सिद्ध कुंजिका स्तोत्र

🪔 🚩सिद्ध कुंजिका स्तोत्र – एक चमत्कारी स्तोत्र जो बदल दे जीवन🚩

🌸 परिचय (Introduction):

“सिद्ध कुंजिका स्तोत्र” दुर्गा सप्तशती में वर्णित एक अत्यंत शक्तिशाली और चमत्कारी स्तोत्र है। यह माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का सबसे सरल और प्रभावी साधन माना जाता है। कहा गया है कि जो व्यक्ति सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर सकता, वह केवल कुंजिका स्तोत्र का पाठ करे — उसे वही फल प्राप्त होता है जो सप्तशती के पाठ से मिलता है।

इस स्तोत्र का पाठ नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से फलदायी होता है और यह धन लाभ, शत्रु नाश, रोग मुक्ति, ऋण मुक्ति, करियर सफलता और मानसिक शांति प्रदान करता है।


🔱 सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का महत्व (Importance):

भगवान शिव ने स्वयं पार्वती को यह स्तोत्र बताया था। शिव ने कहा —

“कुंजिका स्तोत्र के पाठ मात्र से दुर्गा सप्तशती के समान फल प्राप्त होता है।”

यह इतना प्रभावशाली है कि इससे मारण, मोहन, वशीकरण, स्तम्भन, उच्चाटन जैसे सभी कार्य स्वतः सिद्ध हो जाते हैं। यह पाठ साधक के चारों ओर दिव्य ऊर्जा कवच बनाता है, जो उसे नकारात्मक शक्तियों से बचाता है।


🔮 कुंजिका स्तोत्र पाठ की विधि (Path Vidhi):

  1. नवरात्रि के पहले दिन संकल्प लें कि आप नौ दिन तक प्रतिदिन पाठ करेंगे।
  2. स्नान कर लाल वस्त्र धारण करें और देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठें।
  3. घी या तेल का दीपक जलाएं, मिष्ठान्न या हलवे का नैवेद्य लगाएं।
  4. हाथ में पुष्प, अक्षत, जल और एक रुपए का सिक्का लेकर संकल्प करें।
  5. “ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥” मंत्र का जप कर कुंजिका स्तोत्र का पाठ प्रारंभ करें।

🌺 समय: रात्रि 9 बजे से मध्यरात्रि तक सबसे शुभ होता है।
🪔 आसन: लाल आसन पर बैठें।
🔥 दीपक: दायें ओर घी का, बायें ओर सरसों तेल का दीपक जलाएं।

🔮 कुंजिका स्तोत्र पाठ की विधि (Path Vidhi):

  1. नवरात्रि के पहले दिन संकल्प लें कि आप नौ दिन तक प्रतिदिन पाठ करेंगे।
  2. स्नान कर लाल वस्त्र धारण करें और देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठें।
  3. घी या तेल का दीपक जलाएं, मिष्ठान्न या हलवे का नैवेद्य लगाएं।
  4. हाथ में पुष्प, अक्षत, जल और एक रुपए का सिक्का लेकर संकल्प करें।
  5. “ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥” मंत्र का जप कर कुंजिका स्तोत्र का पाठ प्रारंभ करें।

🌺 समय: रात्रि 9 बजे से मध्यरात्रि तक सबसे शुभ होता है।
🪔 आसन: लाल आसन पर बैठें।
🔥 दीपक: दायें ओर घी का, बायें ओर सरसों तेल का दीपक जलाएं।

श्री सिद्धकुंजिकास्तोत्रम् विनियोग

विनियोग ॐ अस्य श्री कुन्जिका स्त्रोत्र मंत्रस्य सदाशिव ऋषि: अनुष्टुपूछंदः श्रीत्रिगुणात्मिका देवता ॐ ऐं बीजं ॐ ह्रीं शक्ति: ॐ क्लीं कीलकं मम सर्वाभीष्टसिध्यर्थे जपे विनयोग: ॥

श्री सिद्धकुंजिकास्तोत्रम्

शिव उवाच
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः भवेत् ॥१॥

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ॥२॥

कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥३॥

गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति ।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।

पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥४॥

अथ मन्त्रः

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा
इति मन्त्रः॥
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि ॥१॥

नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन ॥२॥

जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे ।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ॥३॥

क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते ।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी ॥४॥

विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण ॥५॥

धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु ॥६॥

हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी ।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः ॥७॥

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ॥८॥
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे ॥
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे ।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति ॥
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत् ।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा ॥
इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती
संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्ण।

🕉️ सिद्ध कुंजिका स्तोत्र मंत्र:

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
ऊं ग्लौं हुं क्लीं जूं सः।
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल।
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा॥


🌿 कुंजिका स्तोत्र पाठ के लाभ (Benefits):

1️⃣ धन लाभ के लिए:

यदि आपके जीवन में निरंतर धन की कमी है या खर्च अधिक हो रहे हैं, तो कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से धन की प्राप्ति होती है और नई आर्थिक संभावनाएं खुलती हैं।

2️⃣ शत्रु नाश:

शत्रुओं से मुक्ति और मुकदमों में विजय के लिए यह स्तोत्र अत्यंत प्रभावशाली है।

3️⃣ रोग मुक्ति:

गंभीर रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए नियमित पाठ करें।

4️⃣ ऋण मुक्ति:

यदि कर्ज से परेशान हैं, तो सात दिनों तक नियमित पाठ करने से ऋणमुक्ति होती है।

5️⃣ दांपत्य सुख और मानसिक शांति:

यह पाठ दांपत्य जीवन में मधुरता लाता है और मन को स्थिर करता है।


🌕 इच्छा पूर्ति के लिए विशेष उपाय (Special Remedies):

उद्देश्यपाठ संख्याविशेष उपाय
विद्या प्राप्ति5 बारअक्षत लेकर तीन बार अपने ऊपर से घुमाकर किताबों में रखें
यश व कीर्ति5 बारदेवी को अर्पित लाल पुष्प को तिजोरी में रखें
धन प्राप्ति9 बारसफेद तिल से आहुति दें
मुकदमे से मुक्ति7 बारएक नींबू काटकर दोनों हिस्से अलग-अलग दिशा में फेंक दें
ऋण मुक्ति7 बारजौं की 21 आहुतियां दें
घर की शांति3 बारमीठा पान देवी को अर्पित करें
स्वास्थ्य लाभ3 बारदेवी को नींबू चढ़ाएं और बाद में सेवन करें
शत्रु नाश7 या 11 बारलगातार पाठ करें
रोजगार व करियर5 या 7 बारएक सुपारी देवी को चढ़ाकर अपने पास रखें
सर्व बाधा शांति3 बारलोंग के तीन जोड़े चढ़ाएं

🌺 सावधानियां (Precautions):

  • पाठ के समय मन, वाणी और कर्म से पवित्र रहें।
  • नवरात्रि या अनुष्ठान काल में मांस, मदिरा और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
  • किसी को नुकसान पहुँचाने की भावना से यह पाठ न करें, वरना इसका विपरीत प्रभाव हो सकता है।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें और भूमि पर शयन करें।

यह मंत्र देवी चामुंडा की दिव्य शक्ति को जागृत करता है, जो साधक के जीवन से सभी नकारात्मकता और बाधाओं को समाप्त करती है।

🔔 निष्कर्ष (Conclusion): सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र” केवल एक पाठ नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक कुंजी है जो जीवन के हर दरवाजे को खोल सकती है। जो भक्त श्रद्धा, संयम और पवित्र भाव से इसका पाठ करता है — उसके जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और दिव्य शक्ति का संचार होता है।

🌺 “जय माँ दुर्गा – जय चामुंडा माई की” 🌺

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