Gopashtami

गोपाष्टमी : कथा, पूजन-विधि और महात्म्य (Gopashtami : Story, Puja Vidhi, and Significance)

🌸 गोपाष्टमी क्या है?

गोपाष्टमी का यह पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
2025 में यह तिथि 29 अक्टूबर सुबह 09:23 से 30 अक्टूबर सुबह 10:06 बजे तक रहेगी।
इस प्रकार यह पर्व 30 अक्टूबर 2025 (गुरुवार) को मनाया जाएगा।


🌿 गोपाष्टमी का पौराणिक महात्म्य एवं कथा

🐄 कथा 1: गौपालक बनना

गोपाष्टमी की कथा के अनुसार जब बाल गोपाल 7 साल के हो गए तो वे अपनी माता से कहने लगे कि मां अब मैं अब बड़ा हो गया हूं इसलिए अब मैं गाय चराने जाऊंगा। यशोदा माता ने कहा कि इस बारे में एक बार अपने पिता से पूछ लो।

तब भगवान कृष्ण नंद बाबा के पास गये और कहने लगे कि अब से मैं बछड़े चराने की जगह गाय चराने जाया करूंगा। तब नंद बाबा ने कहा कि ठीक है लेकिन पहले मैं गौ चारण के लिए शुभ मुहूर्त का पता लगा लूं। 

तब भगवान कृष्ण दौड़ते हुए पंडित जी के पास पहुंचे और उनसे गौ चारण का मुहूर्त देखने के लिए कहा। पंडित जी नंद बाबा के पास पहुंचे और उन्होंने पंचांग देखकर उसी दिन का समय गौ चारण के लिए शुभ बता दिया।

तब नंद बाबा ने बाल गोपाल को गौ चारण की आज्ञा दे दी। कहते हैं जिस दिन से बाल कृष्ण ने गौ चारण शुरू किया था उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थी। भागवान द्वारा उस दिन गाय चराने का काम शुरू करने के कारण ही इसे गोपाष्टमी के नाम से जाना जाने लगा और हर साल इस दिन को त्योहार के रूप में मनाया जाने लगा। 

🪶 कथा 2: गोवर्धन पर्वत लीला

एक बार इंद्रदेव को अभिमान हो गया, तब लीलाधारी श्री कृष्ण ने एक लीला रची। एक दिन श्री कृष्ण ने देखा कि सभी ब्रजवासी तरह-तरह के पकवान बना रहे हैं पूजा का मंडप सजाया जा रहा है और सभी लोग प्रातःकाल से ही पूजन की सामाग्री एकत्रित करने में व्यस्त हैं।

तब श्री कृष्ण ने योशदा जी से पूछा, ”मईया” ये आज सभी लोग किसके पूजन की तैयारी कर रहे हैं, इस पर मईया यशोदा ने कहा कि पुत्र सभी ब्रजवासी इंद्र देव के पूजन की तैयारी कर रहे हैं। 

तब कन्हैया ने कहा, कि सभी लोग इंद्रदेव की पूजा क्यों कर रहे हैं, तो माता यशोदा उन्हें बताते हुए कहती हैं, क्योंकि इंद्रदेव वर्षा करते हैं और जिससे अन्न की पैदावार अच्छी होती है और हमारी गायों को चारा प्राप्त होता है।

तब श्री कृष्ण ने कहा कि वर्षा करना तो इंद्रदेव का कर्तव्य है। यदि पूजा करनी है तो हमें गोवर्धन पर्वत की करनी चाहिए, क्योंकि हमारी गायें तो वहीं चरती हैं और हमें फल-फूल, सब्जियां आदि भी गोवर्धन पर्वत से प्राप्त होती हैं।

इसके बाद सभी ब्रजवासी इंद्रदेव की बजाए गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। इस बात को देवराज इंद्र ने अपना अपमान समझा और क्रोध में आकर प्रलयदायक मूसलाधार बारिश शुरू कर दी। जिससे हर ओर त्राहि-त्राहि होने लगी।

सभी अपने परिवार और पशुओं को बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। तब ब्रजवासी कहने लगे कि यह सब कृष्णा की बात मानने का कारण हुआ है, अब हमें इंद्रदेव का कोप सहना पड़ेगा। 

भगवान कृष्ण ने इंद्रदेव का अंहकार दूर करने और सभी ब्रजवासियों की रक्षा करने हेतु गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया। तब सभी ब्रजवासियों ने गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण ली। इसके बाद इंद्रदेव को अपनी भूल का अहसास हुआ और आठवें दिन इंद्र ने क्षमा मांगी और सुरभि गौ ने श्रीकृष्ण का दूध से अभिषेक किया। इसी दिन से गोपाष्टमी पर्व का आरंभ हुआ।


🌺 गोपाष्टमी का महत्व

यह पर्व गायों के प्रति सम्मान, सेवा और संरक्षण का प्रतीक है।
हिन्दू संस्कृति में गाय को “गौमाता” कहा गया है क्योंकि वे दूध, गोबर, गोमूत्र आदि के रूप में मानव जीवन की आधारशिला हैं।
यह दिन हमें सिखाता है कि गौ-रक्षा ही धर्म का अंग है और श्रीकृष्ण की तरह हर व्यक्ति को जीव-रक्षा करनी चाहिए।


🌼 गोपाष्टमी पूजा-विधि एवं अनुष्ठान

🌞 प्रातःकाल की तैयारी

  • स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • घर व आंगन को साफ करें और सजाएँ।
  • गाय-बछड़ों को नहलाएँ, सींगों पर हल्दी-कुमकुम लगाएँ।
  • गौशाला या पूजा-स्थान को फूलों और दीपों से सजाएँ।

🕉️ गौ-पूजन विधि

  • गायों को गुड़, हरा चारा, फल आदि खिलाएँ।
  • भगवान कृष्ण और गौमाता की आरती करें।
  • गोशाला में जाकर सेवा करें, परिक्रमा करें।

🌇 गो-धूलि मुहूर्त (सायंकालीन पूजन)

शाम को जब गायें लौटती हैं, तब ‘गो-धूलि मुहूर्त’ होता है।
इस समय गायों का स्वागत, आरती, और सेवा की जाती है।


🌾 गोपाष्टमी 2025 का शुभ मुहूर्त

  • तिथि: कार्तिक शुक्ल अष्टमी
  • दिन: गुरुवार, 30 अक्टूबर 2025
  • प्रातःकालीन गौ-पूजन: 06:20 AM – 08:45 AM
  • गो-धूलि पूजन: 05:15 PM – 06:10 PM
  • योग: सिद्ध योग
  • व्रत संकल्प: प्रातः जल लेकर करें, संध्या में गौ-सेवा के पश्चात पारण करें।

🌹 गोपाष्टमी पूजन संकल्प (संस्कृत में)

मम सर्वपापक्षयपूर्वक श्रीकृष्णप्रसादसिद्ध्यर्थं
गोपाष्टमीपवित्रसन्ध्यायां गौमाता-पूजनं करिष्ये॥

भावार्थ:
मैं अपने पापों के क्षय और श्रीकृष्ण के प्रसाद की प्राप्ति के लिए इस पवित्र दिन गौमाता का पूजन करूँगा।


🪔 पूजन सामग्री

  • गौमाता या चित्र, श्रीकृष्ण व बलराम की मूर्ति
  • पंचामृत, हल्दी, कुमकुम, अक्षत, पुष्प
  • तुलसी पत्र, गुड़, हरा चारा, फल, गंगाजल
  • देसी घी का दीपक, कपूर, धूप
  • खीर, हलवा, पूरी — भोग हेतु

🌼 पूजन विधि (क्रमवार)

(१) शुद्धि एवं आह्वान

भूमि शुद्ध करें, दीपक जलाएँ, और यह मंत्र बोलें —

ॐ गवां माता वसुधा, सर्वदेवमयी सदा।
मम पूजां गृहाण त्वं, नमोऽस्तु ते नमो नमः॥

(२) गाय का अभिषेक व अलंकरण

पंचामृत से स्नान कराएँ, सींगों पर हल्दी-कुमकुम लगाएँ, पुष्पमाला पहनाएँ।

(३) गौमाता एवं श्रीकृष्ण की संयुक्त पूजा

ॐ नमोऽस्तु नित्यानन्दरूपायै गौमातर्यै नमः।
ॐ गोविन्दाय नमो नमः।
ॐ गवां पतये गोपालाय श्रीकृष्णाय नमः॥


🌺 गोमाता स्तुति मंत्र

नमो गोमात्र्यै महात्म्ये सर्वदेवस्वरूपिणि।
त्वया धृतं जगत्सर्वं त्वया पूज्यं च नित्यशः॥
सर्वदेवमयी गौः सर्वतीर्थमयी तथा।
गवां मध्ये स्थिता लक्ष्मीः सर्वकामफलप्रदा॥

भावार्थ:
हे गौमाता! आप समस्त देवताओं की स्वरूपिणी हैं, आपके मध्य लक्ष्मी का निवास है, आप सभी कामनाएँ पूर्ण करने वाली हैं।


📖 गोपाष्टमी व्रत कथा (संक्षेप)

कार्तिक शुक्ल अष्टमी को नंद महाराज ने श्रीकृष्ण और बलराम को गौ-चराई का कार्य सौंपा।
बाद में जब इंद्र ने ब्रज पर वर्षा की, तो श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया।
आठवें दिन इंद्र ने क्षमा मांगी और सुरभि गौ ने श्रीकृष्ण का दूध से अभिषेक किया।
इसी दिन से गोपाष्टमी पर्व का आरंभ हुआ।


🌹 गोमाता की आरती

जय गोमाता जय जय गोमाता।
भवसागर तारिणी जग की हितकाता॥
तेरे चरणों में गंगा बहती, तेरे स्पर्श से भूमि पवित्री।
सकल देवा वास तुझ में, तेरी महिमा अपरंपारा॥
जय गोमाता जय जय गोमाता॥


🌾 दान एवं व्रत-विधि

  • गौशाला में गुड़, चारा, जल, वस्त्र, पात्र या धन का दान करें।
  • यदि संभव हो तो “गाय-बछड़ा दान” करें।
  • दिनभर संयमपूर्वक रहकर सायंकाल प्रसाद ग्रहण करें।
  • गोविन्दाय नमो नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।

🕉️ गोपाल (कृष्ण) मंत्र

ॐ गोविन्दाय नमः॥
ॐ गोपालाय नमः॥
ॐ श्रीकृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने नमः॥


🌸 फलश्रुति एवं आध्यात्मिक संदेश

गोपाष्टमी पर गौसेवा से सौभाग्य, आरोग्य, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यह पर्व हमें सिखाता है कि गाय, जल, वनस्पति और जीवों का संरक्षण ही सच्चा धर्म है।

गवां मध्ये स्थितं ब्रह्म तस्मात् पूज्या गवः सदा।
गौसंस्पर्शो हि पापानां नाशनं जन्मजन्मनः॥


🌼 उपसंहार

गोपाष्टमी केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि प्रकृति-रक्षा, सेवा और करुणा का प्रतीक है।
जब हम गौमाता की सेवा करते हैं, तो वह सेवा संपूर्ण सृष्टि के कल्याण की ओर कदम है।
इस पावन दिन पर, हम सबको संकल्प लेना चाहिए —
“गोमाता की सेवा = सृष्टि की सेवा।”

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