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श्री पुरुषोत्तम देव की आरती (Shri Purushottam Dev Ki Aarti)

Shri Purushottam Dev Aarti

श्री पुरुषोत्तम देव आरती का महत्व

जय पुरुषोत्तम देवा, स्वामी जय पुरुषोत्तम देवा – यह आरती भगवान पुरुषोत्तम को समर्पित है। पुरुषोत्तम देव विष्णु के सर्वोच्च रूप हैं और भक्तों के कष्टों को हरने वाले, उनके जीवन में सुख और समृद्धि लाने वाले हैं।

इस आरती को सुनने और गाने से मानसिक शांति, भक्ति भाव और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। इसे विशेष रूप से पुरुषोत्तम व्रत और पूजा में किया जाता है।


आरती की पंक्तियाँ

जय पुरुषोत्तम देवा, स्वामी जय पुरुषोत्तम देवा।
महिमा अमित तुम्हारी, सुर-मुनि करें सेवा।
जय पुरुषोत्तम देवा।

सब मासों में उत्तम, तुमको बतलाया।
कृपा हुई जब हरि की, कृष्ण रूप पाया।
जय पुरुषोत्तम देवा।

पूजा तुमको जिसने, सर्व सुक्ख दीना।
निर्मल करके काया, पाप छार कीना।
जय पुरुषोत्तम देवा।

मेधावी मुनि कन्या, महिमा जब जानी।
द्रोपदी नाम सती से, जग ने सन्मानी।
जय पुरुषोत्तम देवा।

विप्र सुदेव सेवा कर, मृत सुत पुनि पाया।
धाम हरि का पाया, यश जग में छाया।
जय पुरुषोत्तम देवा।

नृप दृढ़धन्वा पर जब, तुमने कृपा करी।
व्रतविधि नियम और पूजा, कीनी भक्ति भरी।
जय पुरुषोत्तम देवा।

शूद्र मणीग्रिव पापी, दीपदान किया।
निर्मल बुद्धि तुम करके, हरि धाम दिया।
जय पुरुषोत्तम देवा।

पुरुषोत्तम व्रत-पूजाहित, चित से करते।
प्रभुदास भव नद से, सहज ही वे तरते।
जय पुरुषोत्तम देवा।


पुरुषोत्तम देव आरती करने के लाभ


आरती करने का सही तरीका

  1. शुद्ध स्थान पर दीपक और धूप करें।
  2. पुरुषोत्तम देव की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
  3. आरती की पंक्तियों को ध्यानपूर्वक पढ़ें या गाएं।
  4. अंत में “जय पुरुषोत्तम देवा” का उच्चारण करें।
  5. श्रद्धा और भक्ति भाव से आरती को समर्पित करें।

निष्कर्ष:
श्री पुरुषोत्तम देव की आरती – जय पुरुषोत्तम देवा, भक्तों को भगवान की कृपा, आध्यात्मिक ऊर्जा और जीवन में सुख-समृद्धि प्रदान करती है। इसे नियमित रूप से गाने या सुनने से जीवन में शांति और सकारात्मक बदलाव आते हैं।

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