Bhai Dooj

भाई दूज : पौराणिक कथा, महत्व और उत्सव का तरीका (Bhai Dooj : Pouranik Katha, Mahatwa or Utsav ka Tarika)

भाई दूज क्या है?

भाई दूज दिवाली के बाद मनाया जाने वाला पर्व है। इसे भाई टीका या भैयादूज भी कहा जाता है। यह दिन भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक है।

इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक करती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।


भाई दूज की पौराणिक कथा

भाई दूज की शुरुआत यमराज और यमुना की कथा से हुई।

यम-यमुना की कथा

  1. शुरुआत: यमराज और यमुना, सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र-पुत्री थे। यमुना अपने भाई यमराज से अत्यंत स्नेह करती थीं।
  2. आमंत्रण: यमराज व्यस्त होने के कारण यमुना से बार-बार मिलने नहीं जा पाते थे। इसलिए यमुना ने कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को उन्हें अपने घर भोजन करने के लिए आमंत्रित किया।
  3. भेंट: यमराज को संकोच था कि कोई उन्हें आमंत्रित नहीं करेगा क्योंकि वे यमराज हैं। लेकिन यमुना के प्रेम और स्नेह को देखकर वे बहुत प्रसन्न हुए।
  4. वरदान: यमराज ने यमुना से कोई भी वर मांगने को कहा। यमुना ने कहा कि हर साल इस दिन यमराज को उनके घर भोजन के लिए आना चाहिए। जो बहन अपने भाई का सत्कार करेगी, उसे यमराज का भय नहीं रहेगा।
  5. परंपरा का आरंभ: यमराज ने यमुना को अमूल्य वस्तुएँ दी और ‘तथास्तु’ कहा। तब से भाई दूज का पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई।

भगवान कृष्ण और सुभद्रा की कथा

भाई दूज से जुड़ी एक और पौराणिक कथा भगवान कृष्ण और सुभद्रा की है।

  1. नरकासुर का वध: भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध करने के बाद अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए।
  2. स्वागत और तिलक: सुभद्रा ने भगवान कृष्ण का फूलों और मिठाइयों से स्वागत किया और उनके माथे पर तिलक लगाया।
  3. भाई दूज की शुरुआत: यही दिन भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक बना और भाई दूज का पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई।

भाई दूज का महत्व

  • भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का पर्व
  • यमराज का आशीर्वाद प्राप्त करना
  • लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करना
  • परिवार में संबंधों को मजबूत करना

भाई दूज कैसे मनाएँ?

  1. भाई को तिलक लगाएँ: बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उनका आशीर्वाद लें।
  2. भोजन और मिठाई: घर में स्वादिष्ट भोजन और मिठाइयाँ बनाएं और साझा करें।
  3. भाई को उपहार दें: भाई अपनी बहन को उपहार देकर प्यार जताता है।
  4. यमराज की पूजा: कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज का स्मरण करें।
  5. परिवार संग समय बिताएँ: भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने के लिए परिवार के साथ समय बिताएँ।

निष्कर्ष

भाई दूज सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का अमर प्रतीक है। इस दिन तिलक, उपहार और आशीर्वाद के माध्यम से हम अपने जीवन में सुख, समृद्धि और सुरक्षा ला सकते हैं।

भाई दूज की हार्दिक शुभकामनाएँ! 🪔💖

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