भगवान गणेश जी को प्रथम पूज्य और विघ्नहर्ता माना गया है। हर शुभ कार्य की शुरुआत गणपति जी की पूजा और आरती से की जाती है। गणपति की सेवा आरती का पाठ करने से सभी विघ्न दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
आरती श्री गणपति जी | (Ganpati Ki Seva Aarti)
गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विघ्न टरैं। तीन लोक के सकल देवता, द्वार खड़े नित अर्ज करैं॥ रिद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजें, अरु आनन्द सों चमर करैं। धूप-दीप अरू लिए आरती, भक्त खड़े जयकार करैं॥ गुड़ के मोदक भोग लगत हैं, मूषक वाहन चढ्या सरैं। सौम्य रूप को देख गणपति के, विघ्न भाग जा दूर परैं॥ भादो मास अरु शुक्ल चतुर्थी, दिन दोपारा दूर परैं। लियो जन्म गणपति प्रभु जी, दुर्गा मन आनन्द भरैं॥ अद्भुत बाजा बजा इन्द्र का, देव बंधु सब गान करैं। श्री शंकर के आनन्द उपज्या, नाम सुन्यो सब विघ्न टरैं॥ आनि विधाता बैठे आसन, इन्द्र अप्सरा नृत्य करैं। देख वेद ब्रह्मा जी जाको, विघ्न विनाशक नाम धरैं॥ एकदन्त गजवदन विनायक, त्रिनयन रूप अनूप धरैं। पगथंभा सा उदर पुष्ट है, देव चन्द्रमा हास्य करैं॥ दे शराप श्री चन्द्रदेव को, कलाहीन तत्काल करैं। चौदह लोक में फिरें गणपति, तीन लोक में राज्य करैं॥ उठि प्रभात जप करैं ध्यान, कोई ताके कारज सर्व सरैं। पूजा काल आरती गावैं, ताके शिर यश छत्र फिरैं॥ गणपति की पूजा पहले करने से, काम सभी निर्विघ्न सरैं। सभी भक्त गणपति जी के, हाथ जोड़कर स्तुति करैं॥
गणपति की सेवा आरती का महत्व
- यह आरती करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
- जीवन से सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं।
- कार्य सिद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
- भक्तों को ज्ञान, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है।
कब करें गणपति की सेवा आरती?
- रोजाना प्रातः और संध्या पूजा के समय।
- विशेष रूप से गणेश चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी पर।
- नए काम या शुभ अवसर की शुरुआत से पहले।
गणपति की सेवा आरती के लाभ
- विघ्न-बाधाओं का नाश होता है।
- घर में शांति और समृद्धि का वास होता है।
- भक्त को सफलता और मनोकामना की पूर्ति मिलती है।
- पारिवारिक जीवन में सुख और सौहार्द बना रहता है।
निष्कर्ष
गणपति की सेवा आरती भगवान गणेश जी की स्तुति का श्रेष्ठ माध्यम है। इसे श्रद्धा भाव से गाने से जीवन के सभी विघ्न समाप्त हो जाते हैं और मन को शांति व आनंद मिलता है।
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