Vishnu Panjara Stotram

विष्णुपञ्जर स्तोत्र | Vishnu Panjara Stotram in Hindi | विष्णु कवच का दिव्य स्तोत्र

🕉️ विष्णुपञ्जर स्तोत्र का पाठ | Vishnu Panjara Stotram Path


विष्णुपञ्जरस्तोत्र प्रवक्ष्याम्यधुना होतद्वैष्णवं पञ्जरं शुभम्।
नमो नमस्ते गोविन्द चक्रं गृह्या सुदर्शनम्॥

प्राच्यां रक्षस्व मां विष्णो त्वामहं शरणं गतः ।
गर्दा कौमोदकी गृह्या पद्मनाभ नमोस्तु ते ॥

याम्यां रक्षस्व मां विष्णो त्वामहं शरणं गतः ।
हलमादाय सीनन्द नमस्ते पुरुषोत्तम ।

प्रतीच्या रक्ष मां विष्णो त्वामहं शरण गतः ।
मुसलं शातनं गृह्या पुण्डरीकाक्ष रक्ष माम् ॥

उत्तरस्यां जगन्नाथ भवन्तं शरणं गतः ।
खड्‌गमादाय चर्माच अस्त्रशस्त्रादिकं हरे ।

नमस्ते रक्ष रक्षोप्न ऐशान्यां शरणं गतः ।
पाञ्चजन्यं महाशङ्खमनुघोष्यं च पङ्कजम् ॥

प्रगृह्य रक्ष मां विष्णो आग्नेय्यां यज्ञशुकर ।
चन्द्रसूर्य समागृह्या खड्गं चान्द्रमसं तथा ॥

नैऋत्यां मां च रक्षस्व दिव्यमूर्ते नृकेसरिन् ।
वैजयन्तीं पुराणं गारुडं वक्ष्ये सारं विष्णुकथाश्रयम्।
सम्प्रगृह श्रीव कण्ठभूषणम् ॥

वायव्यां रक्ष मां देव हयग्रीव नमोऽस्तु ते।
वैनतेयं समारुह्या त्वन्तरिक्षे जनार्दन ।

मां रक्षस्वाजित सदा नमस्तेऽस्त्वपराजित ।
विशालाक्ष समारुह्या रक्ष मां त्वं रसातले ॥

अकूपार नमस्तुभ्यं महामीन नमोऽस्तु ते ।
करशीर्षाद्यङ्गुलीषु सत्य त्वं बाहुपञ्जरम् ॥

कृत्वा रक्षस्य मां विष्णो नमस्ते पुरुषोत्तम ।
एतदुक्तं शङ्कराय वैष्णवं पश्चरे महत् ॥

पुरा रक्षार्थमीशान्याः कात्यायन्या वृषध्वज ।
नाशयामास सा येन चामर महिषासुरम् ॥

दानवं रक्तबीजं च अन्यांश्च सुरकण्टकान् ।
एतज्जपन्न भक्त्या शत्रून् विजयते सदा ॥


🌸 भावार्थ (Meaning in Hindi)

हे गोविन्द! आपको नमस्कार है।
आप सुदर्शनचक्र लेकर पूर्व दिशा में मेरी रक्षा करें।
हे विष्णो! मैं आपकी शरण में हूँ।
हे पद्मनाभ! आपको मेरा नमन है। आप अपनी कौमोदकी गदा लेकर दक्षिण दिशा में मेरी रक्षा करें।

हे पुरुषोत्तम! सौनन्द नामक हल लेकर पश्चिम दिशा में मेरी रक्षा करें।
हे पुण्डरीकाक्ष! शातन नामक मुसल हाथ में लेकर उत्तर दिशा में मेरी रक्षा करें।

हे जगन्नाथ! आप खड्ग और चर्म धारण करके ईशान कोण में मेरी रक्षा करें।
हे यज्ञवराह! पाञ्चजन्य नामक शंख और पद्म लेकर अग्नि कोण में मेरी रक्षा करें।

हे नृसिंह भगवान! सूर्य समान तेजस्वी और चन्द्र समान सौम्य रूप में आप नैऋत्य कोण में मेरी रक्षा करें।
हे हयग्रीव देव! वैजयन्ती माला और श्रीवत्स से विभूषित होकर वायु कोण में मेरी रक्षा करें।

हे जनार्दन! गरुड़ पर आरूढ़ होकर आप अंतरिक्ष में मेरी रक्षा करें।
हे अजित और अपराजित! आपको मेरा नमस्कार है।

हे कूर्मराज और महामीन अवतार! आपको नमस्कार है।
हे पुरुषोत्तम! आप अपने बाहुपञ्जर (हाथों के कवच) से मेरे शरीर की रक्षा करें।

भगवान शंकर से कहा गया यह वैष्णव पञ्जर स्तोत्र रक्षार्थ अत्यंत प्रभावशाली है।
इसी स्तोत्र के प्रभाव से भगवती कात्यायनी ने महिषासुर, रक्तबीज और अनेक दानवों का विनाश किया था।
जो मनुष्य इस स्तोत्र का श्रद्धापूर्वक जप करता है, वह सदैव शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है।


🪔 विष्णुपञ्जर स्तोत्र का महत्व (Significance)

  • यह स्तोत्र भगवान विष्णु के कवच के समान रक्षक है।
  • इसका पाठ करने से शत्रु भय, नकारात्मक ऊर्जा, और रोग से मुक्ति मिलती है।
  • यह साधक के मन, बुद्धि और शरीर को विष्णु-कवच से आच्छादित कर देता है।
  • इसे नियमित रूप से प्रातःकाल या संध्या के समय पढ़ना शुभ माना गया है।

🌼 पाठ विधि (How to Recite Vishnu Panjara Stotram)

  1. स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. दीपक और धूप जलाकर भगवान विष्णु के समक्ष बैठें।
  3. शुद्ध मन से विष्णुपञ्जर स्तोत्र का पाठ करें।
  4. अंत में “ॐ नमो नारायणाय” का जप करें।

🌻 निष्कर्ष

विष्णुपञ्जर स्तोत्र एक दिव्य वैष्णव कवच है जो भक्त को दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों से रक्षा प्रदान करता है।
जो इसे श्रद्धा और विश्वास से पाठ करता है, वह सदैव विजयी, निडर और विष्णु-कृपापात्र बनता है।

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