Dhanteras

धनतेरस पूजा विधि | Dhanteras Puja Vidhi in Hindi

धनतेरस कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है और इस दिन देवी लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा करना शुभ माना जाता है। यदि आप चाहते हैं कि आपके घर में सुख, समृद्धि और धन का वास हो, तो इस Dhanteras Puja Vidhi को विधिपूर्वक अपनाएँ।


1. शुद्धिकरण और तैयारी

  • सुबह स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
  • घर के मंदिर में या किसी साफ स्थान पर पूजा की चौकी स्थापित करें।
  • लाल आसन बिछाएँ और उस पर कुबेर, धन्वंतरि, गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियाँ रखें।
  • यदि मूर्तियाँ न हों, तो सुपारी पर पान का पत्ता रखकर कुबेर और धन्वंतरि का रूप मान सकते हैं।

2. दीपदान

  • मुख्य द्वार पर लकड़ी के आसन या जमीन पर रोलि से स्वास्तिक बनाएं।
  • आटे या मिट्टी का चौमुखी दीपक रखें।
  • दीपक पर तिलक, चावल, फूल और चीनी चढ़ाएँ और उसमें एक रुपये का सिक्का डालें।
  • दीपक को दक्षिण दिशा की ओर रखें।

3. भगवान की पूजा

कुबेर देव की पूजा

  • सफेद मिठाई का भोग लगाएँ।
  • मंत्र का जाप करें: “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः”
  • हल्दी, धनिया, दूर्वा और कमल गट्टे अर्पित करें।

धन्वंतरि भगवान की पूजा

  • पीली मिठाई का भोग अर्पित करें।
  • धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करें।
  • घी का दीपक जलाएँ।

देवी लक्ष्मी और गणेश की पूजा

  • फूल चढ़ाएँ और मिठाई का भोग लगाएँ।
  • विधिपूर्वक आरती करें।

धनतेरस की कथा | Dhanteras Katha

भारत में धनतेरस का पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा करने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और धन का वास होता है।

धनतेरस के पीछे कई कथाएँ प्रचलित हैं। इनमें से एक कथा देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु से जुड़ी हुई है, जो बहुत रोचक और प्रेरणादायी है।

इस दिन को मनाने के पीछे धनवंतरी के जन्म लेने की कथा के अलावा, दूसरी कहानी भी प्रचलित है। कहा जाता है कि एक समय भगवान विष्णु मृत्युलोक में विचरण करने के लिए आ रहे थे तब लक्ष्मी जी ने भी उनसे साथ चलने का आग्रह किया। तब विष्णु जी ने कहा कि यदि मैं जो बात कहूं तुम अगर वैसा ही मानो तो फिर चलो। तब लक्ष्मी जी उनकी बात मान गईं और भगवान विष्णु के साथ भूमंडल पर आ गईं। कुछ देर बाद एक जगह पर पहुंचकर भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी से कहा कि जब तक मैं न आऊं तुम यहां ठहरो। मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूं, तुम उधर मत आना। विष्णुजी के जाने पर लक्ष्मी के मन में कौतूहल जागा कि आखिर दक्षिण दिशा में ऐसा क्या रहस्य है जो मुझे मना किया गया है और भगवान स्वयं चले गए।

लक्ष्मी जी से रहा न गया और जैसे ही भगवान आगे बढ़े लक्ष्मी भी पीछे-पीछे चल पड़ीं। कुछ ही आगे जाने पर उन्हें सरसों का एक खेत दिखाई दिया जिसमें खूब फूल लगे थे। सरसों की शोभा देखकर वह मंत्रमुग्ध हो गईं और फूल तोड़कर अपना श्रृंगार करने के बाद आगे बढ़ीं। आगे जाने पर एक गन्ने के खेत से लक्ष्मी जी गन्ने तोड़कर रस चूसने लगीं। उसी क्षण विष्णु जी आए और यह देख लक्ष्मी जी पर नाराज होकर उन्हें शाप दे दिया कि मैंने तुम्हें इधर आने को मना किया था, पर तुम न मानी और किसान की चोरी का अपराध कर बैठी। अब तुम इस अपराध के जुर्म में इस किसान की 12 वर्ष तक सेवा करो। ऐसा कहकर भगवान उन्हें छोड़कर क्षीरसागर चले गए। तब लक्ष्मी जी उस गरीब किसान के घर रहने लगीं।

एक दिन लक्ष्मीजी ने उस किसान की पत्नी से कहा कि तुम स्नान कर पहले मेरी बनाई गई इस देवी लक्ष्मी का पूजन करो, फिर रसोई बनाना, तब तुम जो मांगोगी मिलेगा। किसान की पत्नी ने ऐसा ही किया। पूजा के प्रभाव और लक्ष्मी की कृपा से किसान का घर दूसरे ही दिन से अन्न, धन, रत्न, स्वर्ण आदि से भर गया। लक्ष्मी ने किसान को धन-धान्य से पूर्ण कर दिया। किसान के 12 वर्ष बड़े आनंद से कट गए। फिर 12 वर्ष के बाद लक्ष्मीजी जाने के लिए तैयार हुईं। विष्णुजी लक्ष्मीजी को लेने आए तो किसान ने उन्हें भेजने से इंकार कर दिया। तब भगवान ने किसान से कहा कि इन्हें कौन जाने देता है ,यह तो चंचला हैं, कहीं नहीं ठहरतीं। इनको बड़े-बड़े नहीं रोक सके। इनको मेरा शाप था इसलिए 12 वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही थीं।

तुम्हारी 12 वर्ष सेवा का समय पूरा हो चुका है। किसान हठपूर्वक बोला कि नहीं अब मैं लक्ष्मीजी को नहीं जाने दूंगा। एक दिन लक्ष्मीजी ने उस किसान की पत्नी से कहा कि तुम स्नान कर पहले मेरी बनाई गई इस देवी लक्ष्मी का पूजन करो, फिर रसोई बनाना, तब तुम जो मांगोगी मिलेगा। किसान की पत्नी ने ऐसा ही किया। पूजा के प्रभाव और लक्ष्मी की कृपा से किसान का घर दूसरे ही दिन से अन्न, धन, रत्न, स्वर्ण आदि से भर गया। लक्ष्मी ने किसान को धन-धान्य से पूर्ण कर दिया। किसान के 12 वर्ष बड़े आनंद से कट गए। फिर 12 वर्ष के बाद लक्ष्मीजी जाने के लिए तैयार हुईं। विष्णुजी लक्ष्मीजी को लेने आए तो किसान ने उन्हें भेजने से इंकार कर दिया। तब भगवान ने किसान से कहा कि इन्हें कौन जाने देता है ,यह तो चंचला हैं, कहीं नहीं ठहरतीं।

इनको बड़े-बड़े नहीं रोक सके। इनको मेरा शाप था इसलिए 12 वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही थीं। तुम्हारी 12 वर्ष सेवा का समय पूरा हो चुका है। किसान हठपूर्वक बोला कि नहीं अब मैं लक्ष्मीजी को नहीं जाने दूंगा।

प्रार्थना और समापन

  • हाथ जोड़कर भगवान से ग्रहण करने और कृपा करने की प्रार्थना करें।
  • पूरे मन और श्रद्धा से पूजा विधि का पालन करें।
  • पूजा के बाद भोग और प्रसाद घर में बाँटें और परिवार के साथ आनंद लें।

💡 Tips for Dhanteras Puja

  • इस दिन सोने या चांदी के नए बर्तन/आभूषण खरीदना शुभ माना जाता है।
  • पूजा के समय सकारात्मक सोच और श्रद्धा बनाए रखें।
  • दीपक जलाने से सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का आगमन होता है।

निष्कर्ष

धनतेरस की कथा हमें यह सिखाती है कि माता लक्ष्मी का सच्चा आशीर्वाद तभी प्राप्त होता है जब हम ईमानदारी और श्रद्धा के साथ पूजा करें। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से घर में धन, सुख और समृद्धि का आगमन होता है।

॥ जय माता लक्ष्मी ॥
॥ जय भगवान धन्वंतरि ॥

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