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नवरात्रि का छठा दिन: माँ कात्यायनी की कहानी, पूजा विधि और महिमा | Navratri Sixth Day – Maa Katyayani

Katyayani Mata

नवरात्रि का छठा दिन (Navratri Sixth Day)

नवरात्रि के छठे दिन माँ दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है। वे शक्ति और साहस की देवी मानी जाती हैं। माँ कात्यायनी को अष्टमहा शक्ति में से एक माना गया है।


माँ कात्यायनी की कहानी (Maa Katyayani Ki Kahani in Hindi)

पौराणिक कथा के अनुसार, महर्षि कात्यायन ने वर्षों तक देवी की कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। इसी कारण उनका नाम कात्यायनी पड़ा।

जब असुरराज महिषासुर ने त्रिलोक में आतंक मचाया, तब देवताओं की प्रार्थना पर माँ कात्यायनी ने महिषासुर का वध कर देवताओं को मुक्त किया।
इसलिए माँ कात्यायनी को महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है।

माँ कात्यायनी का रूप अत्यंत दिव्य और तेजस्वी है। वे सिंह पर सवार रहती हैं और उनकी चार भुजाएँ हैं –


माँ कात्यायनी की पूजा विधि (Maa Katyayani Puja Vidhi in Hindi)

नवरात्रि के छठे दिन भक्त इस प्रकार माँ कात्यायनी की पूजा करते हैं:

  1. प्रातः स्नान और संकल्प – स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।
  2. कलश पूजन और दीप प्रज्वलन – कलश स्थापित कर दीपक जलाएँ।
  3. माँ कात्यायनी का आवाहन – प्रतिमा या चित्र के सामने बैठकर माता का ध्यान करें।
  4. धूप, दीप और पुष्प अर्पण – माता को लाल पुष्प, धूप और चंदन अर्पित करें।
  5. भोग – माँ कात्यायनी को शहद (मधु) का भोग विशेष रूप से प्रिय है।
  6. मंत्र जपॐ देवी कात्यायन्यै नमः।
  7. आरती और प्रार्थना – अंत में आरती करें और परिवार की रक्षा व उन्नति की प्रार्थना करें।

माँ कात्यायनी की महिमा (Maa Katyayani Ki Mahima)


निष्कर्ष

नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी की पूजा का होता है। वे शक्ति, साहस और विजय की देवी हैं।
👉 श्रद्धा और विश्वास से माँ कात्यायनी की उपासना करने से विवाह में आ रही बाधाएँ दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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