छठ पूजा की पौराणिक कथा : द्रौपदी ने रखा था छठ का व्रत
छठ पूजा की पौराणिक कथा हिन्दू धर्म की सबसे प्राचीन और पवित्र कथाओं में से एक है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक छठ महाव्रत मनाया जाता है। इस व्रत में भगवान सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा की जाती है।
छठ व्रत खासतौर पर पुत्र प्राप्ति, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए किया जाता है।
छठ पर भक्त “छठी मैया के जयकारे” के साथ आराधना करते हैं। यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है।
🌅 छठ व्रत कथा
दिवाली के 6 दिन बाद छठ पर्व मनाया जाता है।
यह व्रत अत्यंत पुण्यदायक माना गया है और इसकी सबसे महत्वपूर्ण रात्रि कार्तिक शुक्ल षष्ठी होती है।
सूर्योपासना का यह महापर्व चार दिनों तक चलता है।
इस पर्व के साथ कई कथाएँ जुड़ी हैं, लेकिन पौराणिक शास्त्रों में इसे देवी द्रौपदी से जोड़ा गया है।
मान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना राजपाट हार गए, तब द्रौपदी ने छठ का व्रत रखा था।
इस व्रत के प्रभाव से पांडवों को अपना राज्य वापस मिल गया।
तभी से यह माना जाता है कि छठ व्रत करने से समृद्धि, सुख और संतति की प्राप्ति होती है।
🪔 छठ पूजा का महत्व (Significance of Chhath Puja)
छठ मुख्य रूप से सूर्य देव और छठी मैया की पूजा का पर्व है।
इस दिन भक्त सूर्य देव से जीवन, ऊर्जा और स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव की पूजा से बीमारियों का उपचार और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
कहा जाता है कि सूर्य की उपासना करने से कुष्ठ जैसे गंभीर रोगों का नाश होता है।
यह पर्व परिवार के सदस्यों की दीर्घायु और समृद्धि के लिए मनाया जाता है।
📜 छठ पूजा से जुड़ी प्रमुख पौराणिक कथाएँ
1. 🌞 भगवान राम और माता सीता की कथा
एक पौराणिक लोककथा के अनुसार, लंका विजय के बाद राम राज्य की स्थापना के दिन
कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की।
सप्तमी के दिन पुनः अनुष्ठान करके सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया।
2. ☀️ सूर्य पुत्र कर्ण की कथा
एक अन्य मान्यता के अनुसार, छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी।
सूर्य पुत्र कर्ण प्रतिदिन घंटों पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते थे।
सूर्य की कृपा से ही वे महान योद्धा बने।
आज भी छठ पर्व में अर्घ्य दान की यही परंपरा निभाई जाती है।
3. 🌺 द्रौपदी की कथा
पांडवों की पत्नी द्रौपदी भी सूर्य की उपासना करती थीं।
वे अपने परिवार के स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए नियमित सूर्य पूजा करती थीं।
4. 👶 राजा प्रियवद और देवी षष्ठी की कथा
राजा प्रियवद को संतान नहीं थी। महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया, जिससे रानी मालिनी को पुत्र हुआ,
लेकिन वह मृत पैदा हुआ। राजा शोक में आत्मदाह करने जा रहे थे, तभी देवी षष्ठी प्रकट हुईं।
उन्होंने कहा, “मैं सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हूँ, इसलिए मुझे षष्ठी कहा जाता है।”
राजा ने देवी षष्ठी का पूजन किया और उन्हें पुत्र रत्न प्राप्त हुआ।
यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी, इसलिए इस दिन का नाम छठ पड़ा।
🌾 छठ पूजा कब और कैसे मनाई जाती है
छठ पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है:
- पहली बार चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी को (चैती छठ)
- दूसरी बार कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी को (कार्तिकी छठ)
यह पर्व चार दिनों तक चलता है —
चतुर्थी से सप्तमी तक।
इस दौरान व्रती लगातार 36 घंटे निर्जला व्रत रखते हैं — यानी बिना पानी के भी उपवास।
छठ पर्व में उपयोग होने वाली वस्तुएँ:
बाँस की सूप, टोकरी, मिट्टी के दीपक, गुड़, गन्ना, चावल, और गेहूं से बना प्रसाद।
गांवों में इस दौरान सफाई और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
🙏 छठ व्रत पूजा विधि (Chhath Puja Vidhi)
छठ देवी, भगवान सूर्यदेव की बहन मानी जाती हैं।
इसलिए छठ पर्व पर सूर्य और छठी मैया दोनों की पूजा की जाती है।
लोग नदी, तालाब या किसी जलाशय के किनारे जाकर पूजा करते हैं।
छठ पूजा की चार दिन की परंपरा
- पहला दिन – नहाय खाय: घर की सफाई और पवित्र भोजन से व्रत की शुरुआत।
- दूसरा दिन – खरना: शाम को व्रती गुड़-चावल की खीर बनाकर प्रसाद ग्रहण करते हैं।
- तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य: सूर्यास्त के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
- चौथा दिन – उषा अर्घ्य: अगली सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होता है।
🌼 छठ व्रत अनुष्ठान विधि
- छठ के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठें।
- किसी नदी, तालाब या झील में स्नान करें।
- स्नान के बाद सूर्य देवता को जल, धूप और पुष्प अर्पित करें।
- शुद्ध घी का दीपक जलाएँ।
- सात प्रकार के फूल, चंदन, चावल, तिल आदि से युक्त जल अर्पित करें।
- “ॐ घृणिं सूर्याय नमः, ॐ सूर्याय नमः” जैसे मंत्रों का 108 बार जाप करें।
- अपनी सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, अनाज आदि का दान करें।
💫 छठ पूजा का आध्यात्मिक महत्व
- सूर्य की उपासना से जीवन में ऊर्जा, आत्मबल और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
- यह पर्व शुद्धता, संयम और आत्मनियंत्रण का प्रतीक है।
- छठ व्रत को करने से संतान-सुख, संपन्नता और पारिवारिक सुख प्राप्त होता है।
- यह पर्व प्रकृति, जल और सूर्य के प्रति आभार प्रकट करने का प्रतीक भी है।
निष्कर्ष
छठ पूजा की पौराणिक कथा सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
सूर्य की उपासना शरीर में ऊर्जा का संचार करती है,
जबकि व्रत और शुद्धता आत्मिक शांति प्रदान करते हैं।
भक्तिभाव से किया गया छठ व्रत जीवन में सुख-समृद्धि, आरोग्य और संतान-सुख प्रदान करता है।
छठ पर्व भारत की संस्कृति, लोक परंपरा और आस्था का अद्भुत संगम है।