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🕉️ गायत्री कवचम् – सर्वरक्षण, विद्या और तेज देने वाला दिव्य स्तोत्र

Shri Gayatri Mata Ki Aarti

🌸 परिचय

“गायत्री कवचम्” एक अत्यंत पवित्र और दुर्लभ स्तोत्र है, जिसका उल्लेख विश्वामित्र संहिता में मिलता है। यह कवच देवी गायत्री माता की कृपा प्राप्त करने और उनके संरक्षण में रहने का सबसे प्रभावी उपाय है।

कहा गया है कि केवल इसके श्रवण मात्र से भी साधक को तीनों लोकों पर नियंत्रण और अद्भुत आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है।

“यस्य विज्ञानमात्रेण त्रैलोक्यं वशयेत् क्षणात् ॥”


🔱 गायत्री कवचम् (संस्कृत पाठ)

🕉 गायत्रीकवचम् 🕉
🔱 ॐ ध्यानं ॐ 🔱

पञ्चवक्त्रां दशभुजां सूर्यकोटिसमप्रभाम् ।
सावित्रीं ब्रह्म वरदां चन्द्रकोटिसुशीतलाम् ॥

त्रिनेत्रां सितवक्त्रां च मुक्ताहारविराजिताम् । वराभयाङ्कुशकशाहेमपत्राक्षमालिकाम् ॥

शङ्खचक्राब्जयुगलं कराभ्यां दधतीं वराम् ।
सितपङ्कजसंस्थां च हंसारूढां सुखस्मिताम् ॥

ॐ ब्रह्मोवाच – ॐ
विश्वामित्र महाप्राज्ञ गायत्रीकवचं श‍ृणु ।
यस्य विज्ञानमात्रेण त्रैलोक्यं वशयेत्क्षणात् ॥ १॥

सावित्री मे शिरः पातु शिखायाममृतेश्वरी ।
ललाटं ब्रह्मदैवत्या भ्रुवौ मे पातु वैष्णवी ॥ २॥

कर्णौ मे पातु रुद्राणी सूर्या सावित्रिकाऽम्बिका ।
गायत्री वदनं पातु शारदा दशनच्छदौ ॥ ३॥

द्विजान् यज्ञप्रिया पातु रसनायां सरस्वती ।
साङ्ख्यायनी नासिकां मे कपोलौ चन्द्रहासिनी ॥ ४॥

चिबुकं वेदगर्भा च कण्ठं पात्वघनाशिनी ।
स्तनौ मे पातु इन्द्राणी हृदयं ब्रह्मवादिनी ॥ ५॥

उदरं विश्वभोक्त्री च नाभौ पातु सुरप्रिया ।
जघनं नारसिंही च पृष्ठं ब्रह्माण्डधारिणी ॥ ६॥

पार्श्वौ मे पातु पद्माक्षी गुह्यं गोगोप्त्रिकाऽवतु ।
ऊर्वोरोङ्काररूपा च जान्वोः सन्ध्यात्मिकावतु ॥ ७॥

जङ्घयोः पातु अक्षोभ्या गुल्फयोर्ब्रह्मशीर्षका ।
सूर्या पदद्वयं पातु चन्द्रा पादाङ्गुलीषु च ॥ ८॥

सर्वाङ्गं वेदजननी पातु मे सर्वदानघा ।
इत्येतत्कवचं ब्रह्मन् गायत्र्याः सर्वपावनम् ।
पुण्यं पवित्रं पापघ्नं सर्वरोगनिवारणम् ॥ ९॥

त्रिसन्ध्यं यः पठेद्विद्वान् सर्वान् कामानववाप्नुयात् । सर्वशास्त्रार्थतत्तवज्ञः स भवेद्वेदवित्तमः ॥ १०ll

सर्वयज्ञफलं प्राप्य ब्रह्मान्ते समवाप्नुयात् ।
प्राप्नोति जपमात्रेण पुरुषार्थांश्चतुर्विधान् ॥ ११॥

II इति श्रीविश्वामित्रसंहितोक्तं गायत्रीकवचं सम्पूर्णम् ॥

🌺 गायत्री कवचम् का महत्व (Importance)

गायत्री माता को वेदमाता कहा गया है।
उनकी कृपा से मनुष्य का तन, मन, और बुद्धि — तीनों पवित्र हो जाते हैं।
इस कवच के पाठ से —


🔔 पाठ विधि (How to Recite Gayatri Kavacham)

  1. सर्वोत्तम समय: प्रातःकाल या सायंकाल (त्रिसंध्या)।
  2. स्थान: शांत और स्वच्छ स्थान या पूजा गृह।
  3. पूर्व तैयारी: स्नान करें, श्वेत वस्त्र धारण करें।
  4. दीप प्रज्वलित करें और गायत्री माता का ध्यान करें।
  5. मंत्र उच्चारण से प्रारंभ करें: “ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्॥”
  6. फिर पूरा कवच श्रद्धा से पढ़ें।

🌼 गायत्री कवचम् के लाभ (Benefits)


🕉️ निष्कर्ष

गायत्री कवचम्” वह दिव्य स्तोत्र है जो साधक को अमृत समान शक्ति और संरक्षण प्रदान करता है।
जो व्यक्ति श्रद्धा से इसका नित्य पाठ करता है, उसे किसी प्रकार का भय नहीं रहता — चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक।

“गायत्री माता सदा हमारे जीवन की रक्षा करें — ॐ भूर्भुवः स्वः।”

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