🌿 परिचय
प्राचीन हिन्दू धर्मग्रन्थों में सर्पों और विषैले जीव-जन्तुओं से रक्षा के अनेक मन्त्र वर्णित हैं।
नीचे दिया गया यह अद्भुत “सर्प विष नाशक मन्त्र” (Sarpa Vish Nashak Mantra) उमादेवी को समर्पित है, जो रुद्र के हृदय में निवास करनेवाली महेश्वरी शक्ति हैं।
इस मन्त्र का जप और प्रयोग सर्पदंश, कीटदंश, या विष के प्रभाव को दूर करने के लिए किया जाता है।
🕉️ सर्पविष नाशक महामन्त्र (Sarpa Vish Nashak Mantra)
मन्त्र:
ॐ कणिचिकीणिकक्वाणी चवणी भूतहारिणि
फणिविधिणि विरथनारायणि उमे दह दह हस्ते चण्डे
रौद्रे माहेश्वरि महामुखि ज्वालामुखि शकणि शुकमुण्डे
शत्रु हन हन सर्वनाशिनि स्वेदय सर्वाङ्गशोणितं तन्निरीक्षसि
मनसा देवि सम्मोहय सम्मोहय रुद्रस्य हृदये जाता रुद्रस्य
हृदये स्थिता। रुद्रो रौद्रेण रूपेण त्वं देवि रक्ष रक्ष मां
हूं मां हूं फफफ ठठ स्कन्दमेखलाबालग्रहशत्रुविषहारी
ॐ शाले माले हर हर विषोङ्काररहिविषवेगे हां हां
शवरि हूं शवरि आकौलवेगेशे सर्वे विंचमेघमाले
सर्वनागादिविषहरणम्।
🙏 मन्त्र का भावार्थ (Meaning and Significance)
इस मन्त्र में साधक माहेश्वरी उमादेवी से प्रार्थना करता है —
“हे उमे! तुम रुद्र के हृदय से उत्पन्न हुई और वहीं निवास करती हो।
तुम्हारा रूप रौद्र और ज्वालामुखि है।
तुम भूतों की अधिष्ठात्री, विषरूपिणी, विस्थनारायणी और शुकमुण्डा हो।
हे चण्डादेवी! अपने हाथों में अग्निशक्ति उत्पन्न करो,
और शत्रु एवं विष का हनन करो।
मेरे सर्वाङ्ग में फैले विष को नष्ट कर दो।
काटनेवाले जन्तु को सम्मोहित करो और रक्षा करो।”
🔥 मन्त्र जप विधि (Method of Chanting)
- रोगी (या विषग्रस्त व्यक्ति) के समीप बैठकर इस मन्त्र का उच्चारण करें।
- “हूं मां हूं फफफ ठठ” का उच्चारण करते हुए रोगी को स्पर्श करें।
- फिर निम्न पंक्तियाँ श्रद्धापूर्वक कहें —
स्कन्दकी मेखलारूपी बालग्रहों, शत्रुओं और विष का हरण करनेवाली हे शाला-माला! नाना प्रकार के विषों के वेग का हरण कर, हरण कर। हां हां शवरि हूं शवरि आकौलवेगेशे सर्वे विंचमेघमाले सर्वनागादिविषहरणम्। - यह मन्त्र रोगी के शरीर में ऊर्जा प्रवाह और विषनाशक शक्ति को जाग्रत करता है।
- जप के समय देवी उमादेवी और भगवान् रुद्र का ध्यान अवश्य करें।
🌸 देवी माहेश्वरी से प्रार्थना (Prayer to Goddess Uma)
हे उमादेवी,
जो रुद्र के हृदय में निवास करती हो,
जो भूतों की अधिष्ठात्री और विषहरिणी हो,
जो अग्निशिखा के समान तेजस्विनी हो,
कृपया मेरे शरीर से विष का प्रभाव दूर करें,
और मुझे भय, पीड़ा तथा मृत्यु से रक्षा करें।
⚡सर्प विष नाशक मन्त्र की विशेषताएँ
- यह मन्त्र विषहरण, भूत-प्रेत निवारण और रोग शान्ति तीनों में प्रभावी है।
- तंत्र और आयुर्वेद दोनों परम्पराओं में इसका उल्लेख है।
- रात्रि काल, शुक्ल पक्ष या सोमवार के दिन जप करना श्रेष्ठ माना गया है।
- मन्त्र-सिद्धि के बाद साधक स्वयं भी विषनाशक ऊर्जा प्राप्त करता है।
📿 सावधानियाँ : सर्प विष नाशक मन्त्र
- मन्त्र जप के साथ चिकित्सकीय उपचार भी आवश्यक है।
- यह मन्त्र श्रद्धा और शुद्ध आचरण से ही फल देता है।
- नकारात्मक प्रयोग (वशीकरण या शत्रु-हानि) से बचें।