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श्री रामायण जी की आरती | Ramayan Ji Ki Aarti in Hindi

Shri Ramayan Ji Ki Aarti

परिचय

हिंदू धर्म में श्री रामायण जी का विशेष महत्व है। यह ग्रंथ भगवान श्रीराम के जीवन, आदर्शों और धर्म की गाथा को प्रस्तुत करता है। श्री रामायण जी की आरती का पाठ करने से जीवन में सुख-शांति, ज्ञान और धर्म की प्राप्ति होती है। इस आरती का गान करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी दुखों का नाश होता है।


श्री रामायण जी की आरती (Aarti Shri Ramayan Ji Ki)

आरती श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

गावत ब्राह्मादिक मुनि नारद।
बालमीक विज्ञान विशारद।
शुक सनकादि शेष अरु शारद।
बरनि पवनसुत कीरति नीकी॥
आरती श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

गावत वेद पुरान अष्टदस।
छओं शास्त्र सब ग्रन्थन को रस।
मुनि-मन धन सन्तन को सरबस।
सार अंश सम्मत सबही की॥
आरती श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

गावत सन्तत शम्भू भवानी।
अरु घट सम्भव मुनि विज्ञानी।
व्यास आदि कविबर्ज बखानी।
कागभुषुण्डि गरुड़ के ही की॥
आरती श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

कलिमल हरनि विषय रस फीकी।
सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की।
दलन रोग भव मूरि अमी की।
तात मात सब विधि तुलसी की॥
आरती श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिया-पी की॥


श्री रामायण जी की आरती का महत्व


कब और कैसे करें श्री रामायण जी की आरती?


निष्कर्ष

श्री रामायण जी की आरती का नियमित पाठ करने से भक्तों को दिव्य शांति, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह आरती भक्तों के जीवन में धर्म, भक्ति और शक्ति का संचार करती है।

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