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🪔 श्रीकृष्णाष्टकम् पाठ– श्रीकृष्ण की भक्ति से पापों का नाश करने वाला स्तोत्र

Bhagwan Giridhari Aarti

🌸 परिचय

श्रीकृष्णाष्टकम् भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति में रचा गया एक दिव्य स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान वासुदेव के पुत्र, देवकीनंदन श्रीकृष्ण के आठ सुंदर श्लोकों में उनकी लीलाओं, स्वरूप और गुणों का वर्णन करता है। मान्यता है कि जो भक्त प्रतिदिन प्रातःकाल इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसके कोटि जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में आनंद, शांति और समृद्धि आती है।


🌼 श्रीकृष्णाष्टकम् पाठ

1️⃣

वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम्।
देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥1॥

2️⃣

अतसी पुष्प सङ्काशम् हार नूपुर शोभितम्।
रत्न कङ्कण केयूरं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥2॥

3️⃣

कुटिलालक संयुक्तं पूर्णचन्द्र निभाननम्।
विलसत् कुण्डलधरं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥3॥

4️⃣

मन्दार गन्ध संयुक्तं चारुहासं चतुर्भुजम्।
बर्हि पिञ्छाव चूडाङ्गं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥4॥

5️⃣

उत्फुल्ल पद्मपत्राक्षं नील जीमूत सन्निभम्।
यादवानां शिरोरत्नं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥5॥

6️⃣

रुक्मिणी केलि संयुक्तं पीताम्बर सुशोभितम्।
अवाप्त तुलसी गन्धं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥6॥

7️⃣

गोपिकानां कुचद्वन्द्व कुङ्कुमाङ्कित वक्षसम्।
श्रीनिकेतं महेष्वासं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥7॥

8️⃣

श्रीवत्साङ्कं महोरस्कं वनमाला विराजितम्।
शङ्खचक्रधरं देवं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥8॥


🌿 फलश्रुति (पाठ का फल)

कृष्णाष्टक मिदं पुण्यं प्रातरुत्थाय यः पठेत्।
कोटिजन्म कृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥

अर्थ:
जो भक्त प्रतिदिन प्रातःकाल इस श्रीकृष्णाष्टक का पाठ करता है, उसके अनेक जन्मों के पाप भी स्मरण मात्र से नष्ट हो जाते हैं।


🌺 महत्व और लाभ : श्रीकृष्णाष्टकम् पाठ


💠 श्रीकृष्णाष्टकम् पाठ करने का शुभ समय

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