✨ श्री पार्वती चालीसा का महत्व
माता पार्वती, भगवान शिव की परम प्रिया और शक्ति स्वरूपा हैं। उन्हें दुर्गा, गौरी, भवानी और उमा भी कहा जाता है। श्री पार्वती चालीसा का पाठ करने से जीवन में सुख-शांति, सौभाग्य और समृद्धि आती है। विशेष रूप से सोमवार और नवरात्रि के दिन इसका पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
🙏 श्री पार्वती चालीसा के लाभ (Benefits of Shri Parvati Chalisa)
- जीवन में सुख-शांति और परिवार में सौहार्द स्थापित होता है।
- मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
- भय, शत्रु बाधा और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
- विवाह जीवन में सौभाग्य और पति-पत्नी में प्रेम बढ़ता है।
- स्वास्थ्य, धन और समृद्धि प्राप्त होती है।
📜 श्री पार्वती चालीसा पाठ विधि (Path Vidhi)
- सोमवार या नवरात्रि के दिन स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- माता पार्वती की मूर्ति या चित्र पर दीपक, धूप, अक्षत और लाल फूल अर्पित करें।
- श्रद्धा और भक्ति भाव से श्री पार्वती चालीसा का पाठ करें।
- पाठ के बाद “ॐ ह्रीं पार्वती नमः” मंत्र का जाप करें।
श्री पार्वती चालीसा (पूर्ण पाठ)
॥ दोहा ॥
जय गिरि तनये दुर्गे शम्भू प्रिये गुणखानी।
गणपति जननी पार्वती अम्बे! शक्ति! भवानी।
॥ चौपाई ॥
ब्रह्मा भेद न तुम्हरे पावे, पंच बदन नित तुमको ध्यावे ।
षड्मुख कहि न सकत यश तेरो, सहसबदन श्रम करत घनेरो । ।
तेरो पार न पावत माता, स्थित रक्षा लय हित सजाता।
अधर प्रवाल सदृश अरुणारे, अति कमनीय नयन कजरारे । ।
ललित लालट विलेपित केशर, कुंकुंम अक्षत शोभा मनोहर।
कनक बसन कञ्चुकि सजाये, कटी मेखला दिव्य लहराए । ।
कंठ मदार हार की शोभा, जाहि देखि सहजहि मन लोभ।
बालारुण अनंत छवि धारी, आभूषण की शोभा प्यारी । ।
नाना रत्न जड़ित सिंहासन, तापर राजित हरी चतुरानन।
इन्द्रादिक परिवार पूजित, जग मृग नाग यक्ष रव कूजित । ।
गिर कैलाश निवासिनी जय जय, कोटिकप्रभा विकासिनी जय जय ।
त्रिभुवन सकल, कुटुंब तिहारी, अणु -अणु महं तुम्हारी उजियारी। ।
हैं महेश प्राणेश ! तुम्हारे, त्रिभुवन के जो नित रखवारे ।
उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब, सुकृत पुरातन उदित भए तब। ।
बुढा बैल सवारी जिनकी, महिमा का गावे कोउ तिनकी।
सदा श्मशान विहरी शंकर, आभूषण हैं भुजंग भयंकर। ।
कंठ हलाहल को छवि छायी, नीलकंठ की पदवी पायी ।
देव मगन के हित अस किन्हों, विष लै आपु तिनहि अमि दिन्हो। ।
ताकी तुम पत्नी छवि धारिणी, दुरित विदारिणी मंगल कारिणी ।
देखि परम सौंदर्य तिहारो, त्रिभुवन चकित बनावन हारो। ।
भय भीता सो माता गंगा, लज्जा मय है सलिल तरंगा ।
सौत सामान शम्भू पहआयी, विष्णु पदाब्ज छोड़ि सो धायी । ।
तेहिकों कमल बदन मुर्झायो, लखी सत्वर शिव शीश चढायो ।
नित्यानंद करी वरदायिनी, अभय भक्त कर नित अनपायिनी। ।
अखिल पाप त्रय्ताप निकन्दनी, माहेश्वरी,हिमालय नन्दिनी।
काशी पूरी सदा मन भायी, सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायीं। ।
भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री, कृपा प्रमोद सनेह विधात्री ।
रिपुक्षय कारिणी जय जय अम्बे, वाचा सिद्ध करी अवलम्बे। ।
गौरी उमा शंकरी काली, अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली ।
सब जन की ईश्वरी भगवती, पतिप्राणा परमेश्वरी सती। ।
तुमने कठिन तपस्या किनी, नारद सो जब शिक्षा लीनी।
अन्न न नीर न वायु अहारा, अस्थि मात्रतन भयउ तुम्हारा। ।
पत्र घास को खाद्या न भायउ, उमा नाम तब तुमने पायउ ।
तप बिलोकी ऋषि सात पधारे, लगे डिगावन डिगी न हारे। ।
तव तव जय जय जय उच्चारेउ, सप्तऋषि, निज गेह सिधारेउ ।
सुर विधि विष्णु पास तब आए, वर देने के वचन सुनाए। ।
मांगे उमा वर पति तुम तिनसो, चाहत जग त्रिभुवन निधि, जिन सों ।
एवमस्तु कही ते दोऊ गए, सुफल मनोरथ तुमने लए। ।
करि विवाह शिव सों हे भामा, पुनः कहाई हर की बामा।
जो पढ़िहै जन यह चालीसा, धन जनसुख देइहै तेहि ईसा। ।
। । दोहा। ।
कूट चन्द्रिका सुभग शिर जयति शुचि खानी
पार्वती निज भक्त हित रहउ सदा वरदानी।
✅ निष्कर्ष
श्री पार्वती चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में सुख-शांति, सौभाग्य और समृद्धि आती है। विशेषकर नवरात्रि और सोमवार के दिन इसका पाठ करने से माता पार्वती की कृपा विशेष रूप से प्राप्त होती है।