🌸 परिचय: गोमन्त्रपाठ का महत्व
यह गोमन्त्रपाठ “सुरभि याग पद्धति” का एक भाग है, जिसमें गौ को विश्वमाता, धर्म, यज्ञ और देवताओं का आधार कहा गया है।
इस मन्त्र का श्रद्धापूर्वक पाठ करने से गौमाता की कृपा, पाप-नाश, सौभाग्य, आरोग्य और दिव्य लोकों की प्राप्ति होती है।
गौमाता साक्षात् विष्णुपदी, सुरभी और सर्वमंगलमयी हैं।
उनका स्मरण और यह मन्त्रपाठ आत्मा को पवित्र करता है, पापों को नष्ट करता है और परम शान्ति प्रदान करता है।
🌿 🍁 श्लोक १
बहुले समङ्गे ह्यकुतोभये च
क्षेम च सख्येव हि भूयसि च।
यथा पुरा ब्रह्मपुरे सवत्सा
सान्त्रतोर्वज्रधरस्य यज्ञे ॥
🪔 हिन्दी अर्थ:
हे गौमाता! तुम बहुला रूप में समङ्गा नदी के तट पर निवास करती हो — जो किसी से भयभीत नहीं, सबको सुरक्षा देनेवाली और कल्याणकारी सखी समान हो।
जैसे ब्रह्मपुर (स्वर्ग) में भगवान इन्द्र के यज्ञ में सवत्साओं (बछड़े सहित गौओं) का आदरपूर्वक पूजन हुआ था, वैसे ही तुम भी सर्वत्र पूज्या हो।
🌿 🍁 श्लोक २
भूयश्च या विष्णुपदे स्थित या
विभावसोश्चापि पथे स्थिता या।
देवाश्च सर्वे सह नारदेन
प्रकुर्वते सर्वसहेति नाम ॥ २॥
🪔 हिन्दी अर्थ:
जो गौमाता विष्णुपद (वैष्णव धाम) में स्थित हैं, तथा सूर्यदेव के मार्ग में भी अपनी तेजस्विता से प्रकाशित रहती हैं —
उन सब गौओं को देवगण और नारद मुनि सहित “सर्वसहा” (सभी को सहन करनेवाली, सबका कल्याण करनेवाली) नाम से पुकारते हैं।
🌿 🍁 श्लोक ३
मन्त्रेणैतेनाभिवन्देत् यो वै
विमुच्यते पापकृतेन कर्मणा।
लोकान्वाप्नोति पुरन्दरस्य
गवां फलं चन्द्रमसो द्युतिं च ॥ ३॥
🪔 हिन्दी अर्थ:
जो व्यक्ति इस गोमन्त्र से गौओं का अभिवादन करता है, वह अपने पापकर्मों से मुक्त हो जाता है।
उसे इन्द्रलोक की प्राप्ति होती है, और गौदान का महाफल तथा चन्द्रमा के समान शीतल और उज्ज्वल तेज प्राप्त होता है।
🌿 🍁 श्लोक ४
एतं हि मन्त्रं त्रिदशाभिजुष्टं
पठेत यः पर्वसु गोष्ठमध्ये।
न तस्य पापं न भयं न शोकः
सहस्रनेत्रस्य च याति लोकम् ॥ ४॥
🪔 हिन्दी अर्थ:
यह गोमन्त्र देवताओं द्वारा प्रिय और पूजित है।
जो व्यक्ति पर्व (त्योहारों) के अवसर पर गोशाला या गौओं के बीच में इस मन्त्र का पाठ करता है —
वह पाप, भय और शोक से मुक्त हो जाता है और अन्ततः इन्द्र (सहस्रनेत्र) के लोक की प्राप्ति करता है।
🌺 समाप्ति
इति गोमन्त्रपाठः समाप्तः।
श्रीसुरभियागपद्धतिः।
🕉️ गौमन्त्रपाठ का आध्यात्मिक महत्व
- गौमाता समस्त देवताओं का निवास स्थान हैं।
- यह मन्त्र आत्मिक शुद्धि, धन-धान्य की वृद्धि, और आरोग्य की प्राप्ति कराता है।
- गोशाला, गौपूजन या गोदान के समय इसका पाठ विशेष फलदायी माना गया है।
- यह मन्त्र सत्य, करुणा और धर्म की रक्षा का प्रतीक है।
🌾 निष्कर्ष
“गोमन्त्रपाठः” केवल एक वैदिक श्लोक-संग्रह नहीं, बल्कि सनातन धर्म की आत्मा का स्तवन है।
जो भी व्यक्ति श्रद्धा से इसका पाठ करता है, उसके जीवन में समृद्धि, शांति और गौकृपा का स्थायी वास होता है।


