🪔

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