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भगवान शंकर आरती – जयति जयति जग-निवास, शंकर सुखकारी

Bhagwan Shankar Aarti

भगवान शंकर आरती का महत्व

जयति जयति जग-निवास, शंकर सुखकारी – यह मंत्र भगवान शिव की भव्यता और शक्ति का परिचायक है। भगवान शंकर की आरती भक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा, शांति और सकारात्मकता का स्रोत है।

शिवजी को सृष्टि का संहारक और रक्षक माना जाता है। इस आरती के माध्यम से भक्त उनके गुण, रूप और दिव्यता का गुणगान करते हैं। इसे सुनने और गाने से मन की शांति, भक्ति भाव और आध्यात्मिक शक्ति मिलती है।


आरती की पंक्तियाँ

जयति जयति जग-निवास, शंकर सुखकारी
जयति जयति जग-निवास…

अजर अमर, अज अरूप, सत चित आनन्दरूप।
व्यापक ब्रह्मस्वरूप, भव! भव-भय-हारी।
जयति जयति जग-निवास…

शोभित बिधुबाल भाल, सुरसरिमय जटाजाल।
तीन नयन अति विशाल, मदन-दहन-कारी।
जयति जयति जग-निवास…

भक्तहेतु धरत शूल, करत कठिन शूल फूल।
हियकी सब हरत हूल, अचल शान्तिकारी।
जयति जयति जग-निवास…

अमल अरुण चरण कमल, सफल करत काम सकल।
भक्ति-मुक्ति देत विमल, माया-भ्रम-टारी।
जयति जयति जग-निवास…

कार्तिकेय युत गणेश, हिमतनया सह महेश।
राजत कैलास-देश, अकल कलाधारी।
जयति जयति जग-निवास…

भूषण तन, भूति ब्याल, मुण्डमाल कर कपाल।
सिंह-चर्म, हस्ति खाल, डमरू कर धारी।
जयति जयति जग-निवास…

अशरण जन, नित्य शरण, आशुतोष आर्तिहरण।
सब विधि कल्याण-करण, जय जय त्रिपुरारी।
जयति जयति जग-निवास…


भगवान शंकर आरती करने के लाभ


आरती करने का सही तरीका

  1. शुद्ध स्थान पर दीपक और धूप करें।
  2. भगवान शंकर की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
  3. आरती की पंक्तियों को ध्यानपूर्वक पढ़ें या गाएं।
  4. अंत में “जयति जयति जग-निवास, शंकर सुखकारी” का उच्चारण करें।
  5. श्रद्धा और भक्ति भाव से आरती को समर्पित करें।

निष्कर्ष:
भगवान शंकर आरती – जयति जयति जग-निवास, भक्तों को भगवान शिव की कृपा और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करती है। इसे नियमित रूप से गाने या सुनने से जीवन में सुख, शांति और मानसिक शक्ति का संचार होता है।

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