॥ वंशवृद्धिकरं दुर्गा कवच ॥
(A Sacred Armor for Blessings of Progeny and Protection in Pregnancy)
🌺 प्रस्तावना (Introduction) वंशवृद्धिकरं दुर्गा कवच :
वंशवृद्धिकरं दुर्गा कवचम् एक अत्यंत पवित्र स्तोत्र है जो संतान प्राप्ति, गर्भ रक्षा, कुल दोष निवारण और भूत-प्रेत-बाधा से रक्षा के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।
इस कवच का पाठ विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए शुभ है जिन्हें संतान की प्राप्ति में कठिनाई हो, या जिनके गर्भ में बार-बार बाधा आती हो।
भगवती दुर्गा की कृपा से यह कवच वंश की वृद्धि, गर्भ की सुरक्षा और सुखद संतान जन्म का आशीर्वाद प्रदान करता है।
🔱 ॥ वंशकवचम् ॥ — मूल पाठ एवं अर्थ सहित
🕉️ श्लोक 1:
भगवन् देव देवेशकृपया त्वं जगत् प्रभो।
वंशाख्य कवचं ब्रूहि मह्यं शिष्याय तेऽनघ।
यस्य प्रभावाद्देवेश वंश वृद्धिर्हिजायते॥१॥
📜 अर्थ:
हे भगवान! हे देवों के देव और जगत के प्रभु, कृपया मुझे वह वंशवृद्धि कवच बताइए, जिसके प्रभाव से परिवार में संतान की वृद्धि होती है।
🕉️ श्लोक 2:
सूर्य ऊवाच:-
शृणु पुत्र प्रवक्ष्यामि वंशाख्यं कवचं शुभम् ।
सन्तानवृद्धिर्यत्पठनाद्गर्भरक्षा सदा नृणाम् ॥ २॥
📜 अर्थ:
भगवान सूर्य बोले —
हे पुत्र! सुनो, मैं तुम्हें शुभ वंशकवच बताता हूँ, जिसके पाठ से संतान की वृद्धि होती है और गर्भ सदा सुरक्षित रहता है।
🕉️ श्लोक 3:
वन्ध्यापि लभते पुत्रं काक वन्ध्या सुतैर्युता ।
मृत वत्सा सुपुत्रस्यात्स्रवद्गर्भ स्थिरप्रजा ॥ ३॥
📜 अर्थ:
जो स्त्री संतानहीन है, वह भी इस कवच के प्रभाव से पुत्र प्राप्त करती है।
जिसके शिशु मर जाते हैं, उसके बच्चे दीर्घायु होते हैं, और जो बार-बार गर्भपात झेलती है, उसकी संतान स्थिर होती है।
🕉️ श्लोक 4:
अपुष्पा पुष्पिणी यस्य धारणाश्च सुखप्रसूः।
कन्या प्रजा पुत्रिणी स्यादेतत् स्तोत्र प्रभावतः॥४॥
📜 अर्थ:
जो स्त्री निष्फल (अपुष्पा) है, वह फलदायी होती है;
और जो कन्याओं की माता है, वह इस स्तोत्र के प्रभाव से पुत्रवती होती है।
🕉️ श्लोक 5:
भूतप्रेतादिजा बाधा या बाधा कुलदोषजा।
ग्रह बाधा देव बाधा बाधा शत्रु कृता च या॥५॥
📜 अर्थ:
भूत, प्रेत, ग्रह दोष, कुल दोष, देव बाधा या शत्रु से उत्पन्न कोई भी बाधा क्यों न हो,
🕉️ श्लोक 6:
भस्मी भवन्ति सर्वास्ताः कवचस्य प्रभावतः।
सर्वे रोगा विनश्यन्ति सर्वे बालग्रहाश्च ये॥६॥
📜 अर्थ:
इस कवच के प्रभाव से सभी बाधाएँ नष्ट हो जाती हैं,
सभी रोग और बाल ग्रहों के दोष समाप्त हो जाते हैं।
🌼 ॥ अथ दुर्गा कवचम् ॥ (Durga Kavach Begins)
🕉️ श्लोक 1:
ॐ पुर्वं रक्षतु वाराही चाग्नेय्यां अम्बिका स्वयम्।
दक्षिणे चण्डिका रक्षेन्नैरृत्यां शववाहिनी॥१॥
📜 अर्थ:
पूर्व दिशा में वाराही, अग्नि कोण में अम्बिका, दक्षिण में चण्डिका, और नैऋत्य दिशा में शववाहिनी देवी रक्षा करें।
🕉️ श्लोक 2:
वाराही पश्चिमे रक्षेद्वायव्याम् च महेश्वरी।
उत्तरे वैष्णवीं रक्षेत् ईशाने सिंह वाहिनी॥२॥
📜 अर्थ:
पश्चिम दिशा में वाराही, वायव्य में महेश्वरी, उत्तर में वैष्णवी और ईशान कोण में सिंहवाहिनी रक्षा करें।
🕉️ श्लोक 3:
ऊर्ध्वां तु शारदा रक्षेदधो रक्षतु पार्वती।
शाकंभरी शिरो रक्षेन्मुखं रक्षतु भैरवी॥३॥
📜 अर्थ:
ऊपर से शारदा, नीचे से पार्वती रक्षा करें;
शाकंभरी देवी सिर की रक्षा करें और भैरवी मुख की रक्षा करें।
🕉️ श्लोक 4:
कण्ठं रक्षतु चामुण्डा हृदयं रक्षतात् शिवा।
ईशानी च भुजौ रक्षेत् कुक्षिं नाभिं च कालिका॥४॥
📜 अर्थ:
कंठ की रक्षा चामुंडा करें, हृदय की रक्षा शिवा करें,
भुजाओं की रक्षा ईशानी करें, और नाभि की रक्षा कालिका करें।
🕉️ श्लोक 5:
अपर्णा ह्युदरं रक्षेत्कटिं बस्तिं शिवप्रिया।
ऊरू रक्षतु कौमारी जया जानुद्वयं तथा॥५॥
📜 अर्थ:
अपर्णा देवी उदर की रक्षा करें, शिवप्रिया कमर की रक्षा करें,
कौमारी जांघों की रक्षा करें और जया दोनों घुटनों की रक्षा करें।
🕉️ श्लोक 6:
गुल्फौ पादौ सदा रक्षेद्ब्रह्माणी परमेश्वरी।
सर्वाङ्गानि सदा रक्षेद्दुर्गा दुर्गार्तिनाशनी॥६॥
📜 अर्थ:
गुल्फों और पैरों की रक्षा ब्रह्माणी करें,
और सम्पूर्ण शरीर की रक्षा दुर्गा करें जो सभी दुःखों का नाश करने वाली हैं।
🕉️ श्लोक 7:
नमो देव्यै महादेव्यै दुर्गायै सततं नमः।
पुत्रसौख्यं देहि देहि गर्भरक्षां कुरुष्व नः॥७॥
📜 अर्थ:
हे महादेवी दुर्गा! आपको नित्य नमस्कार।
हमें पुत्र-सुख प्रदान करें और गर्भ की रक्षा करें।
🕉️ श्लोक 8:
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं श्रीं ऐं ऐं ऐं
महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती रूपायै
नवकोटिमूर्त्यै दुर्गायै नमः ॥८॥
📜 अर्थ:
हे महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती स्वरूपा,
नवकोटि रूपों में विराजमान दुर्गा देवी को नमस्कार।
🕉️ श्लोक 9:
ह्रीं ह्रीं ह्रीं दुर्गार्तिनाशिनी संतानसौख्यम् देहि देहि… स्वाहा ॥९॥
📜 अर्थ:
हे दुर्गार्तिनाशिनी माँ! हमें संतान का सुख दो,
सभी बाधाएँ, दोष और रोगों का नाश करो, गर्भ की रक्षा और पालन करो।
🌸 ॥ फलश्रुति ॥ (Benefits of Vansh Kavach)
🕉️ श्लोक
(१)
अनेन कवचेनाङ्गं सप्तवाराभिमन्त्रितम् ।
ऋतुस्नात जलं पीत्वा भवेत् गर्भवती ध्रुवम् ॥
🔸 हिंदी अर्थ:
इस वंशवृद्धिकर कवच से शरीर को सात बार अभिमंत्रित (मंत्रपूर्वक स्पर्श या जल छिड़कने) करने के बाद,
यदि कोई स्त्री मासिक स्नान (ऋतुस्नान) के पश्चात उस जल को पी ले — तो वह निश्चित रूप से गर्भवती हो जाती है।
🔹 यह श्लोक दर्शाता है कि माँ दुर्गा के इस कवच का जप और जलाभिषेक गर्भधारण के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।
(२)
गर्भ पात भये पीत्वा दृढगर्भा प्रजायते ।
अनेन कवचेनाथ मार्जिताया निशागमे ॥
🔸 हिंदी अर्थ:
यदि किसी स्त्री को गर्भपात का भय हो, तो इस कवच से अभिमंत्रित जल पीने पर गर्भ स्थिर और सुरक्षित रहता है।
और यदि इस कवच के मंत्रों से जल द्वारा शरीर को स्नान कर रात के समय विश्राम किया जाए,
तो वह स्त्री सभी बाधाओं से मुक्त और सुखपूर्वक गर्भवती रहती है।
(३)
सर्वबाधाविनिर्मुक्ता गर्भिणी स्यान्न संशयः ।
अनेन कवचेनेह ग्रन्थितं रक्तदोरकम् ॥
🔸 हिंदी अर्थ:
इसमें तनिक भी संशय नहीं कि —
इस कवच के प्रभाव से स्त्री सभी प्रकार की बाधाओं, ग्रहदोषों और रोगों से मुक्त होकर गर्भधारण करती है।
यदि इस कवच के मंत्रों से लाल धागे (रक्तदोरकम्) को अभिमंत्रित कर
स्त्री अपनी कटि (कमर) में बाँध ले, तो वह सुपुत्र (संतान सुख) की प्राप्ति करती है।
(४)
कटि देशे धारयन्ती सुपुत्रसुख भागिनी ।
असूत पुत्रमिन्द्राणां जयन्तं यत्प्रभावतः ॥
🔸 हिंदी अर्थ:
जो स्त्री इस मंत्र से अभिमंत्रित लाल धागे (रक्तदोरक) को कटि देश (कमर) में धारण करती है,
वह सुपुत्र सुख की भागिनी (अर्थात् योग्य पुत्र की प्राप्ति करने वाली) बनती है।
इस कवच के प्रभाव से ही देवताओं की रानी इंद्राणी ने जयंत नामक पुत्र को जन्म दिया था।
(५)
गुरूपदिष्टं वंशाख्यं कवचं तदिदं सुखे ।
गुह्याद्गुह्यतरं चेदं न प्रकाश्यं हि सर्वतः ॥
🔸 हिंदी अर्थ:
यह वंशवृद्धिकर कवच गुरु द्वारा बताई गई अत्यंत पवित्र एवं गुप्त साधना है।
यह अति गोपनीय (गुह्य से भी अधिक गुह्य) है,
अतः इसे किसी भी अनधिकृत व्यक्ति या अविश्वासी के समक्ष प्रकट नहीं करना चाहिए।
(६)
धारणात् पठनादस्य वंशच्छेदो न जायते ।
बाला विनश्यन्ति पतन्ति गर्भाः-
स्तत्राबलाः कष्टयुताश्च वन्ध्याः ॥
🔸 हिंदी अर्थ:
जो इस कवच का पाठ और धारण करता है — उसके वंश में कभी भी वंशच्छेद (संतानहीनता) नहीं होती।
परन्तु जहाँ इस पवित्र कवच का पाठ या श्रद्धा से पालन नहीं होता,
वहाँ की स्त्रियाँ कष्ट से ग्रस्त, गर्भपात और संतानहीनता जैसी समस्याओं से पीड़ित रहती हैं।
🌹 निष्कर्ष (Conclusion) वंशवृद्धिकरं दुर्गा कवच :
“वंशवृद्धिकरं दुर्गा कवचम्” न केवल संतान प्राप्ति का वरदान है, बल्कि यह एक दैवीय कवच है जो गर्भ, स्त्री, और परिवार को हर प्रकार की नकारात्मकता, दोष और भय से सुरक्षित रखता है।
श्रद्धा, भक्ति और शुद्ध मन से इसका पाठ अवश्य करें।