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श्री जानकी स्तुति | दरिद्रता का नाश और सभी कामनाओं की पूर्ति हेतु (Shri Janaki Stuti with Hindi Meaning | For Wealth, Prosperity & Removal of Poverty)

Shri Janaki Stuti

परिचय (Introduction)

श्रीस्कन्दमहापुराण के सेतुमाहात्म्य खंड में वर्णित यह पवित्र श्री जानकी स्तुति अत्यंत फलदायी मानी गई है।
जो व्यक्ति श्रद्धा से इस स्तुति का पाठ करता है, उसके जीवन से दारिद्र्य (गरीबी) का नाश होता है, पापों का शमन होता है तथा उसे अभीष्ट फल एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।


🌷 श्री जानकी स्तुति (Shri Janaki Stuti in Sanskrit with Hindi Meaning)

🍁 जानकि त्वां नमस्यामि सर्वपापप्रणाशिनीम् ॥
दारिद्र्यरणसंहर्त्रीं भक्तानाभिष्टदायिनीम् ।
विदेहराजतनयां राघवानन्दकारिणीम् ॥

अर्थ:
हे जनकनंदिनी जानकी माता! आपको नमस्कार है। आप समस्त पापों का नाश करने वाली, दारिद्र्य का संहार करने वाली तथा भक्तों की अभिलाषा पूर्ण करने वाली हैं। आप राघव श्रीराम को आनंद देने वाली हैं।


🍁 भूमेर्दुहितरं विद्यां नमामि प्रकृतिं शिवाम् ।
पौलस्त्यैश्वर्यसंहर्त्रीं भक्ताभीष्टां सरस्वतीम् ॥

अर्थ:
आप पृथ्वी की कन्या हैं, ज्ञानस्वरूपा, कल्याणमयी प्रकृति हैं। आप रावण के ऐश्वर्य का नाश करने वाली और भक्तों को अभीष्ट फल देने वाली सरस्वतीस्वरूपा हैं।


🍁 पतिव्रताधुरीणां त्वां नमामि जनकात्मजाम् ।
अनुग्रहपरामृद्धिमनघां हरिवल्लभाम् ॥

अर्थ:
पतिव्रताओं में श्रेष्ठ जनकनंदिनी! आपको नमस्कार है। आप अनुग्रह देने वाली, समृद्धि प्रदान करने वाली, पापरहित और विष्णुप्रिया लक्ष्मी हैं।


🍁 आत्मविद्यां त्रयीरूपामुमारूपां नमाम्यहम् ।
प्रसादाभिमुखीं लक्ष्मीं क्षीराब्धितनयां शुभाम् ॥

अर्थ:
आप आत्मविद्या हैं, वेदत्रयी स्वरूपा हैं, पार्वतीरूपा हैं। क्षीरसागर की कन्या लक्ष्मी के समान कृपा प्रदान करने वाली हैं।


🍁 नमामि चन्द्रभगिनीं सीतां सर्वाङ्गसुन्दरीम् ।
नमामि धर्मनिलयां करुणां वेदमातरम् ॥

अर्थ:
हे चंद्रमा की भगिनी, सर्वांगसुंदरी सीतामाता! मैं आपको प्रणाम करता हूं। आप धर्म की आधारभूता, करुणामयी और वेदमाता हैं।


🍁 पद्मालयां पद्महस्तां विष्णुवक्षःस्थलालयाम् ।
नमामि चन्द्रनिलयां सीतां चन्द्रनिभाननाम् ॥

अर्थ:
आप कमल में निवास करने वाली, कमलहस्त, विष्णुवक्षस्थल निवासी और चंद्रमा के समान मुख वाली सीतामाता हैं।


🍁 आह्लादरूपिणीं सिद्धिं शिवां शिवकरीं सतीम् ।
नमामि विश्वजननीं रामचन्द्रेष्टवल्लभाम् ।
सीतां सर्वानवद्याङ्गीं भजामि सततं हृदा ॥

अर्थ:
आप आनंदमयी सिद्धि हैं, शिवस्वरूपा, शिवकारी सती हैं।
आप विश्व की जननी और श्रीराम की प्रियतम हैं।
मैं आपको हृदय से निरंतर भजता हूं।


🌼 फलश्रुति (Phalashruti)

जो भी श्रद्धापूर्वक श्री जानकी स्तुति का पाठ करता है, उसके जीवन में धन, सुख, समृद्धि, सौभाग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
माता जानकी दरिद्रता, पाप और कष्टों का नाश कर भक्तों को वैभव एवं संतोष प्रदान करती हैं।


🙏 ॥ इस प्रकार श्रीस्कन्दमहापुराणान्तर्गत सेतुमाहात्म्य में श्री जानकी स्तुति सम्पूर्ण हुई ॥
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