गौ माता की चालीसा
दोहा
श्री गणेश को सुमिर के, शरद शीश नवाय।
गौ माँ की महिमा कहूँ, कंठ विराजो आय।।
मन्दमति मैं माता गौ, मुझको तनिक न ज्ञान।
कृपा करो हे नंदिनी, महिमा करूँ बखान।।
चौपाई
जय जय जय जय जय गौ माता, कामधेनु सुख शांति प्रदाता।।
माता सुरभि हो जग कल्याणी, ऋषि मुनियों ने कथा बखानी।।2।।
तुम ही हो हम समान मइया, भवसागर की पार लगिया।।3।।
देवन आई विपत करारी, माता की रखवारी।।4।।
ऋषि मुनियन पर दानव धावा, सब मिल तुहिं बुलावा।।5।।
व्याकुल एक्वा गंगा माई, ग्यान पास पेंटाल।।6।।
गंगा को माँ दिया निवासा, आपहिं लक्ष्मी आई पासा।।7।।
लक्ष्मी को भी तुम अपनी, सबका जीवन माता बचाई।।8।।
तेंतीस कोटि देव-मुनि आये, सबहिं माता आप बचाये।।9।।
मूल रक्षा कीन्हीं, असुर ग्रास हर जीवन दीन्हीं।।10।।
माता तुम हो दिव्य स्वरूपा, टीवी महिमा सब गायें भूपा।।11।।
देव दनुज मिल माथे नदीशा, पिये किशोर रत्न मनीषा।।12।।
सागर को मिल देव मथाये, कामधेनु रत्नहिं तब पिये।।13।।
कामधेनु के पांचा, सेवा से जायें भव प्रकार।।14।।
सुभद्रा नंदा सुरभि सुशीला, बहुला धेनु काम की लीला।।15।।
जो जन सिर गोधूलि लगायें, ताके पाप कट जाये।।16।।
गो चरणन मा तीर्थ निवासा, गौ-भक्ति सम नहीं उपवासा।।17।।
गौ सेवा है मोक्ष की सीढ़ी, धन बल यश पावहिं सब पीढ़ी।।18।।
विद्या लक्ष्मी अवहिं पासा, कामधेनु कर जहाँ निवासा।।19।।
भोलेनाथ श्राप जब पिए, सीधा वह गोलोक सिधाये।।20।।
शिव कर्ण सुरभि की स्तुति लागे, परिक्रमा कर माँ के आगे।।21।।
हाँथ जोड़ शिव बात का वर्णन, तपती देह श्राप से माई।।22।।
तोरी शरण माता मैं आया, शीतल कर दो मेरी काया।।23।।
सुरभि देह में प्रविषे शंकर, जग कोलाहल मचा भयंकर।।24।।
तब सबहिं देव मिल स्तुति गाये, पता पाय गोलोक सिधाये।।25।।
सूर्य समान सुरभि सुत देखा, नील नाम था तेज विशेष।।26।।
गो सेवक थे कृष्ण मुरारी, महिमा सबसे न्यारी।।27।।
कान्हा वन में गाय चराते, दूध दही पी माखन खाते।।28।।
जबहिं कृष्ण बाँसुरी बजाये, शैल गाय लौट आ जायें।।29।।
जिस घर हो माँ तेरा वासा, दुःख पीड़ा किम अवहिं पासा।।30।।
हो जहँ कामधेनु की पूजा, पुण्य नहीं इससे बड़ी दूजा।।31।।
माता महो ऋषि मुनि तारे, देव मनुज के भाग्य सांवरे।।32।।
वेद पुराणों में तव गाथा, युगों युगों से है तव साथ।।33।।
तुमहिं मनुज के भाग्य संवारे, अंत काल वैतरिणी तारे।।34।।
तव महिमा किम गौं माते, तुममे चारो धाम समते।।35।।
पंचगव्य की महिमा न्यारी, अपवित्र ही है संसार।।36।।
प्रातकाल जो दर्शन पायें, मारे काज आप बन जायें।।37।।
हाथ जोड़ जो शीशे नवाये, बुरे बला से मत बचाये।।38।।
जो जन गौ चालीसा गाये, सुख सम्पति ताके घर आये।।39।।
‘चेतन’ है माँ तेरा दासा, माता हृदय में निवास करो।।40।।
दोहा
गौ चालीसा जो पढ़े, नित्य नियम उठें।
ज्ञान संग धन यश बढ़े, संकट हरे गौ माता।।
गौ वंदन जो कर लिय, पूरण चारो धाम।
तरनि तीर कान्हा मिले, पिये सरयू राम।।
🌸 गौमाता चालीसा का महत्व
- गौमाता को कामधेनु, विश्वमाता और सर्वमंगलमयी देवी कहा गया है।
- जो व्यक्ति प्रतिदिन श्रद्धा से गौ चालीसा का पाठ करता है, उसके जीवन से दुख, दरिद्रता और रोग दूर होते हैं।
- यह चालीसा गोलोक, मोक्ष और ईश्वर प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।
- गौमाता की सेवा, गोदर्शन, और पंचगव्य का सेवन आत्मा को शुद्ध करता है।
🪔 निष्कर्ष
“गौमाता चालीसा” केवल स्तुति नहीं, बल्कि एक दिव्य साधना है जो जीवन में शांति, समृद्धि और संतोष लाती है।
जो व्यक्ति प्रतिदिन इसका पाठ करता है, वह न केवल भौतिक सुख बल्कि आध्यात्मिक आनंद भी प्राप्त करता है।


