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🌺 महानारायणास्त्रम् – सभी भय, रोग और शत्रु से रक्षा करने वाला दिव्य मंत्र | Maha Narayana Astra Stotra in Sanskrit with Meaning

Maha Narayana Astra

🔱 परिचय (Introduction)

महानारायणास्त्रम् एक अत्यंत दुर्लभ और शक्तिशाली वैदिक स्तोत्र है जो स्वयं देवी-देवताओं द्वारा प्रकट किया गया है।
यह मंत्र सभी प्रकार के भय, रोग, शत्रु, ग्रहदोष और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करने वाला परम अस्त्र माना गया है।
इसका पाठ महाभय, महोपद्रव या जीवन संकट के समय करने से भगवान् श्रीनारायण की कृपा प्राप्त होती है।


🕉️ महानारायणास्त्रम् पूर्ण पाठ (Maha Narayana Astra Full Path / Stotra in Sanskrit)

।। महानारायणास्त्रम् ।।

देविदेवि महादेवि करुणाकरपुङ्गवि।
कथितान्यागमोक्तानि महास्त्राणि त्वयानघे।।१।।

भावार्थ (Meaning in Simple Hindi):

हे देवताओं की देवी, हे महादेवी, हे करुणा की मूर्ति और दया की पराकाष्ठा वाली माँ!
आपके द्वारा पहले से ही आगम शास्त्रों में वर्णित महान अस्त्र (दिव्य मंत्र और शक्तियाँ) कही जा चुकी हैं।

गारुडं वारुणं सार्षं पार्वतं बलिदैवतम्।
अघोराख्यं महास्त्रञ्च तथा पाशुपतं शुभम्।।२।।

भावार्थ (Meaning in Simple Hindi):

हे देवी!
आपने पहले ही अनेक महान दिव्य अस्त्रों का वर्णन किया है —
जैसे गारुड अस्त्र, जो सर्प और विष से रक्षा करता है;
वारुण अस्त्र, जो जल संबंधी भय को दूर करता है;
सार्ष अस्त्र, जो ऋषियों द्वारा सिद्ध किया गया है;
पार्वत अस्त्र, जो देवी पार्वती की कृपा का प्रतीक है;
बलिदैवत अस्त्र, जो असुरों की शक्ति को नियंत्रित करता है;
और अघोर अस्त्र, जो भूत-प्रेत और भय का नाश करता है।
इसी प्रकार आपने पाशुपत अस्त्र (भगवान शंकर का परम दिव्य अस्त्र) का भी वर्णन किया है, जो अत्यंत मंगलकारी है।

नारायणाख्यमस्त्रं च कथय स्वानुकम्पया।
न कथ्यते महामातर्विमुञ्चामि तदा तनुम्।।३।।

भावार्थ (Meaning in Simple Hindi):

हे परम करुणामयी देवी!
आपने अब तक अनेक दिव्य अस्त्रों का वर्णन किया है, परन्तु कृपया अपनी अनुकम्पा (कृपा) से
मुझे अब वह “नारायण अस्त्र” भी बताइए,
जो समस्त अस्त्रों में सर्वोच्च और दिव्य है।
यदि आप मुझे यह महान रहस्य नहीं बताएँगी,
तो हे महामाते! मैं इस शरीर का त्याग कर दूँगा।

देव्युवाच।
श‍ृणु भैरव यत्नेन कथयामि तवाग्रतः।
कस्याग्रे न कथितं मन्त्रं नारायणात्मकम्।।४।।

भावार्थ (Meaning in Simple Hindi):

देवी ने कहा —
हे भैरव! ध्यानपूर्वक सुनो,
अब मैं तुम्हारे समक्ष वह नारायण स्वरूप का परम रहस्यमय मन्त्र प्रकट करने जा रही हूँ,
जो आज तक कभी भी किसी के सामने नहीं बताया गया

महाभये महोत्पाते महाविघ्नेषु सङ्कटे।
धारणादस्त्रराजस्य भयं सर्वं निवर्तते।।५।।

भावार्थ (Simple Hindi Meaning):

जब कोई व्यक्ति महान भय, भयंकर संकट, बड़े उपद्रव या विघ्न-बाधाओं में फँस जाता है,
तब यदि वह अस्त्रराज — नारायणास्त्र का स्मरण, जप या धारण करता है,
तो उसके सभी भय और संकट दूर हो जाते हैं।

पूर्वं यद्ब्रह्मणे प्रोक्तं विष्णुना प्रभविष्णुना।
सृष्टिकाले महाविघ्नपराभूताय भैरव।।६।।

भावार्थ (Simple Hindi Meaning):

हे भैरव!
सृष्टि के प्रारंभ में जब ब्रह्मा जी को महाविघ्नों का सामना करना पड़ा था —
तब स्वयं प्रभविष्णु (सर्वशक्तिमान भगवान विष्णु) ने
उन्हें यह महान “नारायणास्त्र-मंत्र” बताया था,
जिसके स्मरण और जप से वे सभी विघ्नों को जीत सके।

तदहं सम्प्रवक्ष्यामि महाशत्रुनिबर्हणम्।
महाविघ्नोपशमनं महासङ्कटनाशनम्।।७।।

भावार्थ (Simple Hindi Meaning):

भगवान विष्णु कहते हैं —

“अब मैं वह दिव्य मंत्र बताने जा रहा हूँ
जो महाशत्रुओं का नाश,
महाविघ्नों का शमन,
और महासंकटों का अंत करने वाला है।”

ॐ अस्य श्रीनारायणास्त्रमहामन्त्रस्य आदिसृष्टिकर्ता ब्रह्माऋषिः, जगती छन्दः, त्रिपादविभूतिनायकः श्रीमन्नारायणो देवता, ॐ बीजम्, ह्रीं शक्तिः, ॐ नमःकीलकम्, मम सर्वारिष्टशान्तये सकलाभीष्टसिद्ध्यर्थे च नारायणास्त्र महामन्त्रपाठे विनियोगः।।

भावार्थ (Simple Hindi Meaning):

“इस नारायणास्त्र महामंत्र का ऋषि ब्रह्मा हैं,
छंद ‘जगती’ है,
देवता श्रीमन्नारायण हैं,
बीज ‘ॐ’ है,
शक्ति ‘ह्रीं’ है,
कीलक ‘ॐ नमः’ है।
यह मंत्र मेरे सभी संकटों के शमन
और सभी इच्छाओं की सिद्धि के लिए प्रयोग किया जाता है।”

अथ ध्यानं।
ध्यायेत्सागरमध्यस्थं सहस्रादित्यतेजसम्।
अनन्तशक्तिसंयुक्तं नारायणमनामयम्।।८।।

भावार्थ (Simple Hindi Meaning):

“साधक को चाहिए कि वह ध्यान करे उस भगवान नारायण का,
जो सागर के मध्य में विराजमान हैं,
जिनका तेज हजार सूर्यों के समान है,
जो अनंत दिव्य शक्तियों से युक्त हैं
और जो पूर्णतः दोष-रहित, शुद्ध, कल्याणमय स्वरूप हैं।”

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमो भगवते नारायण सकल जगदुत्पत्ति-स्थिति लयकारणाय अमिततेजसे अतुलबलपराक्रमाय महाविभूतिपतये ह्रीं ह्रीं ह्रैं ह्रैं ह्रः सकलनिगमगोचर गुणगणाय महासम्राज्यविभूति विभूषिताय ध्वजातपत्रचामरव्यजनकुण्डल कर कटि सूत्राङ्गदादि हार- वलयमणिनूपुराद्यनेकमणिभूषण भूषिताय सहस्रशिरसे सहस्राक्षाय सहस्रभुजाय सहस्रपादाय शङ्खचक्रगदापद्मधराय शार्ङ्गधर शरनन्दकखड्गचर्मखेटकपरशुपाशहलमुसल-
तोमरभुशुण्डीपाशाङ्कुशकुन्तशतघ्नीपरशुवराभय
विभूषितभुजसहस्राय बलिरञ्जितब्रह्माण्डमण्डलाय अनन्त- नागेन्द्रसिंहासनाधिष्ठिताय सनकाद्यनेक मुनिगणसिद्धचारण- विद्याधरकिन्नरगन्धर्वयक्ष रक्षोरगगीर्वाणस्वर्गीतगुणार्णवाय सकल जगद्भयङ्कराय भूतप्रेतपिशाचयक्षराक्षस डाकिनी शाकिनी वैतालमारीच ब्रह्मराक्षसकूष्माण्ड वैनायक मातृगणानुन्मथय-मथय क्षयं कुरु-कुरु कुष्टदुष्टज्वर दाहापस्मारीप्रमेहविस्फोटक- ब्रह्मापस्मारादि सर्वराजरोगान् विहिंसनाय ममाभयं कुरु-कुरु
मम शत्रूनुच्चाटय-उच्चाटय व्याधिभयं शमय-शमय
चौरभयं नाशय- नाशय महास्त्राणि स्तम्भय-स्तम्भय
मम दुष्टग्रहान् भीषय-भीषय मम द्वेषकरान् मोहय-मोहय स्तम्भय-स्तम्भय कम्पय-कम्पय पातय-पातय बन्धय-बन्धय भूतग्रहान् बन्धय-बन्धय बालग्रहान् शमय-शमय यक्षपक्ष- ज्वालातमोहारग्रहान् ज्वल-ज्वल- प्रज्ज्वल-प्रज्ज्वल मथ-मथ पच-पच दह-दह उन्मथयोन्मथय मम शत्रून् विनाशय-विनाशय त्रोटय-त्रोटय निगडपाशादीन् मोचय-मोचय वद्दिवातसुपर्णनाग- पर्वतपर्जन्यादि दुष्टशस्त्रास्त्रजन्यबन्धनानि शमय-शमय शत्रुकृत महापीडां शमय-शमय दुष्टरोगपीडां शमय-शमय
दुष्कृतपीडां शमय-शमय भूत-प्रेत-पिशाचादि पीडां शमय-शमय दुष्कर्मजन्यनरकभयात् मामुद्धरोद्धर मां सञ्जीवय-सञ्जीवय महामृत्युभ्यां मां मोचय-मोचय ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः खं खां खैं फट् हुँ हुँ हुँ फट्-फट् ठःठःठः ह्रीं ह्रीं ह्रीं हुँ हुँ हुँ एहि-एहि ज्वल-ज्वल प्रज्वल-प्रज्वल हुँ फट् स्वाहा।
ॐ नमोनारायणाय नमस्ते नमस्ते नमस्ते।।९।।

भावार्थ (Simple Hindi Meaning):

“हे सर्वशक्तिमान भगवान नारायण!
आप संपूर्ण जगत के उत्पत्ति, पालन और संहार के मूल कारण हैं।
आपका तेज हजार सूर्यों के समान, शक्ति अनंत और पराक्रम अतुलनीय है।
आप समस्त दिव्य विभूतियों के स्वामी, अनादि, अनंत और सर्वव्यापक हैं।
आपके हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म शोभित हैं,
और आप सहस्र सिर, सहस्र भुजा और सहस्र नेत्रों वाले विराट रूपधारी हैं।

हे प्रभो! आप भूत-प्रेत, पिशाच, यक्ष, राक्षस, ग्रहदोष, शत्रु, रोग, भय, ज्वर, और मृत्यु —
इन सबका नाश करने वाले हैं।
आप मुझे हर प्रकार के बंधन, रोग, दोष और विपत्ति से मुक्त करें।
मेरे शत्रुओं का नाश करें, मुझे अभय दें, और जीवन में विजय प्रदान करें।”

देव्युवाच।
इत्येतत्पपरमं गुह्यमस्त्रं नारायणात्मकम्।
त्वमेव संयतो भूत्वा धारयस्व निरन्तरम्।।१०।।

भावार्थ (Meaning in Hindi):

देवी (महाशक्ति) कहती हैं —

“हे भैरव! यह जो नारायणास्त्र महामंत्र मैंने तुम्हें बताया है, यह अत्यंत गोपनीय और परम शक्तिशाली है।
इसे सदैव अपने हृदय में धारण करो, निरंतर जप करते रहो, और संयमित जीवन का पालन करो।
जो व्यक्ति इसे श्रद्धा और नियम से धारण करता है, उसके जीवन से समस्त भय, रोग, और विघ्न दूर हो जाते हैं।”

महाभये महोत्पाते महाशत्रुसमागमे।
रणे दुर्गे विवादे च पाते चौराग्निजे भये।।११।।

भावार्थ (Meaning in Hindi):

जब व्यक्ति अत्यंत भय, विपत्ति, विवाद, युद्ध, शत्रु-संघर्ष, चोरी, या अग्नि जैसे संकटों में फँस जाए —
तब इस नारायणास्त्र महामंत्र का स्मरण, जप या उच्चारण करने से
वह हर प्रकार के भय और संकट से मुक्त हो जाता है।

विषसर्पभये घोरे मारीराजभये तथा।
स्मरणान्मन्त्रराजस्य भयं सर्वं निवर्तते।।१२।।

भावार्थ (Meaning in Hindi):

जब कोई व्यक्ति विषैले सर्पों के भय में हो,
या मृत्यु के भय से घिरा हो,
तब यदि वह इस नारायणास्त्र महामंत्र का स्मरण करता है,
तो उसका सारा भय, विष, मृत्यु और संकट दूर हो जाता है।

एकवारं पठेद्यो वै व्याधिभूतादिनाशनम्।
एकवारं पठेद्यो वै दशविद्याफलं लभेत्।।१३।।

भावार्थ (Meaning in Hindi):

जो कोई इस नारायणास्त्र महामंत्र का एक बार भी श्रद्धा से पाठ करता है,
वह व्यक्ति अपने जीवन के सभी रोगों, कष्टों और भूत-प्रेत आदि बाधाओं से मुक्त हो जाता है।

और वह “दश विद्या” अर्थात् दसों प्रकार की दिव्य विद्या (सिद्धि, ज्ञान, तेज, बुद्धि, बल, शांति, धन, आयु, यश और वैराग्य) प्राप्त कर लेता है।

शतावर्तनमात्रेण सर्वशत्रुक्षयो भवेत्।
सहस्रावर्तनेनैव ग्रहपीडा निवर्तते।।१४।।

भावार्थ (Meaning in Hindi):

जो साधक इस नारायणास्त्र महामंत्र का १०० बार जप करता है,
उसके जीवन से सभी शत्रु और विरोधी शक्तियाँ नष्ट हो जाती हैं।

और यदि वह १००० बार (सहस्र बार) इसका जप करे —
तो ग्रह दोष, पितृ दोष, और ज्योतिषीय पीड़ाएँ स्वतः समाप्त हो जाती हैं।

अयुतावर्तनेनैव राज्यलक्ष्मी स्थिरा भवेत्।
पञ्जविंशति सहस्रेण पञ्जतत्त्वाधिपो भवेत्।।१५।।

भावार्थ (Meaning in Hindi):

जो व्यक्ति नारायणास्त्र महामंत्र का १०,००० बार जप करता है,
उसके जीवन में राजलक्ष्मी (सत्ता, धन और स्थायित्व) की कृपा प्राप्त होती है।
उसका वैभव, प्रतिष्ठा और सफलता स्थिर हो जाती है।

और जो इस मंत्र का २५,००० बार जप करता है,
वह अपने भीतर की पाँचों तत्त्व शक्तियों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) पर
आध्यात्मिक नियंत्रण प्राप्त करता है —
अर्थात् वह प्रकृति और अपनी चेतना दोनों का स्वामी बन जाता है।

लक्षावर्तनमात्रेण लक्ष्मीपतिः सम्भवेत्।
नदीतीरे पर्वताग्रे पिप्पलाग्रे शुभालये।।१६।।

भावार्थ (Meaning in Hindi):

जो साधक नारायणास्त्र महामंत्र का एक लाख बार जप करता है,
वह लक्ष्मीपति बन जाता है — अर्थात् उसे धन, वैभव, ऐश्वर्य और समृद्धि प्राप्त होती है।

इस जप के लिए विशेष स्थान बताए गए हैं —
नदी तट, पर्वत शिखर, पीपल वृक्ष के नीचे, या पवित्र गृह / मंदिर में।
इन स्थानों पर किया गया जप अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है।

गोष्ठे वृन्दावने रम्ये पठन्मन्त्रमनूत्तमम्।
त्रिलोहवेष्ठितं चैतद्धारयेद्दक्षिणे करे।।१७।।

भावार्थ (Meaning in Hindi):

जो साधक गोष्ठ (गौशाला) या वृन्दावन जैसे रमणीय पवित्र स्थल में
इस नारायण महामंत्र का पाठ करता है,
वह अनंत पुण्य का अधिकारी बनता है।

यदि यह महामंत्र तीन धातुओंसोना, चाँदी, और ताँबा से
निर्मित किसी ताबीज, यंत्र या पत्र पर लिखा हो,
तो उसे दाहिने हाथ में धारण करने से
अपराजेय शक्ति और दैवी संरक्षण प्राप्त होता है।

सङ्ग्रामे शस्त्रसम्पाते शस्त्रधारानिबन्धनम्।
त्वमपि श्रद्धया मन्त्रं धारयस्व निरन्तरम्।।१८।।

भावार्थ (Meaning in Hindi):

जब जीवन में संघर्ष (संग्राम) की स्थिति हो,
जब चारों ओर कठिनाइयों, विरोधियों या भय का सामना करना पड़े,
तब यह नारायण महामंत्र
सभी प्रकार के शस्त्र, बाधा और संकटों की धार को निष्प्रभावी कर देता है।

इसलिए, हे साधक!
तुम भी अटूट श्रद्धा के साथ
इस मंत्र को निरंतर हृदय में धारण करो।
इससे तुम अभय, अजेय और संरक्षित रहोगे।

सुरासुरैरजेयश्च भविष्यसि न संशयः।
तव स्नेहान्मयाऽऽख्यातं मन्त्रराजमनूत्तमम्।।

भावार्थ (Meaning in Hindi):

यह महामंत्र, जो सभी मंत्रों का राजा है,
मैंने तुम्हें केवल अपने स्नेह और प्रेम के कारण बताया है।
यह अनूठा और अनुत्तम मंत्र है —
जो साधक को हर प्रकार की विपत्ति, भय और पराजय से मुक्त करता है।

हे भैरव!
तुम देवताओं और असुरों — दोनों के द्वारा अजेय रहोगे,
इसमें कोई संदेह नहीं

गोपायस्व प्रयत्नेन गुह्याद्गुह्यन्तरं परम्।
सुशिष्याय प्रदातव्यं महाविद्याप्रजापिने।।२०।।

भावार्थ (Meaning in Hindi):

इस मंत्र को पूर्ण गोपनीयता से रखना चाहिए,
क्योंकि यह सभी रहस्यों में सबसे श्रेष्ठ और परम गूढ़ रहस्य है।

इसे केवल उस योग्य शिष्य को बताना चाहिए
जो सच्चे अर्थों में भक्त, विद्या का साधक और आत्मसंयमी हो।

🌿 महत्व और लाभ (Benefits of Maha Narayana Astra Path)

  1. सभी प्रकार के भय, रोग और शत्रु से मुक्ति।
  2. ग्रह दोष, भूत-प्रेत बाधा, नकारात्मक ऊर्जा का नाश।
  3. राज्यलक्ष्मी और विजय प्राप्ति।
  4. महामृत्यु भय से रक्षा।
  5. संकट, विवाद, युद्ध या दुर्घटना के समय चमत्कारी प्रभाव।

🪔 पाठ विधि (How to Chant Maha Narayana Astra)


🔮 English Summary (Maha Narayana Astra Stotra Summary in English)

The Maha Narayana Astra is a sacred and powerful mantra revealed by the Divine Mother herself.
It is said to destroy all evils, fears, enemies, diseases, and planetary doshas.
Reciting it with full devotion brings divine protection, prosperity, and liberation from all worldly troubles.


🌸 निष्कर्ष (Conclusion)

महानारायणास्त्र केवल एक मंत्र नहीं बल्कि एक दिव्य कवच है जो साधक को भगवान विष्णु की असीम शक्ति से जोड़ता है।
नियमित रूप से इसका जप करने वाला व्यक्ति निर्भय, स्वस्थ और समृद्ध जीवन प्राप्त करता है।

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