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नील सरस्वती मंत्र साधना: वाक्‌सिद्धि और सम्मोहन शक्ति का रहस्य | Neel Saraswati Mantra Sadhana for Vak Siddhi and Hypnotic Power

Neel Saraswati Mantra Sadhana

🌺 नील सरस्वती साधना का रहस्य

नील सरस्वती मंत्र साधना करने वाला व्यक्ति अपने शब्दों से ही किसी को सम्मोहित कर सकता है।
यह मंत्र अत्यंत प्रभावशाली है। इसे सिद्ध करने वाला व्यक्ति वाक्‌शक्ति में प्रबल हो जाता है और वाक्‌युद्ध में कभी हार नहीं सकता।
वह कभी निरुत्साहित नहीं होता और आत्मविश्वास से परिपूर्ण रहता है।


🌷 नील सरस्वती के दो स्वरूप

नील सरस्वती की उपासना दो स्वरूपों में होती है —

  1. सौम्य स्वरूप – वाक्सिद्धि, धन-धान्य और शत्रु कलह शमन के लिए।
  2. उग्र स्वरूप – तारा तंत्र की विविध सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए।

यहाँ दी गई साधना सौम्य स्वरूप की उपासना है, जो समाज, व्यापार, राजनीति, शिक्षण, प्रवचन आदि क्षेत्रों में सफलता दिलाती है।


🕉️ नील सरस्वती साधना का महत्व

इस साधना से:

जो ज्योतिष इस साधना को कर लेते हैं, उनकी की गई भविष्यवाणी सत्य सिद्ध होती है।
नील सरस्वती स्तोत्र का नियमित पाठ करने से शत्रु और कलह शांत हो जाते हैं।


🪶 साधना सामग्री

  1. 1 नीला हकीक पत्थर (अंगूठी के आकार का)
  2. सरस्वती यंत्र
  3. स्फटिक माला
  4. शुद्ध घी से भरा बड़ा दिया

🕰️ साधना की अवधि और समय


🧘 साधना की विधि

  1. एकांत कमरे में साधना करें और दरवाज़ा बंद रखें ताकि कोई बाहरी रोशनी न आए।
  2. घी का दीपक जलाकर उसकी रोशनी में साधना प्रारंभ करें।
  3. देह रक्षा मंत्र का 11 बार जाप करें – ॥ हूं हूं ह्रीं ह्रीं कालिके घोर दंष्ट्रे प्रचंड चंड नायिके दानवान दारय हन हन शरीर महाविघ्न छेदय छेदय स्वाहा हूँ फट ॥
  4. उत्तर दिशा की ओर मुख करके सरस्वती यंत्र के मध्य में नीला हकीक पत्थर रखें।
  5. लघु पूजन करें और संकल्प लें।
  6. गुरु मंत्र की 1 माला जपें।
  7. उसके बाद नील सरस्वती मंत्र की 11 माला जपें।
  8. इस विधि को 21 दिन तक निरंतर करें।
  9. 22वें दिन पत्थर को निकालकर चाँदी की अंगूठी बनवाएँ और दाएँ हाथ की अनामिका में धारण करें।

📿 विनियोग

॥ ॐ अस्य नील सरस्वती मंत्रस्य ब्रह्म ऋषिः, गायत्री छन्दः, नील सरस्वती देवता, ममाभीष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोगः ॥


🔮 नील सरस्वती मंत्र

॥ ॐ श्रीं ह्रीं हसौ: हूँ फट नीलसरस्वत्यै स्वाहा ॥
👉 (रोज़ाना 11 माला जाप करें)


🌼 नील सरस्वती स्तोत्र

घोररूपे महारावे सर्वशत्रुभयंकरि.

भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।1।।

ॐ सुरासुरार्चिते देवि सिद्धगन्धर्वसेविते.

जाड्यपापहरे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।2।।

जटाजूटसमायुक्ते लोलजिह्वान्तकारिणि.

द्रुतबुद्धिकरे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।3।।

सौम्यक्रोधधरे रूपे चण्डरूपे नमोSस्तु ते.

सृष्टिरूपे नमस्तुभ्यं त्राहि मां शरणागतम्।।4।।

जडानां जडतां हन्ति भक्तानां भक्तवत्सला.

मूढ़तां हर मे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।5।।

वं ह्रूं ह्रूं कामये देवि बलिहोमप्रिये नम:।

उग्रतारे नमो नित्यं त्राहि मां शरणागतम्।।6।।

बुद्धिं देहि यशो देहि कवित्वं देहि देहि मे.

मूढत्वं च हरेद्देवि त्राहि मां शरणागतम्।।7।।

इन्द्रादिविलसदद्वन्द्ववन्दिते करुणामयि.

तारे ताराधिनाथास्ये त्राहि मां शरणागतम्।।8।।

अष्टभ्यां च चतुर्दश्यां नवम्यां य: पठेन्नर:।

षण्मासै: सिद्धिमाप्नोति नात्र कार्या विचारणा।।9।।

मोक्षार्थी लभते मोक्षं धनार्थी लभते धनम्.

विद्यार्थी लभते विद्यां विद्यां तर्कव्याकरणादिकम।।10।।

इदं स्तोत्रं पठेद्यस्तु सततं श्रद्धयाSन्वित:।

तस्य शत्रु: क्षयं याति महाप्रज्ञा प्रजायते।।11।।

पीडायां वापि संग्रामे जाड्ये दाने तथा भये.

य इदं पठति स्तोत्रं शुभं तस्य न संशय:।।12।।

इति प्रणम्य स्तुत्वा च योनिमुद्रां प्रदर्शयेत।।13।।


🌙 सिद्धि और लाभ

इस साधना से मिलने वाले लाभ —


⚡ विशेष निर्देश


🌺 निष्कर्ष

नील सरस्वती मंत्र साधना केवल एक तांत्रिक या ज्योतिषीय प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह आत्मिक शक्ति और वाक् सिद्धि का माध्यम है।
जो साधक श्रद्धा, अनुशासन और गुरु के मार्गदर्शन में यह साधना करते हैं,
उन्हें जीवन में कभी वाणी, ज्ञान और आत्मबल की कमी नहीं रहती।

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