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दशहरा (Vijayadashami) : महत्व, धार्मिक मान्यताएँ, रावण दहन और भारतभर की परंपराएँ

Dushahara

दशहरा या विजयादशमी क्या है?

दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। यह पर्व आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों तक माँ दुर्गा की साधना और आराधना के बाद दशहरे का पर्व विजय और सत्य की प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।


दशहरा से जुड़ी धार्मिक मान्यताएँ (Dussehra Religious Beliefs)

1. श्रीराम की रावण पर विजय

रामायण के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर धर्म की अधर्म पर विजय प्राप्त की और माता सीता को मुक्त कराया।

2. माँ दुर्गा का महिषासुर वध

दुर्गा सप्तशती में वर्णित है कि माँ दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध दशमी के दिन किया। इसलिए यह दिन शक्ति और विजय का प्रतीक है।

3. अर्जुन का शस्त्र पूजन

महाभारत काल में अर्जुन ने अपने छिपाए हुए शस्त्र विजयादशमी पर निकाले और युद्ध में विजय प्राप्त की।

4. शमी वृक्ष की पूजा

पांडवों द्वारा शमी वृक्ष में शस्त्र छिपाने और पुनः प्राप्त करने की मान्यता से दशहरे पर शमी पूजन का महत्व है।


दशहरे की पूजा विधि (Dussehra Puja Vidhi)

  1. सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. माँ दुर्गा, भगवान श्रीराम और शस्त्रों का पूजन करें।
  3. शमी वृक्ष की पूजा कर परिवार सहित उसके पत्तों का आदान-प्रदान करें।
  4. रावण दहन या रामलीला के दर्शन करें।
  5. इस दिन नए कार्य, व्यवसाय और यात्रा की शुरुआत अत्यंत शुभ मानी जाती है।

रावण दहन की परंपरा (Ravana Dahan)


रामलीला का आयोजन


भारत में दशहरे की विभिन्न परंपराएँ

उत्तर भारत

पश्चिम बंगाल

महाराष्ट्र

गुजरात

दक्षिण भारत


दशहरे का महत्व और महिमा


निष्कर्ष

दशहरा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह जीवन में धैर्य, साहस और सत्य की विजय का प्रतीक है।
👉 चाहे श्रीराम की रावण पर विजय हो या माँ दुर्गा का महिषासुर वध – दशहरे का संदेश यही है कि धर्म और सत्य की सदैव जीत होती है।

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