✨ परिचय (Introduction)
अंजनेय स्तोत्र भगवान हनुमान जी की आराधना का अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है।
यह स्तोत्र “उमासंहिता” से लिया गया है, और कहा गया है कि जो व्यक्ति इस स्तोत्र का नित्य पाठ करता है, वह भय, रोग, शत्रु और समस्त विघ्नों से मुक्त होकर सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करता है।
हनुमान जी को “अंजनेय” (अंजना के पुत्र) कहा गया है। वे पराक्रम, भक्ति, बुद्धि और बल के प्रतीक हैं।
यह स्तोत्र भगवान शिव द्वारा पार्वती जी को बताया गया है, जिसमें श्री हनुमान की दिव्य महिमा का वर्णन है।
🔱 ॥ अंजनेय स्तोत्रम् ॥
Anjaneya Stotram (From Uma Samhita)
महेश्वर उवाच –
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि स्तोत्रम् सर्वभयापहम् ।
सर्वकामप्रदं नॄणां हनूमत् स्तोत्रमुत्तमम् ॥ १ ॥
तप्तकाञ्चनसङ्काशं नानारत्नविभूषितम् ।
उद्यद्बालार्कवदनं त्रिनेत्रं कुण्डलोज्ज्वलम् ॥ २ ॥
मौञ्जीकौपीनसम्युक्तं हेमयज्ञोपवीतिनम् ।
पिङ्गलाक्षं महाकायं टङ्कशैलेन्द्रधारिणम् ॥ ३ ॥
शिखानिक्षिप्तवालाग्रं मेरुशैलाग्रसंस्थितम् ।
मूर्तित्रयात्मकं पीनं महावीरं महाहनुम् ॥ ४ ॥
हनुमन्तं वायुपुत्रं नमामि ब्रह्मचारिणम् ।
त्रिमूर्त्यात्मकमात्मस्थं जपाकुसुमसन्निभम् ॥ ५ ॥
नानाभूषणसम्युक्तं आञ्जनेयं नमाम्यहम् ।
पञ्चाक्षरस्थितं देवं नीलनीरदसन्निभम् ॥ ६ ॥
पूजितं सर्वदेवैश्च राक्षसान्तं नमाम्यहम् ।
अचलद्युतिसङ्काशं सर्वालङ्कारभूषितम् ॥ ७ ॥
षडक्षरस्थितं देवं नमामि कपिनायकम् ।
तप्तस्वर्णमयं देवं हरिद्राभं सुरार्चितम् ॥ ८ ॥
सुन्दरं साब्जनयनं त्रिनेत्रं तं नमाम्यहम् ।
अष्टाक्षराधिपं देवं हीरवर्णसमुज्ज्वलम् ॥ ९ ॥
नमामि जनतावन्द्यं लङ्काप्रासादभञ्जनम् ।
अतसीपुष्पसङ्काशं दशवर्णात्मकं विभुम् ॥ १० ॥
जटाधरं चतुर्बाहुं नमामि कपिनायकम् ।
द्वादशाक्षरमन्त्रस्य नायकं कुन्तधारिणम् ॥ ११ ॥
अङ्कुशं च दधानं च कपिवीरं नमाम्यहम् ।
त्रयोदशाक्षरयुतं सीतादुःखनिवारिणम् ॥ १२ ॥
पीतवर्णं लसत्कायं भजे सुग्रीवमन्त्रिणम् ।
मालामन्त्रात्मकं देवं चित्रवर्णं चतुर्भुजम् ॥ १३ ॥
पाशाङ्कुशाभयकरं धृतटङ्कं नमाम्यहम् ।
सुरासुरगणैः सर्वैः संस्तुतं प्रणमाम्यहम् ॥ १४ ॥
एवं ध्यायेन्नरो नित्यं सर्वपापैः प्रमुच्यते ।
प्राप्नोति चिन्तितं कार्यं शीघ्रमेव न संशयः ॥ १५ ॥
इत्युमासंहितायां आंजनेय स्तोत्रम् समाप्तम् ॥
🌿 अर्थ और महिमा (Meaning & Significance)
यह स्तोत्र भगवान हनुमान की दिव्य छवि का वर्णन करता है —
वे सूर्य के समान तेजस्वी, सर्वशक्तिशाली, और त्रिनेत्रधारी देवता हैं जो भक्तों के सभी भय को नष्ट करते हैं।
हनुमान जी की पूजा से —
- शत्रु भय समाप्त होता है,
- रोग मिटते हैं,
- मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ता है,
- और जीवन में बाधाएँ दूर होती हैं।
🙏 पाठ का लाभ (Benefits of Reciting Anjaneya Stotra)
- सभी प्रकार के भय और संकट से मुक्ति
- शत्रु, ग्रहदोष, रोग और बुरी शक्तियों से रक्षा
- इच्छित कार्यों की सिद्धि
- आत्मबल, बुद्धि और भक्ति में वृद्धि
📜 पाठ विधि (How to Recite)
- सुबह स्नान कर शुद्ध मन से हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
- “ॐ हनुमते नमः” का जप कर मन को शांत करें।
- तत्पश्चात् “अंजनेय स्तोत्र” का एकाग्र होकर पाठ करें।
- पाठ के बाद हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का भी पाठ लाभकारी होता है।
🌸 Conclusion
अंजनेय स्तोत्र केवल एक प्रार्थना नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक कवच है।
जो भक्त श्रद्धा से इसका पाठ करता है, उसे हनुमान जी का आशीर्वाद, रक्षा, और सफलता प्राप्त होती है।


