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🪶 श्री सरस्वती स्तोत्रम् | Saraswati Stotram in Sanskrit and Hindi

Saraswati Stotram in Sanskrit and Hindi

🌼 परिचय (Introduction):

माँ सरस्वती — ज्ञान, बुद्धि, संगीत और वाणी की देवी हैं।
“Saraswati Stotram in Sanskrit and Hindi” का पाठ करने से व्यक्ति के भीतर से अज्ञान का अंधकार मिटता है और ज्ञान का प्रकाश प्रकट होता है। यह स्तोत्र वेदों और पुराणों में वर्णित एक अत्यंत पवित्र वंदना है जो विद्या और वाणी की सिद्धि प्रदान करती है।

यह स्तोत्र विद्यार्थियों, शिक्षकों, कलाकारों और ज्ञान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है।


🌸 ॥ श्री सरस्वती स्तोत्रम् ॥

या कुन्देन्दु-तुषारहार-धवला
या शुभ्र-वस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा
या श्वेतपद्मासना।

या ब्रह्माच्युत-शङ्कर-प्रभृतिभिर्देवैः
सदा पूजिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती
निःशेषजाड्यापहा॥1॥

दोर्भिर्युक्ता चतुर्भिः
स्फटिकमणिमयीमक्षमालां दधाना
हस्तेनैकेन पद्मं सितमपि
च शुकं पुस्तकं चापरेण।

भासा कुन्देन्दु-शङ्खस्फटिकमणिनिभा
भासमानाऽसमाना
सा मे वाग्देवतेयं निवसतु
वदने सर्वदा सुप्रसन्ना॥2॥

आशासु राशी भवदंगवल्लि भासैव
दासीकृत-दुग्धसिन्धुम्।
मन्दस्मितैर्निन्दित-शारदेन्दुं
वन्देऽरविन्दासन-सुन्दरि त्वाम्॥3॥

शारदा शारदाम्बोजवदना वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदास्माकं सन्निधिं सन्निधिं क्रियात्॥4॥

सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृ-देवताम्।
देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतो जनाः॥5॥

पातु नो निकषग्रावा मतिहेम्नः सरस्वती।
प्राज्ञेतरपरिच्छेदं वचसैव करोति या॥6॥

शुद्धां ब्रह्मविचारसारपरमा-माद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।

हस्ते स्पाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थितां
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥7॥

वीणाधरे विपुलमंगलदानशीले
भक्तार्तिनाशिनि विरिंचिहरीशवन्द्ये।
कीर्तिप्रदेऽखिलमनोरथदे महार्हे
विद्याप्रदायिनि सरस्वति नौमि नित्यम्॥8॥

श्वेताब्जपूर्ण-विमलासन-संस्थिते हे
श्वेताम्बरावृतमनोहरमंजुगात्रे।
उद्यन्मनोज्ञ-सितपंकजमंजुलास्ये
विद्याप्रदायिनि सरस्वति नौमि नित्यम्॥9॥

मातस्त्वदीय-पदपंकज-भक्तियुक्ता
ये त्वां भजन्ति निखिलानपरान्विहाय।
ते निर्जरत्वमिह यान्ति कलेवरेण
भूवह्नि-वायु-गगनाम्बु-विनिर्मितेन॥10॥

मोहान्धकार-भरिते हृदये मदीये
मातः सदैव कुरु वासमुदारभावे।
स्वीयाखिलावयव-निर्मलसुप्रभाभिः
शीघ्रं विनाशय मनोगतमन्धकारम्॥11॥

ब्रह्मा जगत् सृजति पालयतीन्दिरेशः
शम्भुर्विनाशयति देवि तव प्रभावैः।
न स्यात्कृपा यदि तव प्रकटप्रभावे
न स्युः कथंचिदपि ते निजकार्यदक्षाः॥12॥

लक्ष्मिर्मेधा धरा पुष्टिर्गौरी तृष्टिः प्रभा धृतिः।
एताभिः पाहि तनुभिरष्टभिर्मां सरस्वती॥13॥
सरसवत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमो नमः।
वेद-वेदान्त-वेदांग-विद्यास्थानेभ्य एव च॥14॥

सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने।
विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तु ते॥15॥

यदक्षर-पदभ्रष्टं मात्राहीनं च यद्भवेत्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि॥16॥

॥ इति श्रीसरस्वती स्तोत्रम् संपूर्णं ॥


🕉️ अर्थ (Meaning in Hindi)

इस स्तोत्र में माँ सरस्वती का वर्णन श्वेत वर्ण, शुभ्र वस्त्र, वीणा और पुस्तक धारण करने वाली रूप में किया गया है। वे सदा ब्रह्मा, विष्णु और महेश द्वारा पूजित हैं और सभी प्रकार के अज्ञान का नाश करती हैं।

जो भक्त प्रतिदिन श्रद्धा से इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसके जीवन में ज्ञान, वाणी की स्पष्टता, विद्या की प्राप्ति और बुद्धि की प्रखरता आती है।


🌺 श्री सरस्वती स्तोत्रम् के लाभ (Benefits of Chanting Saraswati Stotram)

  1. शिक्षा और परीक्षा में सफलता।
  2. वाणी, संगीत और लेखन में निपुणता।
  3. आत्मविश्वास और मन की शांति प्राप्त होती है।
  4. अज्ञान, भ्रम और मानसिक तनाव दूर होता है।
  5. आध्यात्मिक ज्ञान और आत्मबोध में वृद्धि होती है।

📿 पाठ का श्रेष्ठ समय (Best Time to Recite)


🙏 उपसंहार (Conclusion) : Saraswati Stotram in Sanskrit and Hindi

“श्री सरस्वती स्तोत्रम्” केवल एक प्रार्थना नहीं, बल्कि ज्ञान के प्रति समर्पण और आत्म-उन्नति का मार्ग है।
माँ सरस्वती की कृपा से ही जीवन में प्रकाश, बुद्धि और सफलता का संचार होता है।

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