Site icon Divya Bhasha

आरती श्री जगदीशजी – ॐ जय जगदीश हरे (Aarti Shri Jagdish Ji)

Aarti Shri Jagdish Ji

आरती श्री जगदीशजी का महत्व

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! – यह आरती भगवान जगदीशजी को समर्पित है, जिन्हें सभी भक्त संकट मोचक और पालनकर्ता के रूप में पूजते हैं। यह आरती मन, भाव और आत्मा में भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करती है।

श्री जगदीशजी की आरती सुनने और गाने से जीवन में सुख-समृद्धि, मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा आती है। इसे भक्त विशेष रूप से धार्मिक अवसरों, पूजा और आरती समय पर गाते हैं।


आरती की पंक्तियाँ

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे।
ॐ जय जगदीश हरे।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का।
ॐ जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी।
ॐ जय जगदीश हरे।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी।
ॐ जय जगदीश हरे।

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता।
ॐ जय जगदीश हरे।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति।
ॐ जय जगदीश हरे।

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे।
ॐ जय जगदीश हरे।

विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा।
ॐ जय जगदीश हरे।

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे।
ॐ जय जगदीश हरे।


आरती करने के लाभ


आरती करने का सही तरीका

  1. शुद्ध स्थान पर दीपक और धूप करें।
  2. श्री जगदीशजी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
  3. आरती की पंक्तियों को ध्यानपूर्वक पढ़ें या गाएं।
  4. अंत में “ॐ जय जगदीश हरे” का उच्चारण करें।
  5. श्रद्धा और भक्ति भाव से आरती को समर्पित करें।

निष्कर्ष:
आरती श्री जगदीशजी – ॐ जय जगदीश हरे, भक्तों को भगवान की कृपा, शक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करती है। इसे नियमित रूप से गाने या सुनने से जीवन में सुख, शांति और मानसिक शक्ति का संचार होता है।

Exit mobile version