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नवरात्रि का पाँचवाँ दिन: माँ स्कंदमाता की कहानी, पूजा विधि और महिमा | Navratri Panchwa Din – Maa Skandamata

Skanda Mata

नवरात्रि का पाँचवाँ दिन (Navratri Panchwa Din)

नवरात्रि के पाँचवें दिन माँ दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है। इनका यह स्वरूप मातृत्व और करुणा का प्रतीक है। माँ स्कंदमाता को भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता कहा जाता है, इसलिए इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है।


माँ स्कंदमाता की कहानी (Maa Skandamata Ki Kahani in Hindi)

पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब देवताओं और असुरों में युद्ध हुआ और असुर अत्यधिक शक्तिशाली हो गए, तब देवताओं की रक्षा हेतु भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र कार्तिकेय (स्कंद) का जन्म हुआ।
माँ पार्वती ने अपने गोद में कार्तिकेय को लेकर देवताओं को विजय दिलाई। उसी कारण से माता का यह स्वरूप स्कंदमाता कहलाया।

माँ स्कंदमाता की चार भुजाएँ हैं।


माँ स्कंदमाता की पूजा विधि (Maa Skandamata Puja Vidhi in Hindi)

नवरात्रि के पाँचवें दिन भक्त इस प्रकार माँ स्कंदमाता की पूजा करते हैं:

  1. प्रातः स्नान और संकल्प – सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
  2. कलश और दीप प्रज्वलन – कलश पूजन कर दीप जलाएँ।
  3. माँ स्कंदमाता का आवाहन – माँ स्कंदमाता की प्रतिमा या चित्र को पूजास्थल पर स्थापित करें।
  4. धूप-दीप और पुष्प अर्पण – माता को पुष्प, धूप, दीप और अक्षत अर्पित करें।
  5. भोग – माँ स्कंदमाता को केले और पीले फल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
  6. मंत्र जपॐ देवी स्कंदमातायै नमः।
  7. आरती और प्रार्थना – अंत में माता की आरती कर परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु की कामना करें।

माँ स्कंदमाता की महिमा (Maa Skandamata Ki Mahima)


निष्कर्ष

नवरात्रि का पाँचवाँ दिन माँ स्कंदमाता की पूजा का दिन है। वे मातृत्व, करुणा और शक्ति की प्रतीक हैं। माँ की कृपा से साधक को संतान सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

👉 श्रद्धा और विश्वास से माँ स्कंदमाता की पूजा करने पर भक्तों का जीवन सुख-समृद्धि से भर जाता है।

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