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ब्रह्म मुहूर्त (Brahma Muhurat): स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक शक्ति पाने का दिव्य समय

Brahma Muhurat

ब्रह्म मुहूर्त (Brahma Muhurat), जिसे अमृत वेला भी कहा गया है, रात्रि के अंतिम प्रहर में आता है—अर्थात सूर्योदय से लगभग 1.5 घंटे पहले, सामान्यतः प्रातः 3 से 5 बजे के बीच।
वेदों, पुराणों, आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान—सभी में इसे जीवन के लिए अत्यंत शुभ, स्वास्थ्यप्रद और मनोवांछित फल देने वाला समय माना गया है।

ब्रह्ममुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी”—
अर्थ: ब्रह्म मुहूर्त में सोना पुण्यों का नाश करता है।

🌺 ब्रह्म मुहूर्त का वास्तविक अर्थ

अर्थात—वह समय जब मन, शरीर और प्रकृति दिव्य ऊर्जा से सबसे अधिक जुड़ते हैं।


🌟 ब्रह्म मुहूर्त में उठने के अद्भुत लाभ

शास्त्रों व आधुनिक शोध दोनों के अनुसार इस समय उठना इन लाभों को देता है:

ऋग्वेद के अनुसार:
“सुबह सूर्योदय से पहले उठने वाला व्यक्ति स्वस्थ, सुखी और दीर्घायु होता है।”


🕉 पौराणिक महत्व

वाल्मीकि रामायण में उल्लेख है कि श्री हनुमान जी ब्रह्म मुहूर्त में ही अशोक वाटिका पहुँचे थे।
उस समय उन्होंने वेद मंत्रों की ध्वनि सुनी—जो इस अमृत वेला की दिव्यता को दर्शाता है।

शास्त्रों का कथन:
“ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति कमल की तरह सुंदर, बुद्धिमान और स्वस्थ होता है।”


🌿 ब्रह्म मुहूर्त और प्रकृति का संबंध

प्रकृति भी इस समय पूरी तरह चैतन्य हो जाती है—

यह सब संकेत देता है कि प्रकृति जाग रही है—अब मनुष्य को भी जागना चाहिए


🩺 आयुर्वेद के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त (Brahma Muhurat)

आयुर्वेद में यह समय जीवनी शक्ति के फेफड़ों में होने का काल माना गया है।

इस समय—
✔ टहलना
✔ प्राणायाम
✔ दीर्घ श्वसन
✔ ध्यान

फेफड़ों, रक्त, मस्तिष्क और नसों में नई ऊर्जा भर देता है।
इसी कारण इसे अमृततुल्य वायु कहा गया है।


📖 वेदों का मत : Brahma Muhurat

1. ऋग्वेद (1/125/1)

प्रातारत्नं प्रातरिष्वा दधाति तं चिकित्वा प्रतिगृह्यनिधत्तो।

तेन प्रजां वर्धयमान आयू रायस्पोषेण सचेत सुवीर:॥

अर्थात- सुबह सूर्य उदय होने से पहले उठने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इसीलिए बुद्धिमान लोग इस समय को व्यर्थ नहीं गंवाते। सुबह जल्दी उठने वाला व्यक्ति स्वस्थ, सुखी, ताकतवाला और दीर्घायु होता है।

2. सामवेद (35)

यद्य सूर उदितोऽनागा मित्रोऽर्यमा।

सुवाति सविता भग:॥

अर्थात- व्यक्ति को सुबह सूर्योदय से पहले शौच व स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद भगवान की पूजा-अर्चना करना चाहिए। इस समय की शुद्ध व निर्मल हवा से स्वास्थ्य और संपत्ति की वृद्धि होती है।

3. अथर्ववेद (7/16/2)

उद्यन्त्सूर्यं इव सुप्तानां द्विषतां वर्च आददे।

जो सूर्योदय के बाद भी सोते रहते हैं, उनका तेज धीरे-धीरे क्षीण हो जाता है।


⚡ जैविक घड़ी (Biological Clock) के अनुसार शरीर की दिनचर्या

व्यावहारिक महत्व : व्यावहारिक रूप से अच्छी सेहत, ताजगी और ऊर्जा पाने के लिए ब्रह्ममुहूर्त बेहतर समय है। क्योंकि रात की नींद के बाद पिछले दिन की शारीरिक और मानसिक थकान उतर जाने पर दिमाग शांत और स्थिर रहता है। वातावरण और हवा भी स्वच्छ होती है। ऐसे में देव उपासना, ध्यान, योग, पूजा तन, मन और बुद्धि को पुष्ट करते हैं।

⏰ प्रातः 3–5 बजे – फेफड़ों की जीवनी शक्ति का समय

इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से फेफड़ों में होती है। थोड़ा गुनगुना पानी पीकर खुली हवा में घूमना एवं प्राणायाम करना। इस समय दीर्घ श्वसन करने से फेफड़ों की कार्यक्षमता खूब विकसित होती है। उन्हें शुद्ध वायु (आक्सीजन) और ऋण आयन विपुल मात्रा में मिलने से शरीर स्वस्थ व स्फूर्तिमान होता है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाले लोग बुद्धिमान व उत्साही होते है, और सोते रहने वालों का जीवन निस्तेज हो जाता है।

⏰ प्रातः 5–7 बजे – आँतों की शक्ति

इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से आंत में होती है। प्रातः जागरण से लेकर सुबह 7 बजे के बीच मल-त्याग एवं स्नान का लेना चाहिए। सुबह 7 के बाद जो मल-त्याग करते है उनकी आँतें मल में से त्याज्य द्रवांश का शोषण कर मल को सुखा देती हैं। इससे कब्ज तथा कई अन्य रोग उत्पन्न होते हैं।

⏰ प्रातः 7–9 बजे – आमाशय का समय

इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से आमाशय में होती है। यह समय भोजन के लिए उपर्युक्त है। इस समय पाचक रस अधिक बनते हैं। भोजन के बीच-बीच में गुनगुना पानी (अनुकूलता अनुसार) घूँट-घूँट पिये।

⏰ 11–1 बजे – हृदय की शक्ति

इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से हृदय में होती है।

⏰ दोपहर 1–3 बजे – छोटी आंत की शक्ति

इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से छोटी आंत में होती है। इसका कार्य आहार से मिले पोषक तत्त्वों का अवशोषण व व्यर्थ पदार्थों को बड़ी आँत की ओर धकेलना है। भोजन के बाद प्यास अनुरूप पानी पीना चाहिए। इस समय भोजन करने अथवा सोने से पोषक आहार-रस के शोषण में अवरोध उत्पन्न होता है व शरीर रोगी तथा दुर्बल हो जाता है।

⏰ 3–5 बजे – मूत्राशय

इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से मूत्राशय में होती है। 2-4 घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र-त्याग की प्रवृति होती है।

⏰ 5–7 बजे – गुर्दे का समय

इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से गुर्दे में होती है। इस समय हल्का भोजन कर लेना चाहिए। शाम को सूर्यास्त से 40 मिनट पहले भोजन कर लेना उत्तम रहेगा। सूर्यास्त के 10 मिनट पहले से 10 मिनट बाद तक (संध्याकाल) भोजन न करे। शाम को भोजन के तीन घंटे बाद दूध पी सकते है। देर रात को किया गया भोजन सुस्ती लाता है यह अनुभवगम्य है।

⏰ रात 7–9 बजे – मस्तिष्क की शक्ति

इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से मस्तिष्क में होती है। इस समय मस्तिष्क विशेष रूप से सक्रिय रहता है। अतः प्रातःकाल के अलावा इस काल में पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है। आधुनिक अन्वेषण से भी इसकी पुष्टी हुई है।

⏰ रात 9–11 बजे – मेरुरज्जु (स्पाइनल कॉर्ड)

इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी में स्थित मेरुरज्जु में होती है। इस समय पीठ के बल या बायीं करवट लेकर विश्राम करने से मेरूरज्जु को प्राप्त शक्ति को ग्रहण करने में मदद मिलती है।

⏰ रात 11–1 बजे – पित्ताशय

इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से पित्ताशय में होती है। इस समय का जागरण पित्त-विकार, अनिद्रा, नेत्ररोग उत्पन्न करता है व बुढ़ापा जल्दी लाता है। इस समय नई कोशिकाएं बनती है।

⏰ रात 1–3 बजे – लीवर (यकृत)

इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से लीवर में होती है। अन्न का सूक्ष्म पाचन करना यह यकृत का कार्य है। इस समय का जागरण यकृत (लीवर) व पाचन-तंत्र को बिगाड़ देता है। इस समय यदि जागते रहे तो शरीर नींद के वशीभूत होने लगता है, दृष्टि मंद होती है और शरीर की प्रतिक्रियाएं मंद होती हैं। अतः इस समय सड़क दुर्घटनाएँ अधिक होती हैं।


🎯 व्यावहारिक लाभ

ब्रह्म मुहूर्त (Brahma Muhurat) में उठने से—
✔ शरीर तरोताजा
✔ तनाव कम
✔ मन शांत
✔ ऊर्जा पूरे दिन रहती है
✔ ध्यान, योग और पूजा का सर्वोत्तम समय


💡 निष्कर्ष : Brahma Muhurat

ब्रह्म मुहूर्त (Brahma Muhurat) सिर्फ एक धार्मिक मान्यता नहीं, बल्कि आध्यात्मिक, वैज्ञानिक, आयुर्वेदिक और प्राकृतिक सच्चाई है।
इस दिव्य समय में उठकर कोई भी व्यक्ति—
👉 स्वास्थ्य
👉 सौंदर्य
👉 बुद्धि
👉 समृद्धि
👉 मानसिक शांति
👉 और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त कर सकता है।

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