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श्री यशोदालाल आरती | Shri Yashoda Lal Aarti Lyrics in Hindi

Shri Yashoda Lal Aarti

परिचय

भगवान श्रीकृष्ण को उनके बाल रूप में यशोदा लाला के नाम से पूजा जाता है। व्रज की गोपियाँ और माता यशोदा कृष्ण को बालक रूप में निहाल होकर आराधना करती थीं। श्री यशोदालाल आरती का गान करने से जीवन में आनंद, पारिवारिक सुख और भक्ति का संचार होता है।


श्री यशोदालाल आरती (पूर्ण पाठ)

॥ श्री यशोदालाल आरती ॥

आरति करत यसोदा प्रमुदित, फूली अङ्ग न मात।
बल-बल कहि दुलरावत, आनन्द मगन भई पुलकात॥

सुबरन-थार रत्न-दीपावली, चित्रित घृत-भीनी बात।
कल सिन्दूर दूब दधि, अछ्छत तिलक करत बहु भाँत॥

अन्न चतुर्विध बिबिध भोग, दुन्दुभि बाजत बहु जात।
नाचत गोप कुम्कुमा, छिरकत देत अखिल नगदात॥

बरसत कुसुम निकर-सुर-नर-मुनि, व्रजजुवती मुसकात।
कृष्णदास-प्रभु गिरधर को, मुख निरख लजत ससि-काँत॥


श्री यशोदालाल आरती का महत्व


कब करें श्री यशोदालाल की आरती?


FAQ – श्री यशोदालाल आरती

Q1: श्री यशोदालाल कौन हैं?
👉 भगवान श्रीकृष्ण का बाल रूप।

Q2: इस आरती का पाठ कब करना चाहिए?
👉 प्रतिदिन सुबह-शाम और विशेष पर्व पर।

Q3: यशोदालाल आरती का क्या महत्व है?
👉 घर में सुख-शांति और आनंद का वातावरण बनता है।

Q4: क्या इसे घर पर गाया जा सकता है?
👉 हाँ, इसे परिवार सहित भक्ति भाव से गाना शुभ है।

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