Site icon Divya Bhasha

नवरात्रि का दूसरा दिन: ब्राह्मचारिणी माता की कहानी, पूजा विधि और महिमा | Navratri Second Day – Brahmacharini Mata

Brahmcharini mata

नवरात्रि का दूसरा दिन (Navratri Second Day)

नवरात्रि के दूसरे दिन माँ दुर्गा के ब्राह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। यह स्वरूप माँ का साधना, तपस्या और संयम का प्रतीक है। माँ ब्राह्मचारिणी को शांति, भक्ति और ज्ञान की देवी माना जाता है।

ब्राह्मचारिणी माता की कहानी (Brahmacharini Mata Ki Kahani in Hindi)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माँ ब्राह्मचारिणी का जन्म हिमालय राज के घर हुआ था। बचपन से ही वे अत्यंत साध्वी और तपस्विनी थीं। उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की।

कहा जाता है कि उन्होंने हजारों वर्षों तक केवल बेल-पत्र और जल का सेवन किया और वर्षों तक बिना भोजन और जल के कठोर तप किया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा और देवताओं ने उन्हें वरदान दिया कि वे भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करेंगी।

माता ब्राह्मचारिणी के हाथों में जपमाला और कमंडल होता है, जो उनके तप और साधना का प्रतीक है।


ब्राह्मचारिणी माता की पूजा विधि (Brahmacharini Mata Puja Vidhi in Hindi)

नवरात्रि के दूसरे दिन भक्त ब्राह्मचारिणी माता की पूजा इस प्रकार करते हैं:

  1. स्नान और संकल्प – प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
  2. कलश पूजा – पहले दिन स्थापित कलश की पूजा करें।
  3. माता ब्राह्मचारिणी का आवाहन – प्रतिमा या चित्र को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।
  4. धूप-दीप अर्पण – माता को पुष्प, अक्षत, रोली, चंदन और धूप-दीप अर्पित करें।
  5. भोग – ब्राह्मचारिणी माता को सफेद फूल और शक्कर का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है।
  6. मंत्र जपॐ देवी ब्राह्मचारिण्यै नमः।
  7. आरती और प्रार्थना – अंत में आरती करें और माँ से ज्ञान, भक्ति और संयम की शक्ति माँगें।

ब्राह्मचारिणी माता की महिमा (Brahmacharini Mata Ki Mahima)


निष्कर्ष

नवरात्रि का दूसरा दिन ब्राह्मचारिणी माता की पूजा का दिन है। उनकी पूजा करने से भक्तों को तप, त्याग और संयम की शक्ति प्राप्त होती है।

👉 यदि आप नवरात्रि में श्रद्धा और नियम से ब्राह्मचारिणी माता की पूजा करेंगे तो जीवन में भक्ति, ज्ञान और शांति का संचार होगा।

Exit mobile version